Indore News: नईदुनिया प्रतिनिधि इंदौर। इंदौर सहित प्रदेश के शहरों में हरियाली की स्थिति ठीक नहीं है। पिछले दिनों सामने आई एक रिपोर्ट में इंदौर शहर का ग्रीन इंडेक्स 9 बताया गया है, जो कि उम्मीद से कम है। हालांकि, प्रदेश के अन्य शहरों में भी हरियाली घटने के साथ पेड़ों की संख्या में कमी हुई है। किंतु इंदौर में आबादी के मान से पेड़ों की संख्या कम होना चिंतनीय विषय है। पेड़ पर्यावरण सुधार में अहम भूमिका निभाते हैं।
एक समय था, जब इंदौर को हरियाली के कारण पहचाना जाता था। कहा तो यह भी जाता है कि पं. जवाहरलाल नेहरू इंदौर को बाग-बगीचों वाला शहर कहते थे। इसकी वजह यह थी कि उस वक्त यहां कई बड़े-बड़े बगीचे थे और कई क्षेत्रों के नाम पेड़-पौधों के नाम पर ही रखे गए थे। नौलखा, बड़वाली चौकी, मोरसली गली, खजूरी बाजार, इमली बाजार, माणिकबाग, रामबाग आदि इसके उदाहरण हैं। बीते दिनों यूनाइटेड नेशन एंवायरमेंट प्रोग्राम के पेरिस समझौते के तहत प्रदेश सरकार ने राज्य के 14 नगर निगमों का अध्ययन कर यह इंडेक्स जारी किया है। यह अध्ययन बगीचे, प्रदूषण, पौधारोपण, एयर क्वालिटी इंडेक्स, रिन्युअल एनर्जी और ग्रीन व्हीकल के आधार पर जारी किया गया। इसमें इस बात का भी समावेश है कि जहां का इंडेक्स 1 से 20 के मध्य है, वहां सुधार की बहुत आवश्यकता है।
इंदौर में चारों तरफ बड़ी-बड़ी इमारतें बन गई है। कई जगह तो पेड़ लगाने तक की जगह नहीं है।
वरिष्ठ पर्यावरणविद् डा. ओपी जोशी कहते हैं कि वर्तमान में इंदौर में हरियाली का ग्राफ कम हुआ है। वर्ष 1970-75 में शहर में हरियाली जहां करीब 30 प्रतिशत थी, वह अब घटकर नौ से 10 प्रतिशत ही रह गई है। यहां अगर हरियाली बढ़ाना है, तो हमें अन्य प्रांतों की तरह कार्य करना होगा। शहरी क्षेत्रों में पेड़ों को बचाने के लिए देश के विभिन्न प्रातों में कई अनूठे प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश व इंदौर में हरियाली इंडेक्स बेहतर बनाने के लिए ऐसे ही प्रविधानों की आवश्यकता है। शहर के विकास के लिए जो भी योजना बने, वह हरियाली को ध्यान में रखकर बनाई जाए। होता यह है कि विकास पहले सोचा जाता है और हरियाली के बारे में बाद में विचार होता है। पौधारोपण तो होता है, लेकिन विकास के नाम पर पेड़ों को काट दिया जाता है।
पर्यावरणविद् डा. एसएल गर्ग के अनुसार, पौधारोपण होता तो है, लेकिन उसके बाद उसकी देखरेख नहीं होती। परिणाम यह होता है कि देखरेख के अभाव में पौधे पनप नहीं पाते। प्रत्येक वर्ष जितने पौधे रोपित किए जाते हैं, उनमें से महज 10 प्रतिशत पौधे ही पनप पाते हैं। यदि शहर में हरियाली का इंडेक्स बढ़ाना है, तो पहले तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर घर के बाहर एक वृक्ष हो। एक शोध में यह बात भी सामने आई है कि यदि एक ही प्रजाति के दो पौधे साथ में लगाए जाएं, तो वे ज्यादा बेहतर ढंग से पनप पाते हैं। कई बार लोग नर्सरी से पौधा लाकर सीधे जमीन में रोपित कर देते हैं, जबकि पौधा लाकर करीब सात दिन वहां रखना चाहिए ताकि वह माहौल में रम सके। उसके बाद उसे मिट्टी में रोपें।
पर्यावरणविद् डा. दिलीप वाघेला के अनुसार, इंदौर में वर्तमान में स्थानाभाव एक बड़ी समस्या है, इसलिए भी हरियाली का ग्राफ घट रहा है। ऐसे में मियावाकी पद्धति और मल्टीलेवल प्लांटेशन जैसी अवधारणा पर ध्यान देते हुए पौधारोपण करना होगा। इसका लाभ यह होगा कि कम स्थान पर भी सघन हरियाली की जा सकेगी। वर्तमान में पेड़ ज्यादा कट रहे हैं और लगाए कम जा रहे। ऐसे में कटाई पर नियंत्रण लगाना होगा। भोपाल नगर निगम ने नियम पारित किया है कि एक पेड़ की कटाई होने पर 50 हजार रुपये का अर्थदंड भरना होगा। इस तरह से पेड़ की कटाई रुक रही है। ऐसा ही सख्त नियम इंदौर में भी लागू किया जाना चाहिए। इससे पेड़ कम कटेंगे और नगर निगम का कोष भी भर पाएगा।