Indore Court News: नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। हुकमचंद मिल के हजारों मजदूरों का इंतजार है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। मजदूरों के मुआवजे को लेकर हाई कोर्ट में चल रही याचिका में अगली सुनवाई 29 नवंबर को होना है। मजदूर इस सुनवाई का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ऐसा नहीं कि पहली बार सुनवाई के लिए तारीख लगी है। तारीखें दशकों से लग रही हैं लेकिन यह तारीख सामान्य से कुछ अलग है।
दरअसल नगर निगम, मप्र हाउसिंग बोर्ड और मजदूरों के बीच हुए समझोते के मुताबिक, मप्र हाउसिंग बोर्ड को 28 नवंबर या इससे पहले चुनाव आयोग से मजदूरों के भुगतान के लिए अनुमति हासिल करना है। अगर अनुमति मिल गई तो मजदूरों के भुगतान का रास्ता साफ हो जाएगा और अगर उसे अनुमति नहीं मिली तो मजदूरों का वर्षों का इंतजार और आगे बढ़ जाएगा। अनुमति नहीं मिलने की स्थिति में मजदूरों का भुगतान एक बार फिर अटक जाएगा।
साल 1991 से भटक रहे मजदूर
हुकमचंद मिल के 5895 मजदूर वर्ष 1991 से अपने हक के लिए भटक रहे हैं। मिल बंद होने के बाद से उन्हें उनके बकाया भुगतान का इंतजार है। वर्षों पहले हाई कोर्ट ने मजदूरों के पक्ष में 229 करोड़ रुपये का मुआवजा निर्धारित किया था लेकिन इसमें से 174 करोड़ रुपये अब तक मजदूरों का नहीं मिले हैं। हाल ही में नगर निगम इंदौर और मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड ने मिल की जमीन पर संयुक्त रुप से आवासीय और व्यवसायिक प्रोजेक्ट लाने को लेकर सहमति जताई थी।
मप्र हाउसिंग बोर्ड मजदूरों के बकाया 174 करोड़ रुपये और इस रकम पर 50 करोड़ रुपये ब्याज देने को तैयार था, लेकिन चुनाव आचार संहिता लगी होने से हाउसिंग बोर्ड इसका भुगतान नहीं कर पा रहा है। इधर मजदूर जल्द से जल्द भुगतान की मांग कर रहे हैं।
उनका कहना है कि मिल की जमीन हाउसिंग बोर्ड द्वारा किए जा रहे भुगतान से कई गुना ज्यादा मूल्य की है। इस पर कोर्ट ने कहा था कि 28 नवंबर तक चुनाव आयोग से अनुमति नहीं मिलती है तो मामले में हुए नगर निगम, हाउसिंग बोर्ड, मजदूर और अन्य पक्षों के बीच हुआ समझोता निरस्त कर दिया जाएगा।