अमित जलधारी, इंदौर। पश्चिम रेलवे ने इंदौर-दाहोद रेललाइन प्रोजेक्ट में अहम बदलाव करते हुए सुरंगों की संख्या व लंबाई पर कैंची चलाई है। पहले प्रोजेक्ट में जहां 8 सुरंगें बननी थीं, अब इनकी संख्या घटाकर 3 कर दी गई हैं। रेल अधिकारी सुरंगों की संख्या घटने से पूरे 750 करोड़ की बचत का दावा कर रहे हैं। इससे खर्च तो कम होगा ही, प्रोजेक्ट जल्द पूरा करने में भी मदद मिलेगी। इनमें से 1 सुरंग का निर्माण पहले ही टीही से पीथमपुर के बीच शुरू हो चुका है। बाकी 2 सुरंगें माछलिया घाट के आसपास बनेंगी।
सुरंग घटाने के लिए रेलवे ने प्रोजेक्ट में बनने वाले उमरकोट से फतेहपुरा स्टेशन के बीच रेललाइन के प्रस्तावित रास्ते (अलाइनमेंट) में बदलाव किया है। इससे सुरंगों की संख्या तो घटी ही है, 205 किमी लंबी रेललाइन की दूरी भी चार किमी तक घट गई है। पहले जो 8 सुरंगें बननी थीं, उनकी कुल लंबाई 16.56 किमी थी जो 3 सुरंगें बनने के बाद लगभग 6 किमी ही रह जाएगी। इनमें 3 किमी लंबी एक सुरंग टीही से पीथमपुर के बीच बनाई जा रही है। माछलिया घाट में बनने वाली 2 सुरंगों की कुल लंबाई भी 3 किमी ही होगी।
रेल अफसरों का कहना है कि अलाइनमेंट बदलने से खुले क्षेत्र में रेललाइन बिछाई जाएगी, जिसमें समय कम लगेगा। इंदौर-दाहोद रेललाइन की लागत 1643 करोड़ है और काम पूरा होते-होते यह खर्च और बढ़ेगा। रेलवे ने 2022 तक दाहोद लाइन परियोजना पूरी करने का लक्ष्य तय किया है। अब तक जरूरी जमीन ही नहीं मिल पाई है।
प्रोजेक्ट को होगा फायदा
इंदौर-दाहोद रेल लाइन प्रोजेक्ट में से सुरंग की संख्या घटाई गई है। इससे न केवल लागत घटेगी बल्कि योजना को चरणबद्ध तरीके से जल्द पूरा करने में भी मदद मिलेगी।
- अजयसिंह, चीफ इंजीनियर (निर्माण), पश्चिम रेलवे
छोटा उदयपुर-धार रेल लाइन से हटाई थी सुरंगें
इससे पहले पश्चिम रेलवे के इंजीनियरों ने छोटा उदयपुर-धार रेल लाइन प्रोजेक्ट में भी बनने वाली सुरंगों को हटाया था। इसके पीछे भी मूल उद्देश्य लागत घटाना और प्रोजेक्ट जल्द पूरा करना था। इंदौर-दाहोद और छोटा उदयपुर-धार रेल लाइन का भूमिपूजन 2008 में एक साथ किया गया था। 11 साल में दोनों योजनाओं का 50 प्रतिशत काम भी पूरा नहीं हो पाया है।