इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। सुहास भगत के प्रदेश संगठन महामंत्री पद से हटने के बाद इंदौर के राजनीतिक समीकरण बदलेंगे। उनसे जुड़े नेताओं को इंदौर में महत्वपूर्ण पद मिले, लेकिन भगत ने मालवा-निमाड़ में सामाजिक समीकरणों का पूरा ध्यान रखा और उसके मद्देनजर निगम मंडल और संगठन से जुड़े पदों में अलग-अलग वर्ग के नेताओं को मौका दिया। ऐसा कर उन्होंने समाजों को भी साधने की कोशिश की।
शहर में दो लाख से ज्यादा मराठीभाषी परिवार हैं और लंबे समय तक इंदौर में इस वर्ग का प्रतिनिधित्व पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने किया। लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिलने के बाद मराठीभाषी समाज की नाराजगी दूर करने के लिए उन्होंने शहर में भाजपा संगठन की कमान मराठीभाषी गौरव रणदिवे को दिलवाने में भूमिका निभाई। रणदिवे को नगर अध्यक्ष बनाए जाने के फैसले से हालांकि कई नेता चौंके भी थे, लेकिन विरोध ज्यादा नहीं हुआ। विधानसभा के उपचुनाव में बदनावर सीट से भंवरसिंह शेखावत का टिकट कटा था तब उन्होंने कड़ा विरोध भी जताया था।
इंदौर में राजपूत समाज के एक आयोजन में भाजपा के प्रति समाज के कुछ लोगों ने नाराजगी भी जताई थी। इस समाज से संगठन में संभाग का प्रतिनिधित्व करने वाले जयपाल सिंह चावड़ा भी संगठन मंत्री पद खत्म होने के बाद हट गए थे, लेकिन भगत ने सामाजिक संतुलन बनाने में अपनी भूमिका निभाई और इंदौर विकास प्राधिकरण की कुर्सी चावड़ा को मिल गई। जिन नेताओं ने उपचुनाव में उम्मीदवारों को जिताने में मेहनत की। भगत ने निगम-मंडलों में उनका पूरा ध्यान रखा।
शराब नीति के खिलाफ कांग्रेस का पत्र लिखो अभियान 16 को
प्रदेश की शराब नीति के खिलाफ और शराबबंदी के पक्ष में कांग्रेस ने आम जनता की तरफ से पत्र लिखो अभियान शुरू किया है। इसके तहत 16 मार्च को बड़ा गणपति क्षेत्र में शिविर लगाकर पत्र लिखो अभियान के साथ कार्टून प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। इस दौरान विधायक संजय शुक्ला, कांग्रेस के नगर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल सहित क्षेत्र की महिलाएं उपस्थित रहेंगी। अभियान के आयोजक और कांग्रेस नेता प्रमोद द्विवेदी ने बताया कि शराब नीति के खिलाफ हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है। अब तक 11 हजार पत्र लिखे जा चुके हैं।