नहीं कोई एसोसिएशन
एजुकेशन हब में बदल चुके इंदौर में हर साल ढाई से तीन लाख छात्र-छात्राएं बाहर से पढ़ने आते हैं। इनमें संभ्रांत परिवारों के बच्चे पेइंग गेस्ट बनकर रहना पसंद करते हैं, क्योंकि वहां कोई पाबंदी नहीं होती है। राऊ, गीताभवन, विजय नगर-भंवरकुआं जैसे क्षेत्रों में तीन से साढ़े तीन हजार पेइंग गेस्ट हाउस हैं। इनका कोई एसोसिएशन नहीं है। न ही इनके लिए गाइडलाइन तय की गई है। इन पर निगरानी रखने के लिए कोई एजेंसी भी नहीं है। इसके चलते युवाओं को रातभर बाहर रहने की छूट मिल जाती है। मनचाहा किराया मिलता है इसलिए भी मकान मालिक कुछ कहते नहीं हैं, लेकिन शहर के बिगड़ते माहौल को देखते हुए अब इन पेइंग गेस्ट पर लगाम कसने की जरूरत है।
होस्टल और मेस संचालक एक ही
शहरभर में साढ़े चार हजार होस्टल हैं, जिसमें से बीते डेढ़ साल में पंद्रह प्रतिशत नए खुले हैं। दस प्रतिशत होस्टलों में न तो वार्डन हैं और न प्रबंधक। होस्टल का संचालन और मेस की जिम्मेदारी कई जगह एक ही व्यक्ति को दे रखी है। जबकि होस्टल एसोसिएशन की गाइडलाइन के मुताबिक होस्टल में वार्डन, प्रबंधक, मेस संचालक या कुक, हाउस कीपिंग एजेंसी रखना अनिवार्य है, लेकिन खर्च बचाने के लिए कई होस्टल संचालक इनका पालन नहीं करते हैं। इसका फायदा वहां रहने वाले युवा उठाते हैं, जो रात-रातभर होस्टल से गायब रहकर सड़कों पर नशे की हालत में उत्पात मचाते नजर आते हैं।
नहीं करते नियमों का पालन
होस्टल संचालन के लिए एसोसिएशन ने नियम बना रखे हैं। इसके अंतर्गत होस्टल संचालक को सत्र शुरू होते ही प्रबंधक और विद्यार्थियों की जानकारी संबंधित पुलिस थाने में तय प्रारूप में भरकर जमा करना होती है, जिसमें वार्डन, प्रबंधक, मेस संचालक, कुक व सुरक्षा एजेंसी के बारे में बताना है। दस्तावेज की एक प्रति थाने और एसोसिएशन को देना होती है। मगर अधिकांश होस्टल संचालक ऐसा नहीं करते हैं। साढ़े चार हजार में से महज एक हजार होस्टल संचालक ही गाइडलाइन का पालन करते हैं।
रात में बजाते हैं तेज आवाज में गाने
भंवरकुआं क्षेत्र में कोचिंग-कालेज और विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले अधिकांश विद्यार्थी होस्टल, पेइंग गेस्ट और किराए के मकान में रहते हैं। यहां आए दिन नशे की हालत में धुत युवाओं का रहवासियों से झगड़ा होता है। इंद्रपुरी निवासी बलबीर सिंह ने बताया कि शराब के नशे में धुत युवा इंद्रपुरी-विष्णुपुरी में देर रात तक हुड़दंग करते हैं। रात में तेज आवाज में कार के म्यूजिक सिस्टम पर गाने बजाते हैं। जब रहवासी मना करते हैं तो विवाद होता है।
युवक-युवतियां साथ में पीते हैं सिगरेट
तीन साल पहले भंवरकुआं क्षेत्र में रहवासियों ने होस्टल में रहने वाले युवाओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। शाम होते ही होस्टल के नीचे, कैफे और गार्डन में युवक-युवतियों को एक साथ सिगरेट पीते देखा जा सकता था। इसके चलते कालोनी का माहौल बिगड़ रहा था। रहवासी इकट्ठा हुए और होस्टल संचालन बंद करने की मांग उठाने लगे।
ये है गाइडलाइन
- रात आठ बजे से पहले होस्टल में आना जरूरी।
- रात 9 बजे प्रबंधन को विद्यार्थियों की अटेंडेंस लेना अनिवार्य।
- रात 10.30 बजे के बाद फोन पर बातचीत की मनाही।
- होस्टल परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगे हों।
- सिगरेट-शराब, तंबाकू प्रतिबंधित।
- बिना होस्टल प्रबंधन की अनुमति के बाहर रहने पर जुर्माना।
(इंदौर होस्टल आनर्स एसोसिएशन के अनुसार)
- होस्टल: साढ़े तीन से चार हजार
(बायज एक हजार, गर्ल्स ढाई हजार)
- पेइंग गेस्ट : ढाई से तीन हजार (अनुमानित)
- कोचिंग क्लासेस : साढ़े चार हजार
- ढाई से तीन लाख विद्यार्थियों की संख्या
रात आठ बजे से पहले आना जरूरी
रात 8 बजे से पहले होस्टल में आना विद्यार्थियों को जरूरी है। कुछ होस्टल में विद्यार्थियों पर नजर रखने के लिए वार्डन नहीं है। उनकी मान्यता निरस्त करवाई जाएगी, जो नियमों का पालन नहीं करते हैं।
- राजेंद्र दांगी, सचिव, इंदौर होस्टल आनर्स एसोसिएशन