Naidunia Abhiyan: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। तेजी से फैल रही नशे की लत के विरोध में अब इंदौर के डाक्टर भी आ गए हैं। उनका कहना है कि यह कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक है। समय रहते इलाज नहीं किया गया तो इस बीमारी को नासूर बनने में समय नहीं लगेगा। इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए हमें कुछ कड़े कदम उठाने से भी परहेज नहीं करना चाहिए। नशा युवाओं को पतन की ओर ले जा रहा है। इससे समाज लगातार खोखला हो रहा है। इस बीमारी के लिए कड़ी और कड़वी दवाई जरूरी है।
श्वसन तंत्र विशेषज्ञ डा. सलिल भार्गव का कहना है कि नशा हमारी युवा पीढ़ी को खत्म कर रहा है। उनमें धूमपान की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इंदौर में बड़ी संख्या में आसपास के शहरों से युवा पढ़ने आते हैं। आज 18-20 वर्ष के युवा चौराहों पर नशा करते हुए दिखते हैं तो दुख होता है। वे युवा जिनके हाथ में हमारे देश की बागडोर आने वाली है, वे नशे की गिरफ्त में अपना जीवन नष्ट कर रहे हैं।
आइएनए इंदौर के अध्यक्ष डा. अनिल भदौरिया ने कहा कि कई बार बच्चों में अकेलापन ज्यादा होता है। वे कोई रास्ता तलाशने की कोशिश करते हैं और धीरे-धीरे नशे की गिरफ्त में आ जाते हैं। संस्कारित परिवार के बच्चे भी इसकी ओर खिंचे चले जाते हैं। नशा करने वाले युवाओं में बड़ी संख्या लड़कियों की भी है। छोटे शहरों से युवा जब बड़े शहरों में आते हैं तो स्वतंत्र वातावरण की वजह से वे भ्रमित हो जाते हैं।
मनोरोग चिकित्सक डा. अशोक डागरिया के अनुसार, इंदौर में नशा लगातार बढ़ रहा है। इसके पीछे बड़ी वजह नाइट कल्चर है। देर रात सड़कों पर न पुलिस नजर आती है, न पुलिसिंग। नशा सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी व्यक्ति को बीमार कर देता है। क्लीनिक में आने वाले ज्यादातर मरीजों में नशे की प्रवृत्ति मिलती है। अब भी कुछ नहीं किया तो देर हो जाएगी।
वरिष्ठ चिकित्सक डा. संजय लोंढे का कहना है कि प्रशासनिक व्यवस्था ही गड़बड़ है। देर रात तक शराब दुकानें और पब खुले रहते हैं। नियम बनाएं कि रात 12 बजे बाद जो भी नशा करके हंगामा करेगा या नशा परोसते दिखेगा, उसे तुरंत जेल भेजा जाए। नियमों का उल्लंघन करने वाली शराब दुकानों का लाइसेंस हमेशा के लिए रद करना चाहिए। दिखावटी नहीं, वास्तविक कार्रवाई होना चाहिए।