इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि Indore Airport Privatisation । देवी अहिल्याबाई होलकर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के निजीकरण को लेकर आखिरकार फैसला हो गया है। सरकार ने देश के 13 एयरपोर्ट के निजीकरण की अनुमति देते हुए इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दे दी है। इंदौर के साथ जबलपुर एयरपोर्ट का भी निजीकरण होगा। इंदौर एयरपोर्ट को लेने वाली कंपनी ही जबलपुर एयरपोर्ट को लेगी। कभी फायदे का रहा इंदौर एयरपोर्ट इन दिनों चार करोड़ के घाटे में चल रहा है। वहीं जबलपुर एयरपोर्ट पहले ही घाटे में चल रहा है।
प्रबंधन सूत्रों के अनुसार एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के बोर्ड ने 13 एयरपोर्ट के निजीकरण को मंजूरी दे दी है। यह राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के हिस्से के रूप में हो रहा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 तक विभिन्न एयरपोर्ट से 3660 करोड़ रुपये निजी निवेश का लक्ष्य रखा है। एएआई बोर्ड ने छह प्रमुख बड़े एयरपोर्ट भुवनेश्वर, वाराणसी, अमृतसर, त्रिची, इंदौर, रायपुर के साथ-साथ झारसुगुडा, गया, कुशीनगर, कांगड़ा, तिरुपति, जबलपुर और जलगांव सहित सात छोटे एयरपोर्ट को भी जोडा है। बड़े एयरपोर्ट के साथ छोटा एयरपोर्ट भी निजी हाथों में दिया जाएगा। टैंडर होने के बाद 2023 से इंदौर एयरपोर्ट निजी हाथों में चला जाएगा।
यात्री को चुकाना होंगे ज्यादा पैसे
एयरपोर्ट विशेषज्ञों का कहना है कि निजीकरण होने से जहा सुविधाओं में वृद्वि होगी। वहीं यात्रियों को ज्यादा पैसा चुकाना होगा। उदाहरण के लिए अभी जहां एयरपोर्ट पर आने जाने वाले वाहनों के लिए पिक एंड ड्राप निशुल्क है। जबकि निजीकरण हो चुके एयरपोर्ट पर ही इसके लिए 150 रुपये तक का चार्ज लिया जाता है। इसके अलावा अन्य सुविधाओं के लिए ज्यादा रुपये चुकाने होंगे। टर्मिनल में मिलने वाली खाने पीने वस्तुओं की कीमत भी बढ़ सकती है। इसके अलावा पहले से मौजद आउटलेट के लिए नई कंपनी किराया बढ़ाएगी। जिससे चीजें मंहगी हो जाएगी।
20 एकड़ जमीन पर संशय
विशेषज्ञों के अनुसार उषा राजे ट्रस्ट से प्रदेश सरकार से जीती 20.4 एकड़ जमीन जिसे एयरपोर्ट प्रबंधन को सोंपने के लिए सहमति बन गई है। अब उस जमीन को एयरपोर्ट प्रबंधन को मिलना तय नहीं है। निजी हाथों में जाने पर सरकार उस जमीन को नहीं सोंपेगी। बल्कि इस जमीन को उसी निजी कंपनी को अधिक कीमत लेकर लीज पर दी जा सकती है। इसी संभावना को देखते हुए जमीन देने में देरी की जा रही है।
उड़ान संचालन एएआई के हाथ में ही
निजीकरण के बाद एयरपोर्ट परिसर और टर्मिनल निजी कंपनी के हाथों में चले जाएगा। यहां वसूले जाने वाले शुल्क का निर्धारण निजी कंपनी करेगी। लेकिन उड़ान का संचालन एएआइ ही करेगी। एटीसी पहले ही की तरह काम करेगा।
यह होंगे फायदे
- यात्री सुविधा के लिए बडे ब्रांड अपना शौरूम खोलेंगे।
- एयरपोर्ट का विस्तार और नए निर्माण भी अब नई कंपनी करेंगी
- नए कंपनी आने से नए लोगों को रोजगार मिलेगा
- सुविधांए बढ़ने पर यात्री भी बढ़ सकते है।
- उड़ान कंपनियां नई उड़ानें शुरू कर सकती है।
- नई कंपनी नए नवाचार करेगी।
- एयरपोर्ट के पास वर्तमान में मौजूद जमीन पर नई कंपनी नए निर्माण करेगी।
यह होंगे नुकसान
- पहले से मिल रही सुविधाओं के लिए चुकाने होंगे ज्यादा पैसे
- एएआई के कर्मचारियों के तबादलें
- मुफ्त सुविधाओं के लिए चुकाने पडेंगे पैसे