इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि, rural market Indore: कोरोना संक्रमण की वजह से लगे लॉकडाउन में बहुत से लोगों को अपनी नौकरियां गंवाना पड़ी। ऐसे लोग शहर छोड़कर अपने-अपने गांवो में लौट आए। लेकिन गांव आकर भी रोजगार का समस्या हल नहीं हुई। तब परंपरागत हुनर ने सहारा दिया। उसी हुनर को हथियार बनाकर काम शुरू किया। कुछ ही समय में रोजगार की समस्या हल हो गई। उन्हें देखकर और भी लोगों ने आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढाया। आज दर्जनों युवा हुनर को सीखकर उससे जीवन यापन कर रहे हैं। ऐसे ही आत्मनिर्भर हुनरमंद इन दिनों शहर के 'ग्रामीण हाट बाजार" में लगी प्रदर्शनी में पहुंचे है। ये अपनी कला तो प्रदर्शित कर ही रहे हैं साथ ही नए सिरे से अपने सपनों को पूरा करने के लिए जी-जान से जुटे हैं।
नौकरी छूटी तो आय बढ़ी
इंदौर के ही रहने वाले सैयद मेहताब अली एक फैक्ट्री में काम करते थे। वे बताते हैं मार्च में लॉकडाउन लगते ही नौकरी हाथ से चली गई। पहले कोशिश की कि कहीं नौकरी मिल जाए पर जब बात नहीं बनी तो हुनर को हथियार बनाया और घर से ही ब्लॉक प्रिंट का काम शुरू किया। थान से साड़ी, सलवार सूट बनाने का काम पत्नी ने संभाला। घर में रखी एक सिलाई मशीन से काम शुरू किया और अब दो और मशीन ले ली है। खुशी की बात यह है कि शुरुआती दौर में ही बीस हजार रुपए महीने की कमाई शुरू हो गई। अब स्थिति काफी बेहतर है।
शहर में शुरू करना है आउटलेट
ग्राम रिसावला में संचालित हो रहे ट्रायबल बाग प्रिंट के अमन सिंह कहते हैं कि उनकी कंपनी में यूं तो 500 कारीगर काम कर रहे हैं लेकिन लॉकडाउन के दौरान अन्य शहरों में रह रहे ग्रामीण जब अपने घर आए तो उसमें से करीब 20 युवा ऐसे हैं जिन्होंने इस काम को अपनाया। राकेश चौहान, केसर और दिनेश ऐसे युवा हैं जो गुजरात में नौकरी करते थे और वहां से बेरोजगार होने के बाद अब बागप्रिंट में काम करना शुरू कर दिया है। कारीगर बढ़ने से उत्पादन बढ़ा और अब कोशिश यही है कि शहर के एयरपोर्ट और एक मॉल में आउटलेट शुरू किया जाए जहां इन युवाओं के बनाए उत्पाद रखे जा सकें।