इंदौर। हनीट्रैप कांड में आरोपित श्वेता विजय जैन पर बीती सरकार की मेहरबानी के किस्से बाहर आने लगे हैं। सागर की रहने वाले श्वेता जैन किशोर न्याय बोर्ड (जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड) में सदस्य नियुक्त किया गया था। प्रदेश की बीती सरकार में पूरे आठ वर्ष तक बोर्ड में सदस्य के तौर पर पदस्थ रही। सामाजिक कार्यकर्ता बताते हुए राज्य सरकार की ओर से श्वेता की बोर्ड में नियुक्ति की गई थी। गुरुवार को कांग्रेस ने श्वेता की नियुक्ति के दस्तावेज सार्वजनिक करते हुए आरोप लगाए।
कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेशसिंह यादव ने पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हनीट्रैप की मास्टरमाइंड को संरक्षण दे रहे थे। यादव ने दस्तावेज सार्वजनिक करते हुए कहा कि 2006 से 2014 तक लगातार आठ वर्ष तक श्वेता जैन सागर के किशोर न्याय बोर्ड में सदस्य रही। खास बात ये है कि बोर्ड में सदस्य की नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश एक चयन समिति करती है। इसमें जिला व सत्र न्यायाधीश, जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक होते हैं।
कमेटी के नामों पर राज्य सरकार मुहर लगाकर नियुक्ति आदेश जारी करती है। बोर्ड को दंड प्रक्रिया संहिता के तहत शक्तियां होती हैं। किशोरों से जुड़े मामलों व पुनर्वास आदि के प्रकरणों का निराकरण बोर्ड करता है। किशोर बोर्ड की वर्षों तक सदस्य रही महिला आज हनीट्रैप कांड में पकड़ी गई। ऐसे में सवाल उठता है कि उस पर राज्य सरकार ने जमकर मेहरबानी क्यों की? नियमानुसार सिर्फ 3 साल के लिए बोर्ड का गठन होता है।
साथ ही किसी भी सदस्य को सिर्फ दो कार्यकाल तक नियुक्ति दी जा सकती है। ऐसे में यह सवाल भी खड़ा हो रहा है कि आखिर श्वेता को आठ वर्ष तक कैसे सदस्य बनाए रखा गया? इस नियुक्ति में उस वक्त पदस्थ अधिकारियों के साथ सरकार की भूमिका भी जांच होनी चाहिए। अंदेशा है कि किशोर न्याय बोर्ड में अपने पद का लाभ लेकर श्वेता ने कई युवतियों को गलत रास्ते पर धकेला हो।
कंपनी, कार, बैंक बैलेंस और संपत्ति की जांच
पुलिस ने आरोपितों की कंपनी, ठेके, महंगी कारों और अन्य संपत्ति की जांच कर रही है। अभी तक 12 से ज्यादा खातों की जानकारी मिल चुकी है। इनमें कई लोग ऑनलाइन रुपए ट्रांसफर करते थे। एएसपी अमरेंद्र सिंह के अनुसार, अभी पूछताछ शेष है। शुक्रवार को दोबारा रिमांड बढ़ाया जा सकता है। जरूरत पड़ने पर जेल में बंद आरोपित दोनों श्वेता और बरखा का भी रिमांड लिया जा सकता है। न्यायालय से अनुमति लेकर जेल में भी पूछताछ कर सकते हैं।