Utpanna Ekadashi 2022: पिछले जन्मों के पाप से मुक्ति देती हैं उत्पन्ना एकादशी, जानें क्या है व्रत के फायदे
Utpanna Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी पर बन रहा त्रिवेणी संयोग। मार्गशीर्ष की कृष्ण पक्ष की एकादशी पर साथ आए अमृत, सर्वार्थसिद्धि और द्विपुष्कर योग। कई गुणा में मिलेगा संतान का सुख और आरोग्यता प्रदान करने वाले व्रत का फल।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Thu, 17 Nov 2022 09:02:51 AM (IST)
Updated Date: Fri, 18 Nov 2022 07:39:09 AM (IST)
Utpanna Ekadashi रामकृष्ण मुले, इंदौर। भगवान विष्णु की प्रिय मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की उत्पन्ना एकादशी 20 नवंबर को होगी। एकादशी पर इस बार त्रिवेणी संयोग बन रहा है। इस दिन मंगलकारी प्रीति और आयुष्मान योग के साथ अमृत, सर्वार्थसिद्धि और द्विपुष्कर योग रहेगा। यह खास संयोग व्रत के संतान सुख और आरोग्यता के फल को दुगना करेगा। ज्योर्तिविदों के मुताबिक इस बार एकादशी पर विशेष सयोग बन रहा है।
एकादशी व्रत के फल से पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही व्रत करने वाले को संतान सुख, आरोग्यता और जन्म-मरण के बंधन से भी मुक्ति मिलती है। वर्षभर में आने वाली 24 एकादशी में उत्पन्ना एकादशी का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है।
ज्योर्तिविद् कान्हा जोशी के मुताबिक एकादशी तिथि 19 नवंबर को सुबह 10.41 बजे से 20 नवंबर को सुबह 10.41 बजे तक रहेगी। 20 को उदयातिथि में एकादशी है। इसके चलते 20 नवंबर को एकादशी व्रत करना शास्त्र सम्मत होगा। व्रत का पारण 21 नवंबर को सुबह 6.40 बजे से सुबह 8.47 बजे तक रहेगा। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि व्रतों में सर्वार्धिक महत्व एकादशी व्रत का होता है। एकादशी के नियमित व्रत रखने से स्वभाव की चंचलता समाप्त होकर मन को शांति की अनुभूति होती है। एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त के समय उठकर सबसे पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए। नित्य क्रियांओं के बाद भगवान की पूजा करे।व्रत की कथा सुने। पूरे दिन व्रती बुरे कर्म करने वाले पापी व्यक्तियों की संगत से बचे। साथ ही जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए के लिए श्रीहरि से क्षमा मांगे।
आचार्य शिवप्रसाद तिवारी के अनुसार भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार इस व्रत को निर्जला, जलीय या फलाहारी रखते है। इस व्रत में दशमी की रात भी भोजन नहीं करना चाहिए। एकादशी के दिन सुबह कृष्ण की पूजा करनी चाहिए।भगवान भी सिर्फ फलों का भोग लगना चाहिए।भगवान विष्णु को हल्दी मिश्रित जल चढ़ाना चाहिए। यह भी कहा जाता है कि एकादशी व्रत का पारण करने से पहले ब्राह्मण को दान- दक्षिणा देना चाहिए। वर्षभर में 24 एकादशी आती है। हर महीने दो एकादशी में एक कृष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष की होती है। एकादशी व्रत रखने की शुरुआत भी इस एकादशी के साथ होती है।