Indore Zoo: रामकृष्ण मुले, इंदौर। (नईदुनिया)। अच्छी देखरेख, खानपान और वातावरण के कारण शहर के कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में पिछले चार वर्षों में घड़ियालों की संख्या काफी बढ़ी है। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की अनुमति से पिछले दो साल में देहरादून, औरंगाबाद और वड़ोदरा चिड़ियाघर को 15 घड़ियाल उपहार में देने के बाद भी यहां 52 घड़ियाल शेष हैं। देश के चिड़याघरों में उड़ीसा के नंदन कानन जुलॉजिकल पार्क के बाद सबसे ज्यादा घड़ियाल इंदौर के चिड़ियाघर में ही हैं।
चिड़ियाघर में इनके प्रजनन को बढ़ावा देने के प्रयास पांच साल पहले शुरू हुए थे। इसके लिए इन्हें उनका पसंदीदा माहौल देना आवश्यक था। घड़ियालों के लिए यहां दो जलकुंड बना गए हैं। इनकी लंबाई 24 फीट, चौड़ाई 10 फीट और गहराई 6 फीट है। घड़ियालों को साफ पानी रास आता है। इसलिए जलकुंड में समय-समय पर पानी बदला जाता है। जलकुंड के आसपास रेत के टीले भी बनाए गए जिससे घड़ियाल जरूरत के अनुरूप शरीर काा तापमान बनाए रख सकें। भोजन में मछलियों के साथ विटामिन, मिनरल और अन्य पूरक आहार देने की व्यवस्था की गई।
वाइल्ड लाइफ एसोसिएशन के सदस्य अजय जैन बताते हैं कि घड़ियाल वर्ष में एक बार 30-35 अंडे देते हैं। इसमें से कुछ खराब हो जाते हैं और कुछ लुढ़क कर टूट जाते हैं। करीब पांच-छह अंडों से बच्चे निकलते हैं।
कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय के प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने बताया कि घड़ियालों को उनकी पसंद का वातावरण मिलने के अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। उड़ीसा के जुलॉजिकल पार्क के बाद देश के चिड़ियाघरों में घड़ियालों की संख्या के लिहाज से हम दूसरे नंबर पर हैं। फिर हैदराबाद का चिड़ियाघर है। मध्यप्रदेश के तीन चिड़ियाघरों में से घड़ियाल मात्र इंदौर में ही हैं।
ऐसी होती है पहचान
नर की पहचान उसके थूथन के अंत में बने घड़े जैसे आकार से होती है। इसके अलावा जिनके थूथन पर घड़े जैसा आकार नहीं होता, वे सभी मादा कहलाती हैं।