World Sandwich Day 2023: 60 साल पहले नाश्ता से शुरू हुआ सैंडविच का सफर, अब पहुंचा डिनर तक
World Sandwich Day 2023: विश्व सैंडविच दिवस पर इंदौरी सैंडविच ने सुनाई अपनी दिलकश यात्रा की कहानी।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Fri, 03 Nov 2023 09:04:15 AM (IST)
Updated Date: Fri, 03 Nov 2023 12:06:32 PM (IST)
विश्व सैंडविच दिवस। HighLights
- सैंडविच का जन्म इंग्लैंड में वर्ष 1762 में हुआ था, लेकिन इंदौर में पहला आगमन वर्ष 1963 में हुआ।
- शुरुआत में भारत में इसे डबल रोटी कहते थे, लेकिन अब यह सैंडविच के नाम प्रसिद्ध है।
- इंदौरियों ने सेंव, जीरावन से तीखा बनाकर सैंडविच को भी दे दिया लोकल टच।
World Sandwich Day 2023: राघव तिवारी, इंदौर। प्यारे दोस्तो...मैं आपका पसंदीदा सैंडविच हूं। आज विश्व सैंडविच दिवस पर मैं अपने इंदौर में अपने सफर की कहानी आपको सुना रहा हूं। यूं तो मेरा जन्म इंग्लैंड में वर्ष 1762 में हुआ था, लेकिन इंदौर में मेरा पहला आगमन वर्ष 1963 में हुआ। शुरुआती दौर में मुझे भारत में डबल रोटी कहते थे, लेकिन अब मैं सैंडविच के नाम से जाना जाता हूं।
दरअसल, इंदौर शुरुआत से ही खाने और खिलाने का शौकीन शहर रहा है। मैंने इंदौर को ही ऐसे शहर के रूप में देखा कि यहां हर व्यंजन को बराबर वरीयता मिलती है। यही मेरे साथा हुआ। मेरी शुरुआत राजमोहल्ला के अजंता सैंडविच सेंटर से हुई थी। तब यहां मेरी कीमत 25 पैसे थी। पहले लोग मुझे नाश्ते के रूप में प्रयोग करते थे। शुरुआती दौर में मेरे पास ज्यादा वैरायटी नहीं थी, साधरण तरीके से दो ब्रेड के बीच केवल टापिंग रखकर खा लिया जाता था। इसके बाद लोग मुझमें आलू, प्याज, टमाटर, पनीर डालने लगे। समय के साथ मुझमें कई बदलाव हुए और मैं साधारण सैंडविच से मसाला सैंडविच, चीज सैंडविच, चिली चीज, बटर चीज, पिज्जा चीज, चाकलेट सैंडविच, पनीर टिक्का समेत कई फ्लेवर अपने भीतर जोड़ता गया।
भरपेट खाने लगे इंदौरी
मैं सैंडविच मूलत: एक नाश्ता हूं। दुनियाभर में मुझे नाश्ता के रूप में ही खाया जाता है। किंतु इंदौर में एक बदलाव आया है कि यहां लोग अब मुझे यानी सैंडविच को नाश्ता की तरह तो खाते ही हैं, रात के भोजन की तरह भरपेट भी खाने लगे हैं। दरअसल, इंदौर ने सैंडविच में ऐसे-ऐसे प्रयोग किए हैं कि यह गजब स्वादिष्ट हो चला है, ऐसे में लोग इसे खाते हैं और पेट भर जाता है। इंदौर ही वह शहर है, जिसने समूचे मध्य भारत को सैंडविच खाना सिखाया, क्योंकि सबसे पहले सैंडविच इंदौर में ही मिला करते थे। बाद में ये अन्य शहरों की पसंद भी बनते गए।
इंदौरियों ने मुझे भी बना दिया इंदौरी
जैसा कि नवाचार करना इंदौरियों की आदत है, इसलिए मैं भी इससे ज्यादा दिन बच नहीं पाया। इंदौरियों ने मुझमें सेंव, जीरावन डाला और तीखा बनाकर मुझे इंदौरी सैंडविच का स्वरूप दे दिया। आज भी इंदौर में सैंडविच के इतने ठिये और वैरायटी हैं कि इसे प्रदेश की सैंडविच सिटी कहा जा सकता है।
