Master Plan Indore: मुख्यमंत्री सचिवालय में अटका इंदौर का मास्टर प्लान
Master Plan Indore: नतीजा, शहरों का हो रहा अनियोजित विकास।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Wed, 26 Apr 2023 01:38:49 PM (IST)
Updated Date: Wed, 26 Apr 2023 01:38:49 PM (IST)
Master Plan Indore: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। प्रदेश के शहरों का बहुप्रतीक्षित मास्टर प्लान मुख्यमंत्री सचिवालय में अटक गया है। नगरीय विकास और आवास विभाग द्वारा दावे-आपत्ति बुलाने के बाद संशोधित मास्टर प्लान का प्रस्ताव मुख्य सचिव की सहमति के साथ मुख्यमंत्री सचिवालय भेजा गया था, लेकिन उसे हरी झंडी नहीं मिल पा रही है। भोपाल के मास्टर प्लान की अवधि 2005 में समाप्त हो चुकी है। वहीं, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर के मास्टर प्लान की समय अवधि 2021 में समाप्त हो गई है।
मुख्यमंत्री ने नवंबर 2021 में बनारस में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बैठक में शामिल होने के बाद सभी मास्टर प्लान एक महीने के अंदर तैयार करने के निर्देश दिए थे। नगरीय विकास और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने मास्टर प्लान तैयार तो करवाए, लेकिन चुनावी वर्ष होने के कारण इसके प्रस्ताव फिर अटक गए। इन शहरों के अनियोजित विकास के चलते जनता में भी खासी नाराजगी है। बावजूद इसके राज्य सरकार ने अब तक मास्टर प्लान का प्रकाशन नहीं कराया है।
अब फिर मुख्यमंत्री सचिवालय मास्टर प्लान को लेकर पुनर्विचार कर रहा है। बता दें कि कुछ दिन पहले ही सांसद शंकर लालवानी के नेतृत्व में इंदौर के प्रबुद्धजनों का एक दल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिला था और इंदौर के मास्टर प्लान को लेकर सुझाव दिए एवं इसे शीघ्र लागू करने का आग्रह किया था।
सड़कें छह लेन करनी शुरू, लेकिन भवन बनाने में एफएआर अब भी कम
इंदौर-भोपाल में तेजी से हो रहे विकास कार्य के कारण कई आवासीय क्षेत्र व्यावसायिक क्षेत्र में बदल गए हैं, लेकिन मास्टर प्लान न होने से रहवासियों को एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) सहित अन्य गतिविधियों में नुकसान हो रहा है। राजधानी की चूनाभट्टी कोलार रोड छह लेन बनाने का कार्य शुरू हो गया है, लेकिन सड़क से लगे आवासीय क्षेत्रों में भवन निर्माण का एफएआर नहीं बढ़ाया गया है। चूनाभट्टी में अब भी पुराना एफएआर निर्धारित है। घनी आबादी होने के बाद भी कम एफएआर होने के कारण भूमि का समुचित तरीके से उपयोग नहीं हो पा रहा है। इससे निर्माण कार्य कम हो रहे है और शासन को राजस्व क्षति हो रही है। चूनाभट्टी के रहवासियों ने शासन से एफएआर बढ़ाने की मांग की है। मास्टर प्लान न बनने से यह समस्या आ रही है।
शहर - मास्टर प्लान की अवधि
भोपाल - 2005
इंदौर - 2021
ग्वालियर - 2021
जबलपुर - 2021
चर्चा के लिए पांच मई को इंदौर आएंगे प्रमुख सचिव
इंदौर का मास्टर प्लान की अवधि 2021 में खत्म होने के बावजूद अभी तक नया मास्टर प्लान लागू नहीं हो सका है। इंदौर उत्थान अभियान समिति के समिति के पदाधिकारी इस संबंध में पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी मिले थे। इसके बाद 5 मई को प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई और नगर एवं ग्राम निवेश के आयुक्त मुकेश गुप्ता विभाग के अन्य अधिकारियों के साथ इंदौर आएंगे और इंदौर उत्थान समिति के प्रतिनिधियों से चर्चा कर इंदौर के मास्टर प्लान के लिए दिए जाने वाले सुझावों पर चर्चा करेंगे।
कोई कंगाल और कोई मालामाल न हो जाए
इंदौर उत्थान अभियान के अध्यक्ष अजीत सिंह नारंग के मुताबिक हमारी मांग है कि सामाजिक दृष्टि से गरीबों की बस्तियों को नियमित किया जाए। इंदौर में गंदे पाकेट न रहे और लोगों को नारकीय जीवन जीना न पड़े। मास्टर प्लान में भूमि वर्गीकरण इस तरह न हो कि कोई कंगाल हो जाए और कोई मालामाल हो जाए। टीडीआर के नियम फाइनल नहीं हुए और इसका क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है।
10-10 साल का मास्टर प्लान बनाना ही सही
नगर एवं ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक एसके मुदगल के मुताबिक शासन द्वारा फिलहाल इंदौर के वर्ष 2035 तक के लिए मास्टर प्लान बनाना तय किया गया है। पुराने मास्टर प्लान की समयावधि भले ही खत्म हो गई है, लेकिन वह अब भी लागू है। नया मास्टर प्लान लागू नहीं होने से शहर के किसी भी विकास कार्य पर कोई असर नहीं पड़ता है। पूर्व में जो मास्टर प्लान लागू था, उसमें भले ही प्रधानमंत्री आवास योजना, मेट्रो, बीआरटीएस व बायपास का प्रविधान नहीं था लेकिन बाद में इन्हें भी जोड़ा गया। वर्तमान में जितनी तेजी से तकनीकी व भौगोलिक बदलाव हो रहे है, उसके अनुसार 10-10 साल का प्लान बनाना ही सही है।