इंदौर, नईदुनिया रिपोर्टर। एक फौजी के लिए देश के लिए युद्ध लड़ने से बड़ी खुशी और कुछ नहीं हो सकती, भले ही उसमें वो शहीद ही क्यों न हो जाए। एक सैनिक होने के नाते यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे युद्ध लड़ने का मौका मिला। सेना में पद या ओहदे से नहीं काम से आपकी पहचान बनती है। यह बात रविवार को परमवीर चक्र विजेता सूबेदार योगेंद्रसिंह यादव ने रवींद्र नाट्यगृह में सैनिक दिवस की पूर्व संध्या पर कही।
उन्होंने बच्चों से कारगिल युद्ध के अनुभव और संस्मरण शेयर किए। यादव ने कहा कि मेरी शादी के मात्र 15 दिन बाद ही युद्ध पर जाने का संदेश मिला। उस समय मेरी उम्र महज 19 साल थी। ज्यादा अनुभव भी नहीं था, नौकरी में सिर्फ ढाई साल ही हुए थे। मुझे अन्य जवानों के साथ द्रास की सबसे ऊंची चोटी टाइगर हिल्स पर नीचे से ऊपर राशन ले जाने का काम सौंपा गया। दो रात और एक दिन की कठिन चढ़ाई के बाद जब हम सात जवान ऊपर पहुंचने ही वाले थे कि पाकिस्तानी सेना ने हमला कर दिया। पांच घंटे लगातार फायरिंग हुई। मेरे सभी साथी शहीद हो चुके थे।
इसके बाद पाकिस्तानी सैनिक यह देखने आए कि हममें से कोई जिंदा तो नहीं बचा है। उस दौरान मैं चुपचाप लेटा रहा। उन्हें लगा कि मैं भी मर गया हूं। उन्होंने मेरे ऊपर कई बार गोली चलाई। सीने पर भी गोली चलाई, लेकिन मेरी किस्मत अच्छी थी कि मेरी जेब में सिक्के थे। वह गोली सिक्कों पर लगी और मैं बच गया। किसी तरह से घायल अवस्था में उठा और नीचे अपने साथियों को हमले की सूचना दी। मैं बेहोश हो गया था, बाद में साथी लेकर गए। जब यह सब घटित हो रहा था, सिर्फ एक ही बात दिमाग में थी कि किसी तरह से अपने साथियों को हमले की सूचना देकर उनकी जान बचा लूं। सबकुछ इतना अचानक हुआ था कि कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। बस इस बात की खुशी थी कि जो काम मुझे सौंपा गया था, मैं उसे बखूबी कर पाया।
यादव ने कहा कि युवाओं को फौज में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इसके लिए स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाना चाहिए। अगर हर कोई इंजीनियर और डॉक्टर बन जाएगा तो देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन संभालेगा। बिना सुरक्षा के तो डॉक्टर, इंजीनियर भी काम नहीं कर सकते। लेफ्टिनेंट जनरल सेवानिवृत एमजी दातार ने यादव के शौर्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि एक 19 साल के लड़के ने जिस तरह से अपना लक्ष्य तय कर वीरता का परिचय दिया वो काबिले तारीफ है। इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल सेवानिवृत बीएस सिसोदिया भी उपस्थित थे।