Indore Ki Jhanki 2022 : कपीश दुबे, इंदौर (नईदुनिया)। इंदौर के अखाड़ों में इन दिनों कुश्ती के दांवपेंच छोड़ पहलवान हाथों में तलवार और लाठी लिए शस्त्र कला का अभ्यास करने में जुटे हैं। अनंत चतुर्दशी पर निकलने वाली झांकियों के साथ अखाड़ों की शस्त्र कला भी इंदौर की परंपरा का हिस्सा है। धीरे-धीरे सिमट रही शस्त्र कला की विरासत को बचाने के लिए अब शिक्षित युवा आगे आ रहे हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी हैं।
इंदौर में अनंत चतुर्दशी चल समारोह में अखाड़ों के शामिल होने की परंपरा सौ साल से भी ज्यादा पुरानी है। इंदौर में शस्त्र कला के कुछ ही अखाड़ें हैं। बड़ी ग्वालटोली में बिंदा गुरु और रामनाथ गुरु व्यायामशाला में शस्त्र कला सिखाई जाती है। रामनाथ गुरु व्यायामशाला शहर में महिला कुश्ती और शस्त्र कला के लिए ख्यात है। यहां की नीलिमा और रेणुका बोरासी राष्ट्रीय कुश्ती स्पर्धा की पदक विजेता हैं। नीलिमा कुश्ती पर केंद्रीय दंगल और सुल्तान जैसी फिल्मों में अभिनय के साथ प्रशिक्षण भी दे चुकी हैं। फिलहाल मप्र की कुश्ती अकादमी की प्रशिक्षक नीलिमा अनंत चतुर्दशी के समारोह में हिस्सा लेने इंदौर लौटी हैं। इनके मार्गदर्शन में यहां 50 से ज्यादा लड़के-लड़कियों को शस्त्र कला का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
नारी सशक्तीकरण का भी संदेश - नीलिमा बताती हैं, 'परंपरा बचाना हमारी जिम्मेदारी है। महिलाओं को आत्मरक्षा के लिए यह आना चाहिए। चल समारोह में लड़कियों के प्रदर्शन से समाज में नारी सशक्तीकरण का भी संदेश जाता है। संचालक मनोज सोमवंशी ने बताया कि करीब 200 युवा शस्त्र कला सीख रहे हैं। इनमें से 90 फीसद से ज्यादा उच्च शिक्षित हैं। इनमें पोस्ट ग्रेजुएट, वकील, इंजीनियर हैं। कुछ अभी पढ़ाई कर रहे हैं।
इन शस्त्र कलाओं का होता है प्रदर्शन
प्रशासन देगा दो श्रेणी में पुरस्कार - सर्वश्रेष्ठ झांकियों और अखाड़ों के चयन के लिए जिला प्रशासन द्वारा निर्णायक मंच बनाया जाएगा। निर्णायक मंच के समक्ष अखाड़ों के कलाकार एक हाथ का पटा और दो हाथ से बनेठी का प्रदर्शन करेंगे। प्रत्येक कला के लिए तीन-तीन मिनट का समय दिया जाएगा।