मेरे ठिये, जहां से शुरू हुई मेरी कहानी
1. अजंता सैंडिवच सेंटर
करीब 60 वर्ष पहले इंदौर में सबसे पहले सैंडविच बनाने की शुरुआत अजंता सैंडविच से हुई थी। इसकी शुरुआत राजेश और शंकर बागजाई ने की थी। अब इसकी कमान मुकेश बागजाई संभाल रहे हैं। मुकेश ने बताया कि 60 के दशक में सैंडविच की कीमत 25 पैसे हुआ करती थी। सैंडविच के इंदौर आते ही लोग इसे पसंद करने लगे थे। इसकी गुणवत्ता बाकी फास्ट फूड और स्नेक्स से बेहतर रहती थी इसलिए इंदौरियों ने इसे आसानी से अपना लिया। पहले केवल साधारण रूप से सैंडविच बनता था, मगर अब इसमें क्लब, सेजवान, तंदूरी, कोन, पिज्जा समेत कई वैरायटी मौजूद हैं। बाकी स्नैक की अपेक्षा लोग सैंडविच को ज्यादा पंसद करते हैं। शाम के समय लोग अपने दोस्तों के समूह में आकर सैंडविच का आनंद लेते हैं।
2. सपना सैंडविच
यहां सैंडविच की शुरुआत साल 1992 से हुई थी। वर्तमान में शहर में सपना सैंडविच के पांच आउटलेट हैं। संचालक राजू गुप्ता ने बताया कि पहले मैं समोसा, कचौरी बनाता था। एक बार मुंबई गया तो वहां सैंडविच के बड़े बाजार का पता चला। यह स्नैक्स में सबसे फ्रेश रहता है, इसलिए इंदौर आकर यहां इसे बनाना शुरू किया। सफलता मिली तो हमने साफ्ट सैंडविच की शुरुआत की। यह रसगुल्ला की भांति काफी साफ्ट होता है, जिसे हर उम्र का व्यक्ति आसानी से खा सकता है। इसके अलावा सैंडविच में सेंव, जीरावन भी इंदौरियों की डिमांड में आ गया।
3. टिंकूज
टिंकूज अब शहर का फूड ब्रांड बन चुका। यहां पहले केवल आइसक्रीम और एवरफ्रेश मिलता था, लेकिन वर्ष 2006 से सैंडविच की शुरुआत भी हुई। वर्तमान में पूरे शहर में टिंकूज के आठ आउटलेट हैं और प्रत्येक में सैंडविच उपलब्ध है। संचालक रमन कोल ने बताया कि शुरुआती दौर में हम 10 रुपये में सैंडविच देते थे। इसके साथ चिप्स डालकर नया प्रयोग शुरू किया। जैसे-जैसे सैंडविच में नए नवाचार होते गए, सैंडविच की डिमांड बढ़ती गई। नए फ्लेवर आने से लोगों में सैंडविच के लिए काफी उत्साह दिखाई देता है। वर्ष 2008 से हमने पिज्जा सैंडविच देना शुरू कर दिया था। इस दौर में बाजार में पिज्जा नया-नया आया ही था, वहीं सैंडविच में लोगों को पिज्जा का स्वाद मिला तो इसका ट्रेंड काफी बढ़ा।
4. श्याम सैंडविच
जंजीरवाला चौराहा स्थित श्याम सैंडविच की शुरुआत वर्ष 2017 से हुई थी। यह संस्थान सपना सैंडविच से ही उत्पन्न हुई शाखा है। इसके संचालक श्याम गुप्ता ने बताया कि सैंडविच के लिए लोग काफी उत्साहित रहते हैं। अब लोग कस्टमाइज सैंडविच बनवाने के शौकीन हैं। शहर में ज्यादातार दुकानदार ग्रिल मशीन से सैंडविच बनाते हैं, वहीं हम आज भी टोस्टर से ही सैंडविच बनाते हैं। हालांकि इसमें ग्रिल के मुकाबले समय थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन स्वाद बेहतर होता है। हम अब तक करीब 25000 से ज्यादा महिलाओं को सैंडविच बनाना सिखा चुके हैं।