नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। अंदरुनी कलह से जूझ रही कांग्रेस में अब नए ऑडियो ने खलबली मचा दी है। फोन पर हुई इस बातचीत की रिकार्डिंग के आधार पर अब आरोप लग रहे हैं कि पहले से योजना थी कि कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में इंदौर सीट से उम्मीदवार विहीन कर दिया जाए। आरोपों के घेरे में खुद कांग्रेस के पदाधिकारी ही है।
रिकॉर्डिंग डमी उम्मीदवार बनाए गए मोती सिंह पटेल और कांग्रेस विधि प्रकोष्ठ के अध्यक्ष जय हार्डिया के बीच की बताई जा रही है। फोन पर हुई चर्चा में मोती सिंह और उनका एक वकील निर्दलीय के रूप में भी नामांकन दाखिल करने की बात कर रहे हैं, जबकि दूसरी ओर मौजूद जय हार्डिया सिर्फ कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल करने की ताकीद कर रहे हैं।
लोकसभा चुनाव में नाम वापसी के आखिरी दिन अंतिम समय पर इंदौर सीट से घोषित कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय बम ने पर्चा वापस ले लिया था। स्क्रूटनी में डमी प्रत्याशी मोतीसिंह पटेल का पर्चा भी खारिज कर दिया गया। कांग्रेस की ओर से किसी डमी उम्मीदवार का निर्दलीय पर्चा नहीं भरा गया। ऐसे में किसी को भी कांग्रेस को चुनाव चिन्ह आवंटित नहीं हुआ और उम्मीदवार विहीन कांग्रेस नोटा के प्रचार में लगी रही।
शुक्रवार को तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुए ऑडियो में मोती सिंह पटेल फोन पर जय हार्डिया से कह रहे हैं कि वकील साहब निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भी नामांकन भरने का कह रहे हैं। इस हार्डिया मना कर देते हैं कि कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरना है। यह डमी फार्म है। यदि अक्षय के फार्म में कुछ गड़बड़ी होती तो पार्टी बी फार्म डमी को जारी कर देगी।
साथ ही सिर्फ एक प्रस्तावक के साइन फार्म पर करवाने का बोल रहे हैं। चर्चा के अंत: में हार्डिया बात कर रहे वकील पर भड़क कर उसे डपटते हुए यह भी कह देते हैं कि तुझे नहीं पता कि तू किससे बात कर रहा है।
ऑडियो सामने आने के बाद हार्डिया कांग्रेसियों के ही निशाने पर आ गए हैं। दरअसल कांग्रेस में ऊपर से स्पष्ट निर्देश थे कि हर सीट पर डमी उम्मीदवार दो फार्म दाखिल करेगा। एक कांग्रेस की ओर से और एक निर्दलीय के रूप में। यदि कांग्रेस के घोषित उम्मीदवार का पर्चा तकनीकी त्रुटी से स्क्रूटनी में निरस्त होता है तो डमी उम्मीदवार प्रक्रिया अनुसार खुद-ब-खुद कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित हो जाएगा।
ऐसे में कांग्रेस की ओर से भरा डमी उम्मीदवार का पर्चा खुद निरस्त हो जाता। दूसरी स्थिति यह होती कि किसी अप्रिय स्थिति में यानी स्क्रूटनी के बाद और नाम वापसी के आखिरी समय पर घोषित उम्मीदवार पर्चा वापस लेता है तो डमी उम्मीदवार निर्दलीय के रूप में मौजूद रहता और कांग्रेस उसे अपना उम्मीदवार घोषित करवा कर चुनाव चिन्ह आवंटित करवा देती।
ऊपर से मिले इन निर्देशों के आधार पर पूरे प्रदेश की सभी सीटों पर डमी उम्मीदवार ने दोनों तरह के नामांकन फार्म भरे। सिर्फ इंदौर सीट पर इसका पालन नहीं हुआ।
ऑडियो सामने आने के बाद जय हार्डिया ने नईदुनिया से बात करते हुए कहा कि डमी उम्मीदवार मोती सिंह पटेल फार्म दाखिल करने के आखिरी दिन करीब डेढ़ बजे पहुंचे। उनका बैंक खाता भी नहीं खुला था। वो भी मैंने खुलवाया। फार्म के पैसे भी मैंने दिए। आखिरी समय पर पूरी प्रक्रिया करने प्रस्तावक का सत्यापन करने के लिए समय ही पर्याप्त नहीं था।
ऐसे में जल्दबाजी में सिर्फ एक ही नामांकन दाखिल करना संभव था, जबकि मोती सिंह को 3 दिन पहले से बुलाया जा रहा था। बस यही मेरी गलती हुई कि मैंने फोन पर जल्दी-जल्दी प्रक्रिया करने के लिए फोन पर समझाया, क्योंकि निर्दलीय फॉर्म भरने के लिए 10 प्रस्तावक की जरूरत थी, वो भी पटेल नहीं लेकर आए थे।
हार्डिया के इस बयान के बाद मोती सिंह पटेल की मंशा पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। नईदुनिया ने मोतीसिंह पटेल का पक्ष जानने की कोशिश भी की। पटेल ने पहले नईदुनिया से ऑडियो मांगी। ऑडियो मिलने के बाद उन्होंने बात करने से ही किनारा कर लिया।