नईदुनिया, इंदौर। मध्य प्रदेश के मालवा अंचल में पुलिस-प्रशासन की सख्ती और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) व बजरंग दल जैसे संगठनों की कड़ी निगरानी के बाद अब मतांतरण का कुचक्र निमाड़ इलाके में बढ़ रहा है। मालवा के झाबुआ और आलीराजपुर जिले में रुपये, मुफ्त उपचार, अन्य साधन-सुविधाओं का लालच देकर मतांतरण के प्रयास के एकाधिक मामले सामने आए थे।
इनमें दोषियों को सजा भी मिली, लेकिन अब ऐसे तत्व निमाड़ के आदिवासी बहुल इलाकों की ओर अपने कदम बढ़ा रहे हैं। अब निमाड़ के बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन आदि जिलों में आदिवासियों को रुपये और मकान देने के साथ ही बच्चों का विवाह कराने का लालच देकर उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए दुष्प्रेरित किया जा रहा है।
मंगलवार देर शाम बुरहानपुर जिले के नेपानगर क्षेत्र में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। दूरस्थ गांव डालमहू निवासी कुंवर सिंह व उनकी पत्नी उर्मिला जमरे को इसी तरह का लालच देकर मतांतरण के लिए विवश किया जा रहा था। यह प्रयास विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने विफल कर दिया।
उन्होंने तीनों आरोपितों बलीराम बड़ोले, उसकी पत्नी अनीता बड़ोले और रामा बारेला को पकड़ कर देर रात पुलिस को सौंप दिया। पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता की धाराओं में केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। करीब डेढ़ साल पहले धूलकोट क्षेत्र में भी मतांतरण का प्रयास करते दो आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था।
कुंवर सिंह के 19 वर्षीय बेटे और इंजीनियर छात्र अजय जमरे ने अपनी मां और पिता को विहिप की मदद से मतांतरण के इस जाल से बाहर निकाला। अजय के अनुसार तीनों आरोपित भी आदिवासी बारेला समाज के हैं, लेकिन वे मत परिवर्तन कर ईसाई बन गए थे और अब लोगों का मतांतरण भी करा रहे हैं।
आरोपितों ने उसकी पढ़ाई कराने, पक्का मकान बनवाने और हर माह राशि देने का लालच दिया था। आरोपितों ने पिता-पुत्र के हाथों में बंधा कलावा भी निकलवा दिया था। वर्जन मतांतरण का षड्यंत्र लंबे समय से चल रहा था। आरोपित आदिवासियों को मकान व रुपयों का लालच देकर धर्म बदलने के लिए प्रेरित कर रहे थे।
– गणेश राठौर, प्रखर मंत्री विहिप नेपानगर।
मतांतरण करवाने वालों के लिए झाबुआ जिला गढ़ रहा है। यहां आदिवासियों की गरीबी व अज्ञानता का लाभ उठाकर उन्हें मतांतरण करवाने का खेल सालों से चल रहा है। हिंदू संगठनों की सक्रियता के बाद इस पर कुछ अंकुश लगा है। पिछले छह माह से मतांतरण का कोई मामला सामने नहीं आया है।
आदिवासी बहुल जिले में एक समय मतांतरण कराने के कई मामले गाहे-बगाहे सामने आते थे। यहां पूरे-पूरे गांव के मतांतरित होने के मामले भी सामने आए।हालांकि अब कड़े कानून और आदिवासी समाज के सामाजिक संगठनों के सनातन के प्रति जागरण के प्रयासों से मतांतरण की कोशिशें विफल हो रही हैं।
गांव-गांव में हनुमान चालीसा, सुंदरकांड सहित प्रकृति पूजा की पुरातन परंपरा से जोड़कर आदिवासी समुदाय को मतांतरित करने से रोकने के प्रयास यहां प्रभावी रूप से रंग लाए हैं। कई मतांतरित परिवार अब घर वापसी करने लगे हैं।