STSF Indore : इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। बाघ-तेंदुए के शिकारियों को सूंघकर पकड़ने वाली वन विभाग की स्निफर डाग मैना की शनिवार को मौत हो गई। लिवर की बीमारी से परेशान मैना का 15 दिन से इलाज चल रहा था। नौ साल तक मैना ने कई वन अपराध सुलझाने में मदद की। उपलब्धियों को देखते हुए सरकार की तरफ से दो मर्तबा राज्य स्तरीय पुरस्कार भी मिल चुका है। वहीं राष्ट्रीय स्तरीय संस्था की तरफ से भी मैना का सम्मान हो चुका है।
दरअसल, 2013 से मैना स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स (एसटीएसएफ-इंदौर) के साथ मिलकर वन अपराध सुलझाने में लगी थी। उसे भोपाल स्थित पुलिस ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से प्रशिक्षण दिया गया था। बीते नौ साल में मैना ने इंदौर, देवास, खरगोन, बुरहानपुर में जाकर वन्यप्राणियों से जुड़े अपराधों को सुलझाया था। सूंघने की क्षमता से मैना ने आठ से दस घंटे में शिकारियों की पहचान की है। उसकी जिम्मेदारी एसटीएसएफ इंदौर के पास थी। देखभाल की जिम्मेदारी वनपाल दिनेश अंजाना और सहायक पैरसिंग को दी गई थी।
नहीं दिया ध्यान - मैना को सितंबर से स्वास्थ्य को लेकर परेशानी चल रही थी। उपचार के लिए पहले संयोगितागंज वैटरनरी अस्पताल में डाक्टर को दिखाया। तबीयत में सुधार नहीं होता देख फिर महू वैटरनरी अस्पताल में इलाज चला। कई दिन तक बीमारी पकड़ में नहीं आई। बाद में लिवर में खराबी का पता चला। तब तक मैना ने खाना-पीना छोड़ दिया था। स्निफर डाग की हालात खराब होने के बावजूद अधिकारियों ने बिलकुल ध्यान हीं दिया। कुछ दिन पहले ही उज्जैन से आई महिला एसडीओ ने पद संभाला है। एसटीएसएफ रेंजर धर्मवीर सोलंकी के मुताबिक, कुछ समय से मैना का स्वास्थ्य ठीक नहीं था। शनिवार सुबह उसकी मौत हो गई। रालामंडल में अंतिम संस्कार किया गया।
मैना ने ऐसे पकड़ा शिकारियों को -