Indore High Court इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। खासगी ट्रस्ट की संपत्तियों को लेकर सोमवार को जारी आदेश मात्र हरिद्वार के कुशावर्त घाट ही नहीं, अपितु खासगी ट्रस्ट की सभी संपत्तियों पर लागू होगा। न्यायालय ने राज्य शासन से कहा है कि वह ट्रस्ट द्वारा अब तक बेची जा चुकी सभी संपत्तियों को वापस हासिल करने के लिए प्रयास करे और उन्हें पुराने स्वरूप में लौटाए। इस पर जो भी खर्च होगा, वह राज्य शासन वहन करे।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनेगी समिति
उच्च न्यायालय ने राज्य शासन से कहा है कि वह ट्रस्ट द्वारा बेची जा चुकी संपत्तियों को वापस हासिल कर उन्हें पुराना स्वरूप लौटाने के लिए काम करे। इसमें जो भी खर्च आएगा, वह राज्य सरकार को वहन करना होगा। न्यायालय ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति बनाकर कहा है कि यह समिति इस संबंध में कार्रवाई करेगी। मुख्य सचिव (वित्त), अतिरिक्त मुख्य सचिव (धर्मस्व) और इंदौर के संभागायुक्त इसके सदस्य होंगे जबकि इंदौर कलेक्टर समिति के सचिव होंगे। यह समिति ट्रस्ट द्वारा अब तक बेची जा चुकी संपत्तियों की जांच भी करेगी।
सीबीआइ जांच की जरूरत नहीं, ईओडब्ल्यू कार्रवाई करे
जनहित याचिका में ट्रस्ट द्वारा कौड़ियों के दाम संपत्तियों को बेचे जाने के मामले की सीबीआइ जांच की मांग की गई थी। न्यायालय ने इससे इन्कार कर दिया। हालांकि न्यायालय ने ईओडब्ल्यू को जांच का आदेश देते हुए कहा है कि वह कानून के दायरे में रहकर कार्रवाई करे।
संपत्तियों को अवैध तरीके से बेचने वालों पर होगी कार्रवाई
उच्च न्यायालय ने निर्णय में राज्य शासन से कहा है कि वह घाट, मंदिर, धर्मशाला सहित सभी सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करे। समय-समय पर संपत्तियों को अवैध तरीके से बेचने वालों पर कानून के दायरे में रहकर कठोर कार्रवाई करे।
केंद्र भी मान चुका है कि ट्रस्ट की संपत्तियां राज्य की
निर्णय में न्यायालय ने कहा है कि जनहित याचिका में केंद्र सरकार भी पक्षकार है। केंद्र भी मान रहा है कि ट्रस्ट के पास जो संपत्तियां हैं, वे राज्य शासन की हैं।
ट्रस्ट की संपत्ति पर निर्माण को भी हटाएं
याचिका और अपीलों की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे, इसके बावजूद कुछ जगह निर्माण हुआ है। सोमवार को जारी निर्णय में न्यायालय ने कहा है कि राज्य शासन इंदौर के संभागायुक्त के जरिये कार्रवाई करते हुए ऐसी जगहों को पुराने स्वरूप में लेकर आए। इसमें जो भी खर्च होगा, वह राज्य शासन को वहन करना होगा। हरिद्वार कलेक्टर इस मामले में कमिश्नर इंदौर की मदद करेंगे।
भविष्य में नहीं बिक सकेगी ट्रस्ट की संपत्ति
निर्णय में न्यायालय ने कहा है कि कमिश्नर इस बात का भी ध्यान रखें कि यह फैसला मात्र कुशावर्त घाट नहीं बल्कि अन्य संपत्तियों पर भी लागू होगा। कमिश्नर इंदौर की जिम्मेदारी होगी कि वे ट्रस्ट की संपत्तियों को पुराने स्वरूप में लेकर आएं। भविष्य में ट्रस्ट की कोई संपत्ति बेची नहीं जा सकेगी। कमिश्नर की जिम्मेदारी है कि वे इस संबंध में कार्रवाई करें। इंदौर कलेक्टर 5 नवंबर 2012 को उनके द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार कार्रवाई करने को स्वतंत्र हैं। इसी तरह रजिस्ट्रार भी 30 नवंबर 2012 को उनके द्वारा जारी आदेशानुसार कार्रवाई के लिए स्वतंत्र हैं।