Industries of Indore: दूषित पानी के उपचार का सिस्टम बना परेशानी, औद्यागिक क्षेत्र की सड़कों पर बह रही गंदगी
Industries of Indore: निगम के अफसर कह रहे उद्योग ही पाइप लाइन में दूषित पानी के साथ डाल रहे प्लास्टिक के टुकड़े।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Sat, 21 Jan 2023 08:57:41 AM (IST)
Updated Date: Sat, 21 Jan 2023 08:57:41 AM (IST)
Industries of Indore: उदय प्रताप सिंह, इंदौर। सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र में संचालित उद्योगों से निकलने वाले केमिकल युक्त व सीवरेज के पानी के उपचार के लिए निगम द्वारा यहां पर कामन इफ्युलेंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है, लेकिन प्लांट तक पानी पहुंचाने वाली सीवरेज पाइप लाइन व चैंबरों से गंदा पानी ओवरफ्लो होता रहता है। इसके कारण उद्योगों के कर्मचारी व अन्य लोग परेशान होते हैं। उद्योगों के संचालकों का कहना है कि नगर निगम द्वारा सीवरेज लाइन की सफाई सही तरीके से नहीं करवाई जाती है। जो पाइप लाइनें डाली गई हैं, उनका आकार छोटा होने के कारण गंदा पानी ओवरफ्लो होता है, जबकि निगम के अफसरों का कहना है कि सांवेर रोड क्षेत्र में कुछ प्लास्टिक उद्योग गंदे पानी के साथ पानी के टुकड़े भी बहा देते हैं। इसके कारण सीवरेज लाइन चोक हो जाती है। उद्योग संचालक व नगर निगम के अफसर एक दूसरे पर इस तरह आरोप-प्रत्यारोप कर जिम्मेदारी से बच रहे हैं।
करोड़ों रुपये खर्च कर वर्ष 2017 में यहां के उद्योगों की सहूलियत के लिए लगाए गए चार एमएलडी क्षमता के कामन एफ्युलेंट ट्रीटमेंट प्लांट के होने के बाद भी औद्योगिक क्षेत्र की सड़कों पर ओवरफ्लो होते सीवरेज चैंबर व गंदा पानी इस पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। वर्तमान में सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र के बी, सी, ई व एफ सेक्टर में करीब 40 किलोमीटर हिस्से में डाली गई सीवरेज पाइप लाइन से एफ्युलेंट ट्रीटमेंट प्लांट तक पानी पहुंचाया जाता है। ए, डी सेक्टर व कुम्हेड़ी, बरदरी क्षेत्र में पाइप लाइन नहीं होने से यहां के उद्योग अभी हर रोज 25 से 35 टैंकरों के माध्यम से पानी प्लांट तक पहुंचा रहे हैं। निगम द्वारा ए, डी और सी सेक्टर के कुछ हिस्से में पाइप लाइन बिछाने की योजना बनाई गई है, लेकिन अभी इस क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं हटाए जाने के कारण लाइन बिछाने का काम शुरू नहीं हो सका है।
एक नजर
- चार एमएलडी क्षमता का कामन एफ्युलेंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है सांवेर औद्योगिक क्षेत्र में
- 40 किलोमीटर लंबी डाली गई है सीवरेज पाइप लाइन
- 85 उद्योगों ने ही फ्लो मीटर लगवाया
सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र में डाली जानी है पाइप लाइन
सेक्टर ए- 11 किलोमीटर
सेक्टर डी- 6 किलोमीटर
सेक्टर सी- 1.6 किलोमीटर
अभी तक सिर्फ 85 उद्योगों में लगा है फ्लो मीटर
सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र में करीब 300 उद्योग दूषित पानी कामन एफ्युलेंट ट्रीटमेंट प्लांट पर पहुंचाते हैं। इनमें भी हानिकारक केमिकल वाले उद्योगों को अपने दूषित पानी को सबसे पहले अपने औद्योगिक परिसर में लगाए गए उपचारित पानी के संयंत्र में ट्रीट कर निगम की पाइप लाइन में छोड़ने का प्रविधान है। निगम व मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सभी उद्योगों को अपने गंदे पानी के निकासी की पाइप लाइन पर फ्लो मीटर लगाना अनिवार्य किया गया है। हकीकत यह है कि अभी तक महज 85 उद्योगों ने ही फ्लो मीटर लगवाया है।
यही वजह है कि नगर निगम उद्योगों द्वारा मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पानी की खपत के पश्चात बहाए जाने वाली पानी की मात्रा का आकलन दिया जाता है। उसी के आधार निगम उद्योगों से शुल्क वसूलता है। फ्लो मीटर लग जाने से उद्योग जितना दूषित पानी निकालेंगे, उन्हें उसका ही भुगतान करना होगा। अभी उद्योगों को 100 रुपये प्रति किलो लीटर के हिसाब से भुगतान करना पड़ रहा है।
उद्योगपतियों की परेशानी
नगर निगम द्वारा औद्योगिक क्षेत्र में छह इंच की सीवेरज लाइन डाली गई है। इस वजह से औद्योगिक क्षेत्र में जगह-जगह सीवरेज के चैंबर ओवर फ्लो होते हैं और गंदा पानी सड़क पर बहता है। निगम द्वारा इन पाइप लाइनों की नियमित सफाई भी नहीं करवाई जाती है।
-योगेश मेहता, अध्यक्ष एसोसिएशन आफ इंडस्ट्री मप्र
सेक्टर ए, डी और सी में पाइप लाइन बिछाने की योजना स्वीकृत है। इसके मार्ग में बाधक अवैध निर्माणों को हटाने के बाद निगम जल्द पाइप लाइन डालने का काम करेगा। उद्योगों को खुद ही अपने प्लांट के दूषित पानी निकासी पाइप लाइन पर फ्लो मीटर लगाना है। जिन उद्योगों में मीटर लगा है, उनसे उसके अनुसार ही शुल्क लिया जा रहा है।
-आरएस देवड़ा, इंजीनियर , सीवरेज प्रोजेक्ट निगम
नगर निगम द्वारा औद्योगिक क्षेत्र की सीवरेज पाइप लाइनों की समय-समय पर सफाई करवाई जाती है। इसके लिए रोस्टर भी बना हुआ है। इस क्षेत्र में कुछ प्लास्टिक रिसाइकल इंडस्ट्री हैं, जो सीवरेज लाइन में पानी के साथ प्लास्टिक के टुकड़े भी बहा देती हैं। इसके कारण सीवरेज लाइन चोक हो जाती है। इस कारण समस्या आती है। पूर्व में ऐसा करने वाले कुछ उद्योगों पर जुर्माने की कार्रवाई भी की गई है।
- नरेंद्र कुरील, जोनल अधिकारी, जोन नंबर 17