By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Tue, 26 Sep 2023 12:21:53 PM (IST)
Updated Date: Tue, 26 Sep 2023 12:21:53 PM (IST)
World Environmental Health Day: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। इंदौर में केवल बड़े अस्पताल, आला दर्जे की चिकित्सकीय सुविधाएं और विशेषज्ञ चिकित्सकों की पर्याप्त मौजूदगी ही नहीं है बल्कि यहां के लोग अपनी सेहत के साथ-साथ पर्यावरण की सेहत के लिए भी सजग होता जा रहा है। कोई यह कोशिश व्यक्तिगत रूप से कर रहा है, तो कोई समूह के साथ। ये प्रयास शहर के नदी-तालाबों को साफ करने, शहर में सिटी फारेस्ट विकसित करने, जगह-जगह औषणीय पौधे लगाकर और बटरफ्लाय गार्डन विकसित कर जैव विविधता को बेहतर करने की शक्ल में किए जा रहे हैं।
बीते दिनों कार मुक्त दिवस भी इसी दिशा में एक प्रयास रहा। यही नहीं, अपने शहर में तो ट्री एंबुलेंस भी चलती है। इन तरीकों से शहर के पर्यावरण का स्वास्थ्य लगातार बेहतर हो रहा है। आज विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस पर आइए जानें इंदौर के पर्यावरण का सेहत मीटर।
दो हजार से अधिक पौधों का हुआ उपचार
इंदौर में मनुष्यों का ही नहीं बल्कि पौधों का भी उपचार होता है।
नगर निगम द्वारा ट्री एंबुलेंस बनाई गई है। इसके जरिए शहर में सड़क के किनारे, डिवाइडर और शहरी उद्यान में लगे बीमार पौधों का उपचार किया जा रहा है। इसमें निगम की टीम विशेषज्ञों के साथ कार्य कर रही है। टीम में शामिल विशेषज्ञ पेड़, पौधों की 30 से ज्यादा बीमारियों का उपचार कर उन्हें नया जीवन दे रहे हैं। निगम के सहायक उद्यान अधिकारी पवन राठौर बताते हैं कि वर्षभर में दो हजार से अधिक पेड़-पौधों का उपचार किया जा चुका है। इस एंबुलेंस में पानी, दवाई और खाद के लिए टैंक बनाए गए हैं। साथ ही स्प्रिंक्लर, पंप के साथ ही पौधों की कांट-छांट के लिए भी उपकरण मौजूद हैं।
औषधीय पौधों के रोपण के जरिए प्रयास
पर्यावरण संरक्षण के हित में कार्य कर रही संस्था मालवा मंथन के स्वप्निल व्यास ने वर्ष 2017 से शहर में अलग-अलग स्थान पर औषधीय पौधे लगाने और उनके प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास शुरू किया। वे अभी तक 34 हजार पौधों का रोपण व वितरण कर चुके हैं। यह रोपण करीब 100 शैक्षणिक संस्थान अौर 70 से अधिक रहवासी क्षेत्र में किया जा चुका है।
स्वप्निल बताते हैं कि औषधीय पौधे लगाने और उन्हें वितरित करने का कार्य इसलिए शुरू किया गया ताकि लोग पौधों से मिलने वाले लाभ को समझकर उनका संरक्षण कर सकें। इसके अलावा ये ऐसे पौधे हैं, जो पर्यावरण की सेहत के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। अमूमन लोग एक जैसे ही सजावटी या छायादार-फलदार पौधे लगाते हैं, जबकि कई पौधे भले ही इस श्रेणी में शामिल नहीं होते किंतु पर्यावरण और मानव दोनों की सेहत सुधारने में उनका अहम स्थान है। पिपरमेंट, मरवा, कपूर, गिलोय आदि इसी श्रेणी के पौधे हैं, जिन्हें कम ही लोग लगाते हैं।
रामसर साइट की सूची में शामिल हुए शहर के तालाब
शहर के फेफड़े कहे जाने वाले तालाबों के संरक्षण के लिए संस्था द नेचर वालेंटियर्स नगर निगम व पर्यावरण मित्रों के साथ मिलकर वर्ष 1992 से कार्य कर रही है। यह प्रयास मुख्य रूप से
सिरपुर तालाब और यशवंत सागर के लिए किया जा रहा है। इसका परिणाम यह है कि ये दोनों तालाब रामसर साइट की सूची में शामिल हो चुके हैं। संस्था के सचिव देवकुमार वासुदेवन बताते हैं कि संस्था लोगों को इस बात के लिए भी जागरूक कर रही है कि पर्यावरण की सेहत सुधारना है और उसे स्वस्थ बनाए रखना है तो जैव विविधता, वन और जल स्रोतों को बचाना होगा।
वायु प्रदूषण और प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण रखना होगा। इसके लिए लोगों को जागरूक करना जरूरी है। जागरूकता की दिशा में अब तक ग्रे-वाटर, शहरी जैव विविधता, मधुमक्खी और सांप जैसे विषयों पर हिंदी में बुकलेट प्रकाशित कर आम जनता को वितरित की जा चुकी हैं। पर्यावरण की सेहत सुधारने के लिए हमें हर प्राणी और पंचतत्व के संतुलन पर ध्यान देना होगा।
पर्यावरण की हर कड़ी पर ध्यान देना जरूरी
नेचर एंड वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन अवेयरनेस सोसायटी के अध्यक्ष रवि शर्मा कहते हैं कि शहर और आसपास के रहवासी इतने संवेदनशील तो हैं कि यदि उन्हें समझाया जाए, तो सकारात्मक परिणाम सामने आत हैं। पर्यावरण की सेहत सुधारना है, तो उसकी हर कड़ी पर ध्यान देना होगा। यदि पेड़-पौधे होंगे तो कीट-पतंगे आएंगे। जब कीट-पतंगे आएंगे तो पोलीनेशन भी होगा और पेड़-पौधों पर फल लगेंगे। कीट-पतंगे और फल-अनाज लगने पर पक्षी भी आएंगे।
इस तरह यह एक पूरी श्रृंखला है, जिस पर हमें ध्यान देना होगा। पक्षियों की गणना कर उनकी बढ़ती या घटती संख्या के कारणों आदि के बारे में स्कूली विद्यार्थियों व क्षेत्र के रहवासियों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। परिणाम यह हुआ कि अब कुछ हद तक लोग जागरूक होकर पक्षियों के हित में कदम उठा रहे हैं।
आप भी इस तरह सुधार सकते हैं पर्यावरण की सेहत