Indore News: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। इंदौर के ढक्कनवाला कुआं स्थित ग्रामीण हाट बाजार में जैविक महोत्सव के शुभारंभ शुक्रवार को हुआ। इसमें किसानों ने जैविक खेती के उत्पादों के स्टाल लगाए हैं। तीन दिवसीय महोत्सव के शुभारंभ समारोह में मिलेट मैन के नाम से प्रसिद्ध डा. खादर वली शामिल हुए। उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मोटे अनाज में फाइबर की प्रचुर मात्रा होती है, इसका उपयोग खाने में करने से कैंसर, हृदयघात, मधुमेह जैसे रोगों को दूर किया जा सकता है। यदि मनुष्य पूरी तरह से शाकाहारी हो जाए और गेहूं, चावल एवं दूध का सेवन पूरी तरह से बंद कर दे, तो बिना दवाओं के लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है।
डा. वली ने कहा कि हरित क्रांति के नाम पर डायबिटीज और श्वेत क्रांति के नाम पर थायराइड की बीमारी लोगों को लगा दी गई। हरित क्रांति ने हमारी सबसे खास फसल बाजरा को हमसे दूर कर दिया। देशी आहार को हटाकर हमारी थाली में चावल, गेहूं के रूप में कारपोरेट अनाज परोसा जा रहा है। हरित क्रांति के नाम पर देश की कृषि में बिजनेस घुसा दिया गया है। पेस्टीसाइड कृषि पद्धति नहीं, व्यापार का प्रकार है। इसके कारण देश में अस्पतालों की संख्या कम होने की अपेक्षा बढ़ती जा रही है।
डा. वली ने बताया कि आदिकाल से हमारे किसान ही बीज बनाते थे, लेकिन आज किसानों से बीज का हक सीड कंपनियों ने छीन लिया है। किसानों से बीज खरीदकर अपना टैग लगाकर वही बीज किसानों को ही उच्च ग्रेड का बताकर बेचा जा रहा है। बीमारी के बिना जीवन जीना है, तो मोटे अनाज को उगाना होगा और उनका उपभोग भी करना जरूरी है। मोटे अनाज हमारे भोजन का अहम हिस्सा हैं। मोटे अनाज में पानी का कम उपयोग होता है और बंजर भूमि को भी उपजाऊ बनाया जा सकता है। इनके सेवन से कैंसर, मधुमेह, बीपी, हृदयघात जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।
आज मोटे अनाज में दुनिया आरोग्य देख रही है। इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को मोटे अनाजों का वर्ष घोषित किया है। विश्व के कई देश अब मोटे अनाज उगा रहे हैं। भारत में भी इसका दायरा बढ़ता जा रहा है। स्वस्थ रहने के लिए मोटे अनाज के साथ ही जैविक खेती की ओर लौटना होगा।