Nai Nazar Indore: शहर के चौराहों पर बिक्री करने की बढ़ती बीमारी
Nai Nazar Indore: सिगरेट भी चौराहे पर आग्रह के साथ बिकने लगेगी तो बुरे असर की कल्पना ही की जा सकती है।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Thu, 10 Aug 2023 01:06:53 PM (IST)
Updated Date: Thu, 10 Aug 2023 01:06:52 PM (IST)
इंदौर के किसी भी चौराहे पर सिग्नल लाल होते ही सामान बेचने वाले लोग आकर गाड़ी को घेर लेते हैं। Nai Nazar Indore: नई नजर, अश्वनी शुक्ला
गलत चीजों का बढ़ना कतई अच्छा नहीं कहा जा सकता। शहर के प्रमुख चौराहों पर रेड लाइट पर रुके लोगों का तरह-तरह की चीजें बेचने वालों से वास्ता पड़ता है। इस तरह की बिक्री
यातायात में खलल पैदा करती है तो कभी हादसे का सबब भी बन सकती है। लोगों की परेशानी यह भी है कि वे बेवजह ही यह सब झेलने के लिए मजबूर हैं।
रोजगार या गरीब की मदद के नाम पर इनकी अनदेखी कर दी जाती है, जीवन चलता रहता है। एक चौराहे पर युवक सिगरेट के पैकेट बेचता दिखा। अब बेच रहा था तो सभी से आग्रह भी करना तो बनता है। उससे सवालनुमा सलाह- कोई अच्छी चीज बेचो। जवाब- मैं पीता नहीं हूं, पीना गलत है। लाइट ग्रीन हो गई इसलिए बढ़ना पड़ा लेकिन अब सिगरेट भी चौराहे पर आग्रह के साथ बिकने लगेगी तो बुरे असर की कल्पना ही की जा सकती है।
गुटखा शर्मिंदा करना नहीं छोड़ेगा भिया
गलत आदतें केवल व्यक्ति विशेष के लिए ही नहीं, सारे समाज के लिए नुकसानदेह होती हैं। देश के
सबसे स्वच्छ शहर में इसे आसानी से समझा जा सकता है। गीला-सूखा कचरा अलग कर लिया जाता है। सड़कों का कचरा बुहार लिया जाता है। मशीन से धूल तक साफ कर दी जाती है लेकिन गुटखे और पान की पीक के दाग का क्या। चौराहों के आसपास के डिवाइडर इनसे रंगे रहते हैं। कितना संसाधन इसे साफ करने में लगता है और गंदा करने वालों को फिक्र नहीं। स्वच्छता के लिए अब तो यही चुनौती है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव जनता का हाल जानने बस में क्या चले, एक आदमी ने चलती बस से सड़क पर गुटखा थूककर इस बीमारी की गंभीरता बता दी। इसके वायरल वीडियो ने रही-सही कसर भी पूरी कर दी। कई शहरवासियों में यह गंदी आदत है इसलिए उन पर सख्ती करने में कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए।
ये लिफ्ट नहीं आसां, चढ़कर ही जाना है
सरकारी दफ्तरों में अव्यवस्था के कई रंग-रूप होते हैं। एक रंग लिफ्ट का भी है। पुराने भवनों की तो छोड़ दीजिए, अपेक्षाकृत नए प्रशासनिक संकुल में भी लिफ्ट बंद हो गई। वो तो जनसुनवाई का दिन था, कलेक्टर को पता चल गया कि इस वजह से दिव्यांग ऊपर नहीं आ पा रहे हैं। उन्होंने संवेदनशीलता दिखाई ग्राउंड फ्लोर पर उन तक पहुंच गए लेकिन आम दिनों का क्या। केवल दिव्यांग ही क्यों, उम्रदराज लोगों और अन्य कई लोगों को लिफ्ट की आवश्यकता होती है, इसलिए वह बंद होनी ही नहीं चाहिए। आखिर मेंटेनेंस भी तो कोई चीज होती है। दरअसल, प्रशासनिक व्यवस्था में जब तक लोगों पर प्रभाव का सिद्धांत नहीं समझा जाएगा तब तक समूचा प्रशासन संवेदनशील नहीं हो पाएगा। संवेदनशीलता का तत्व समाज से लगातार कम होता जा रहा है और यही सर्वाधिक चिंता का विषय है, बाकी समस्याएं तो अलग बात हैं।
लेडी के डान बनने की तरफ बढ़ते कदम
बीते दिनों की शहर की कई अपराध कथाओं को रिकाल करें तो एक नया लेकिन बेहद चिंतनीय पहलू सामने आ रहा है। एक युवती और उसके कथित दोस्तों ने रात में कार रोककर पूर्व प्रेमी पर चाकू चलाए। पूर्व प्रेमी के साथी की मौत हो गई। यानी हत्याकांड में सीधा युवती का हाथ। एक धार्मिक स्थल पर पेट्रोल फेंकने वाले गिरोह की महिला सदस्य, वह भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाली। बाकी बीआरटीएस पर नशे में धुत होकर हंगामा करती युवतियों के वीडियो पुराने हो चले हैं। इंदौर जैसे शांत शहर में तो यह बिल्कुल नई व खराब प्रवृत्ति है। पुलिस और समाजशास्त्रियों की जिम्मेदारी बढ़ रही है बाकी अभिभावकों को तो हमेशा ही अपने बच्चों पर नजर रखनी चाहिए। जो बाहर से आते हैं उनकी निगरानी पर तो और सख्ती की आवश्यकता है क्योंकि सवाल भविष्य और कानून-व्यवस्था का है।