Tourist Places Near Indore: हिंदुस्तान का दिल जहां है ऋषियों की तपोभूमि और प्रकृति का अनुपम सौंदर्य
Tourist Places Near Indore: यही वह प्रदेश है जहां इतिहास अपना गौरवगान सुनाता है और प्रकृति अपनी सुंदरता बिखेरती है।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Sat, 25 Feb 2023 02:45:00 PM (IST)
Updated Date: Sat, 25 Feb 2023 03:34:04 PM (IST)
Tourist Places Near Indore: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश केवल इसलिए ही भारत का दिल नहीं कहलाता क्योंकि यह देश के बीच में बसा है बल्कि यह प्रदेश अपनी विविधता और खूबियों के कारण हर किसी के दिल में बसता है इसलिए भी इसे हिंदुस्तान का दिल कहा जाता है। यही वह प्रदेश है जहां इतिहास अपना गौरवगान सुनाता है और प्रकृति अपनी सुंदरता बिखेरती है। यह तपोभूमि भी रहा और कला का धनी भी। प्रदेश की व्यावसायिक और सांस्कृतिक राजधानी भी इन्हीं विशेषताओं का संयुक्त रूप लिए है और इस इंदौर के आसपास ऐसे कई स्थान है जहां प्रकृति, अध्यात्म और इतिहास को करीब से देखा जा सकता है। इन्हीं में से एक स्थान है च्यवन ऋषि का आश्रम। यह वही ऋषि हैं जिनके द्वारा तैयार औषधियुक्त मिश्रण आज पूरी दुनिया च्यवनप्राश के रूप में खाकर अपनी सेहत को बेहतर बनाने का प्रयास कर रही है।
इस मौसम में यदि आप किसी पर्यटन स्थल जाना चाहते हैं तो यह स्थान बिल्कुल माकूल है। इस आश्रम में आध्यात्म की धारा भी बहती है तो प्रकृति के अनुपम नजारे भी हैं। ग्रामीण परिवेश की झलक भी यहां नजर आएगी तो ट्रेकिंग का आनंद भी लिया जा सकता है। यह प्राचीन धरोहर अपने में कई किवदंतियां भी समेटे हुए है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर ऋषि च्यवन ने च्यवनप्राश बनाने की विधि तैयार की थी। यहां एक प्राचीन शिव मंदिर भी है। इस मंदिर के द्वार पर एक श्लोक भी लिखा है। मान्यता है कि भगवान शिव के दर्शन कर इस श्लोक को पढ़ने से नेत्रज्योति अच्छी रहती है।
एक मंजिल के दो मार्ग
इंदौर से इस आश्रम तक जाने के लिए बड़वाह से सिद्धवरकूट मार्ग से जाना पड़ेगा। सिद्धवरकूट मार्ग कुछ आगे बढ़ने पर वन विभाग का बेरियर नजर आते हैं। उन्हें पार करते हुए करीब 15 किमी दूर जाना पड़ता है। यह दूरी तय कर आश्रम नजर आता है। इस आश्रम में गौशाला, शिव मंदिर, यज्ञशाला व भोजनशाला बनी हुई है। आश्रम तक पहुंचने के लिए दूसरा मार्ग भी है। यह मार्ग चोरल से ओखलेश्वर होते हुए जाता है। ओखलेश्वर से करीब 20 किमी दूर यह आश्रम बना हुआ है। चाहे आप किसी भी मार्ग से जाएं आश्रम तक अपने वाहन से पहुंच सकते हैं। यदि आप ट्रेकिंग करना चाहते हैं तो उसका भी आनंद यहां लिया जा सकता है। इन दोनों ही मार्ग पर आप प्रकृति के नजारों का आनंद ले सकते हैं।
एक और आश्रम दूसरी और ज्योतिर्लिंग
यूथ होस्टल एसोसिएशन के अशोक गोलाने के अनुसार च्यवनऋषि आश्रम से करीब 4-5 किमी दूर एक और रमणीय स्थल का आंनद लिया जा सकता है और वह है कोठावा आश्रम। इस आश्रम तक भी वाहन और पैदल दोनों ही तरह से पहुंचा जा सकता है। कच्चा-पक्का मार्ग और रास्ते में दोनों ओर छाए पेड़ यात्रा को और भी सुखद बना देते हैं। यह आश्रम नर्मदा नदी के तट पर बना है। नर्मदा नदी के विशाल पाट के एक छोर पर आश्रम है तो दूसरे छोर पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर और पैदल पुल नजर आता है। यहां घाट बेशक नहीं बना पर पत्थर और चट्टानों की मदद से नर्मदा नदी का आनंद लिया जा सकता है और उसमें आस्था की डुबकी भी लगाई जा सकती है।
हरियाली के बीच पिकनिक का आनंद
यह दोनों ही स्थान ऐसे हैं जो हरियाली से घिरे हैं। यहां पिकनिक का आनंद भी लिया जा सकता है। श्रृद्धालुओं की आवाजाही को देखते हुए यहां सुविधागृह भी बनाए जा चुके हैं और पेयजल आदि की भी व्यवस्था है। यदि आप अपने साथ रसोईये व भोजन सामग्री लेकर गए हैं वहां भोजन बनवा भी सकते है। इन दोनों ही स्थानों पर आप तपस्वियों की तपस्या करते हुए भी देख सकते हैं। यहां कई प्राचीन पेड़ हैं जिसका प्रमाण वे तने की मोटाई से देते हैं।