By Hemant Kumar Upadhyay
Edited By: Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Wed, 06 Mar 2024 07:40:17 AM (IST)
Updated Date: Wed, 06 Mar 2024 07:41:02 AM (IST)
उज्ज्वल शुक्ला, इंदौर। मध्य प्रदेश की राजनीति में मालवा-निमाड़ का विशेष योगदान माना जाता है। जब से प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है, तब से इस क्षेत्र पर पूरे देश की निगाहें टिक गई हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव भी मालवा की धरती से ही आते हैं, इसके अलावा प्रदेश के कई कद्दावर मंत्रियों की भी साख मालवा-निमाड़ से जुड़ी है। पूरे देश में
लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और भाजपा ने 195 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर बाजी मारने का प्रयास किया है।
आठ सीटों में से पांच पर उम्मीदवार घोषित
भाजपा ने मालवा-निमाड़ की आठ सीटों में से पांच पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। टिकट वितरण में पिछड़ी कांग्रेस के लिए मालवा-निमाड़ में 2019 के लोकसभा चुनाव के 23 लाख 78 हजार वोटों के अंतर को पाटना बड़ी चुनौती होगी। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस अंतर को कम जरूर किया है, पर अभी भी भाजपा और कांग्रेस के वोटों में नौ लाख से भी ज्यादा का अंतर बरकरार है।
आठ सीटें भाजपा के कब्जे में
2019 के लोकसभा चुनाव में इस अंचल की पूरी की पूरी आठ सीटें भाजपा के कब्जे में गई थीं। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इन सीटों की 64 विधानसभा सीटों में से 47 पर अपना कब्जा जमाया है। इन आठ लोकसभा सीटों में से सिर्फ धार और खरगोन में ही भाजपा को कांग्रेस से कम सीटें मिली हैं। भाजपा ने जब महाकाल की नगरी उज्जैन के विधायक मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया था तो उसके जवाब में कांग्रेस ने भी मालवा से ही जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष और उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष बनाकर बड़ा दांव खेला था। इस कारण दोनों दलों के प्रमुख नेतृत्व का मालवा-निमाड़ गृह क्षेत्र है। यहां जीत दोनों दलों के लिए अहम हो जाती है।
प्रत्याशी चयन भी है एक चुनौती
भाजपा ने अंचल की पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इनमें चार सीटों पर पुराने चेहरों को ही मैदान में उतार गया है तो रतलाम-झाबुआ सीट पर चेहरा बदलते हुए महिला प्रत्याशी पर दांव लगाया है। कांग्रेस इस मामले में भी बुरी तरह से पिछड़ गई है। इन सीटों पर कई नेताओं के नाम चर्चा में चल रहे हैं, पर आगे रहकर कोई भी चुनाव लड़ने का मन नहीं बना रहा है।
आदिवासी सीटें भाजपा के लिए खतरा
अंचल की तीन आदिवासी सीटों धार, झाबुआ-रतलाम और खरगोन की बात करें तो यहां पर भाजपा का अंतर दोनों ही चुनावों में कम रहा है। 2019 में तो फिर भी भाजपा ने अच्छी बढ़त ली थी, पर विधानसभा चुनावों में ये अंतर हजारों में रह गया है। धार और खरगोन में अंतर सबसे कम है। इन सीटों पर भाजपा की राह आसान नहीं मानी जा सकती है। धार में कम अंतर और विधानसभा चुनाव में मिली कम सीटों के कारण ही शायद भाजपा ने यहां पर अपनी प्रत्याशी होल्ड किया हुआ है।
भाजपा की जीत के नए रिकार्ड बनेंगे
हम विकासवाद की राजनीति करते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकारों ने जनजीवन में जो बदलाव किया है, वो स्पष्टता से नजर आता है। हमारी बूथ स्तर के कार्यकर्ता और हितग्राही भरपूर उत्साहित है। इस बार भाजपा की जीत के नए रिकार्ड स्थापित होंगे।
-आशीष अग्रवाल, प्रदेश मीडिया प्रभारी, भाजपा
ईमानदारी से चुनाव हो तो हम बढ़त बना लेंगे
हम इस अंतर को समाप्त करने लक्ष्य और संकल्प के साथ इस चुनाव में उतर रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों का अंतर 2023 के विधानसभा चुनाव में बराबर हो जाता यदि ईवीएम के माध्यम से वोटों की लूट नहीं होती। हम फिर दोहराना चाहेंगे कि यदि ईमानदारी से चुनाव करा लिए जाए तो यह अंतर पार कर हम बढ़त बना लेंगे।
- केके मिश्रा, चेयरमैन, मीडिया विभाग ,कांग्रेस