इंदौर, नईदुनिया रिपोर्टर। कहते हैं भगवान राम के पिता राजा दशरथ जब युद्ध पर जाते थे तो अपने साथ पत्नी कैकेयी को भी रणक्षेत्र में ले जाते थे। वो भी दुश्मनों से लोहा लेती थीं। कथा ऐसी भी है कि एक बार राजा दशरथ जब घायल हो गए थे तो कैकेयी गजब के शौर्य का प्रदर्शन करते हुए उन्हें युद्ध क्षेत्र से सुरक्षित निकालकर लाई थीं। जिसके बाद राजा दशरथ ने उन्हें दो वरदान मांगने को कहा था और इस तरह भगवान राम के वनवास और राक्षसों के संहार की पृष्ठभूमि बनी। वीरांगना कैकेयी जैसी ही हैं आज की राजपूत वीरांगनाएं। ये न केवल घर को संभाल रही हैं, बल्कि पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकार बाहर की जिम्मेदारियों में भी हाथ बंटा रही हैं।
जो मातृत्व शक्ति घर में ओढ़नी ओढ़कर पति को लुभाती है वो वक्त पड़ने पर रणचंडी भी बन जाती है। सौंदर्य और शौर्य की प्रतीक ऐसी ही राजपूत घराने की महिलाओं और लड़कियों ने रविवार दोपहर एक गार्डन में आयोजित 'ओढ़नी राजपूत कल्चर' कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। एक तरह उन्होंने राजपूताना परिधानों में पूरे ग्रेस के साथ रैंप पर वॉक करके 'मिस ओढ़नी, मिसेज ओढ़नी, ब्यूटीफुल स्माइल, हेयर स्टाइल, अट्रैक्टिव ज्वेलरी, सो ब्यूटीफुल नथ' जैसे अवार्ड जीते तो दूसरी तरफ थाली के ऊपर हाथों में कटार और बंदूकें लेकर तलवार डांस से अपने अद्भुत शौर्य को भी दर्शाया।
कुरीतियों को उखाड़ फेंकने का संकल्प
राजपूतों के गौरवशाली इतिहास को युवाओं तक पहुंचाने और उन्हें अपनी जड़ों से जोड़ने के उद्देश्य से आयोजित कार्यक्रम में उन कुरीतियों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया, जिनके चलते महिलाएं समाज में कहीं न कहीं दोयम दर्जे का शिकार हो जाती हैं और तरक्की की दौड़ में पीछे छूट जाती हैं।
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने पूरी मजबूती के साथ इन कुरीतियों से लड़ने और इन्हें पूरी तरह दूर करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि झाबुआ महारानी दीप्ति सिंह और विशेष अतिथि विधायक ऊषा ठाकुर थीं। इस मौके पर जीतू परिहार, मालिनी गौड़ और माला ठाकुर मौजूद थीं। कार्यक्रम का संयोजन टि्वंकल राठौर और श्यामली सिद्धार्थ ने किया।
शस्त्रों के साथ शास्त्रों का पूजन
क्षत्राणी संगम क्लब परिवार ने दशहरे के उपलक्ष्य में शास्त्र और शस्त्र पूजन किया। कार्यक्रम में बेटी बचाओबेटी पढ़ाओ, बिटिया का भविष्य सुरक्षित बनाओ का संकल्प भी दिलाया गया। क्षत्राणी संगम क्लब परिवार की सपना राठौर, उर्मी चौहान, रंजना दीखित, सपना तंवर ने बताया कि क्लब राजपूताना परंपराओं, संस्कृति और संस्कारों को सिंचित और संवर्धित करने के साथ ही सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों पर भी कार्य करता है। कार्यक्रम में राजपूती पोशाकों में क्षत्राणियां और बच्चे थे, तो साफे में राजपूत सरदारों ने शास्त्र और शस्त्र पूजन कर युवाओं को संस्कृति से रूबरू कराया। कार्यक्रम की शुरुआत हनुमान चालीसा के पाठ से की गई। क्षत्राणी संगम क्लब द्वारा आयोजित विरासत और परंपरा के इस उत्सव में शस्त्रों के साथ शास्त्रों का पूजन किया गया ताकि नई पीढ़ी पुराने ज्ञान के भंडार को भी समझें और जानें कि पुरातन भारतीय विज्ञान कितना उन्नत था। कार्यक्रम में राम स्तुति, हनुमान चालीसा और दुर्गा स्तुति भी की गई। इस कार्यक्रम में शस्त्रों के साथ पुराने शास्त्र जैसे वेद, पुराण, गीता, रामायण और इनके साथ आधुनिक किताबें जैसे मेडिकल, मैनेजमेंट, लॉ और अन्य विषयों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। कार्यक्रम में मृदुला सिसोदिया, गीताजंलि पंवार, पल्लवी पंवार सहित 150 से अधिक परिवार की महिलाएं, पुरुष और युवा उपस्थित थे।