- कहीं दो करोड के स्वर्ण आभूषण से होगा शृंगार, कहीं मोतियों से शृंगार करेंगे
Ganesh Chaturthi 2022: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। अहिल्या की नगरी में दस दिनी गणेशोत्सव के नजदीक आते ही शहर के प्राचीन गणेश मंदिरों में तैयारियों का दौर शुरू हो गया है। उल्लेखनीय है कि गणेश चतुर्थी 31 अगस्त से शुरू होगा। कहीं सवा लाख लड्डुओं का महाभोग लगेगा तो कहीं मोतियों का चोला चढ़ाया जाएगा। दो करोड के स्वर्ण आभूषण से शृंगार होगा। इन मंदिरों को लेकर भक्तों की खास आस्था है। कोरोना से राहत मिलने के बाद दो साल बाद गणेशोत्सव को लेकर भक्तों में दुगना उल्लास है। इन मंदिरों का अपना खास ऐतिहासिक महत्व के चलते शहर के खजराना गणेश, जूना चिंतामण और बड़ा गणपति मंदिर में इस दौरान दर्शन-पूजन के लिए हजारों भक्त उमड़ते है।
खजराना गणेश मंदिर : मनोकामना पूर्ति के लिए बनाते हैं उल्टा स्वातिक
शहर के पूर्वी क्षेत्र में स्थित खजराना गणेश मंदिर की पहचान देश-दुनिया में है। यहां भक्त मनोकामना पूर्ति के लिए उल्टा स्वातिक बनाते हैं और मोदक का भोग लगाया जाता है। मनोकामना पूरी होने पर तीन परिक्रमा लगाकर धागा बांधते हैं। शहर में विवाह, गृह प्रवेश और जन्मदिन के अतिरिक्त धार्मिक-सामाजिक व राजनैतिक संगठनों द्वारा पहला निमंत्रण दिया जाता है। वाहन खरीदने के बाद पूजन के लिए भी लोग यहां पूजा अर्चना के लिए आते हैं। धनतेरस पर यहां पूजा अर्चना के लिए लंबी कतारे लगती है। दस दिनी गणेशोत्सव के दौरान दो करोड के स्वर्ण आभूषण से शृंगार किया जाएगा। मुख्य पुजारी अशोक भट्ट के अनुसार के अनुसार मंदिर का निर्माण देवी अहिल्या ने 1735 में किया था।
बड़ा गणपति मंदिर: मूर्ति निर्माण में हुआ सोना-चांदी व रत्नों का उपयोग
शहर के पूर्वी क्षेत्र के बड़ा गणपति चौराहा पर स्थित बड़ा गणपति मंदिर भक्तों में आस्था का केंद्र है। यहां 25 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर पर की विशाल प्रतिमा के शृंगार के लिए आठ दिन का वक्त लगता है।मूर्ति के निर्माण में चूना, गुड़, रेत, मिट्टी, सोना, मैथीदाना, चांदी, लोहा, अष्टधातु व नवरत्न का उपयोग किया गया। पुजारी धनेश्वर दाधीच के अनुसार चतुर्थी पर गणेश आराधना, हवन और दोपहर 12 बजे महाआरती की जाती है।दस दिन तक दर्शन पूजन के लिए भक्तों की लंबी कतार लगती है।
जूना चिंतामण मंदिर : आए थे समर्थ रामदास, स्थापित की थी हनुमानजी की मूर्ति
शहर का सबसे पुराना मंदिर जूना चिंतामण गणेश मंदिर का निर्माण सन् 1300 का बताया जाता है। यहां पर मंदिर की घंटियों से ज्यादा फोन की घंटियां बजती हैं। लोग देश-विदेश से फोन करके अपनी समस्या बतलाते हैं। पहले यहां पत्र आते थे, अब इनकी संख्या कम हो गई है। समस्या पूरी होने पर मनोकामना के मुताबिक पूजा-अनुष्ठान भी करते हैं। पुजारी सुशील शास्त्री के मुताबिक मंदिर पर छत्रपति शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास भी आ चुके हैं। यहां उन्होंने हनुमानजी की मूर्ति स्थापित की है।
सिद्धि विनायक गणेश मंदिर : रिद्धि-सिद्ध संग विराजे गणेश देते अष्ट सिद्धि का आशीष
शहर के पश्चिम क्षेत्र स्थित उषा नगर में सिद्धि विनायक गणेश मंदिर में सिद्धि विनायक रिद्धि-सिद्धि के संग विराजित होकर अष्ट सिद्धि का आशीष देते हैं। जयपुर से लाई गई तीन फीट की संगमरमर के गणेश का स्वरूप देखते ही बनता है। बताया जाता है कि भगवान का सिद्धि विनायक स्वरूप जल्दी प्रसन्न होता है। यहां शिव पंचायत के अतिरिक्त दुर्गा माता व राधा कृष्ण का मंदिर भी है। यहां गणेशोत्सव श्रद्धा व उल्लास से मनाया जाता है।
200 वर्षों से भक्तों के बीच आस्था केंद्र
यशवंतगंज में 200 वर्ष पुराना सिद्धि विनायक गणेश मंदिर है।इस मूर्ति की सुंड बाईं तरफ है और उसमें ढाई बल पड़े हुए हैं। यहां हर दिन मंदिर में विशेष शृंगार किया जाता है। मंदिर का जीर्णोद्धार 1905 में किया गया था। सिद्धि विनायक को सिद्धि का दाता माना जाता है। उनकी आराधना मनोवांछित फल मिलता है। अध्यक्ष अजय किबे बताते है कि पांच सदस्यी ट्रस्ट इस मंदिर का संचालन करता है।