Indore Crime News : इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। फर्जी काल सेंटर के जरिए अमेरिकी नागरिकों को 100 करोड़ रुपये की चपत लगाने वाला करण भट्ट पुलिसवालों के नाम भी बता रहा है। क्राइम ब्रांच वाले करण को दो साल से तलाश रहे थे लेकिन छापे के पूर्व उसे खबर मिल जाती थी। बदनामी के डर से अफसर भी मामला दबा रहे हैं। करण से बड़े अफसरों के नाम से भी रुपये लिए गए हैं।
पुष्पक अपार्टमेंट घोड़ासर अहमदाबाद (गुजरात) निवासी करण पुत्र उमेश भट्ट को इंदौर क्राइम ब्रांच और जिला विशेष शाखा की टीम ने उत्तराखंड से पकड़ा था। उसे 8 जुलाई तक रिमांड पर लिया है। साथी वात्सल्य मेहता और हर्ष भावसार की तलाश जारी है। गुरुवार को अमेरिका से आई फेडरल ब्यूरो आफ इंवेस्टिगेशन (एफबीआइ) की टीम रेसीडेंसी कोठी ले गई और एकांत में पूछताछ की तो अफसर चौंक गए। करण ने बताया कि गुजरात में कई जगह फर्जी काल सेंटर चल रहे हैं जो विदेशियों को ठग रहे हैं। उसने खुद तीन महीने पूर्व हर्ष की मदद से आइटी पार्क चंडीगढ़ में फर्जी काल सेंटर खोल लिया था। आरोपित सोशल सिक्युरिटी नंबर (एसएसएन) विभाग का अफसर बनकर ठगी करता था। करण ने यह भी बताया कि रुपये यूएस, हांगकांग, चीन और पेरू के खातों में जमा होकर बिटक्वाइन और हवाला के जरिए भारत आता था।
पुलिसवाले पहले से दे देते थे खबर - अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (अपराध एवं मुख्यालय) राजेश हिंगणकर और उपायुक्त (अपराध) निमिष अग्रवाल ने पूछताछ की तो करण ने बताया कि सब पुलिसवालों की मिलीभगत से चल रहा है। उसने ओके बिल्डिंग (निपानिया) में काल सेंटर खोला तो लसूड़िया थाने के पुलिसवालों को रिश्वत दी। दबिश के बाद वह भागा तब भी पुलिसवाले संपर्क में रहे। क्राइम ब्रांच वाले लोकेशन लेकर उसे तलाशने जाते तब भी उसे खबर मिल जाती थी। वह पुलिसवालों को लाखों रुपये बांट चुका है। हालांकि अफसर बदनामी के डर से कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। सूचना लीक करने में क्राइम ब्रांच वालों का भी हाथ है।
पुलिसवालों की मांगी जांच रिपोर्ट - पुलिस आयुक्त इंदौर हरिनारायणाचारी मिश्र ने बताया कि आरोपित ने जिन पुलिसवालों के नाम कुबूले उनकी जांच रिपोर्ट मांगी गई है। डीसीपी पूरे मामले की जांच कर रहे हैं। जिस पर सूचना लीक करने का शक था उस पुलिसकर्मी को हटाया गया है।