- दिव्यांग लेखक ललित कुमार का शहर की संस्थाओं ने किया सम्मान
इंदौर (नईदुनिया रिपोर्टर)। भारत की आबादी छोटे गांवों में बसती है। बड़े शहरों की आलीशान बिल्डिंग और बड़ी सड़कें देखकर यह नहीं कह सकते कि यह भारत है। असल स्थिति जानने के लिए गांवों में जाना चाहिए। मुंबई, दिल्ली जैसे बड़े शहरों में भारत नहीं बसता है। यह कहना है दिव्यांग लेखक ललित कुमार का। रविवार को प्रेस क्लब में मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति, हिंदी परिवार, लेखिका संघ, विचार प्रभा साहित्य मंच, वामा साहित्य और कई संस्थानों के सदस्यों ने ललित कुमार का सम्मान किया। इस दौरान एयरपोर्ट डायरेक्टर अर्यमा सान्याल और सांसद शंकर लालवानी सहित साहित्य से जुड़े कई सदस्य मौजूद थे।
दिव्यांगों के पास व्हीलचेयर तक नहीं
ललित कुमार ने बताया एक बार मेरे वाट्सएप पर एक व्यक्ति का आधार कार्ड आया। पता लगा 38 साल का व्यक्ति गांव में कीचड़ में चलता है। उस दिव्यांग के पास एक व्हीलचेयर तक नहीं थी। हालांकि व्हीलचेयर तो बड़ी बात है इसके पहले उसके साथ क्या हुआ ये भी जान लीजिए। उस व्यक्ति ने बताया कि जब वह आधार कार्ड बनाने के लिए आधार केंद्र गया तो अधिकारियों ने उससे बात तक करना उचित नहीं समझा। उसके पीछे खड़े व्यक्ति से कहा कि इसका नाम क्या है। क्या किसी दिव्यांग व्यक्ति का कोई सम्मान नहीं होता है। यह तो ठीक है इसके बाद जो हुआ बहुत ही आश्चर्य करने वाली बात थी। दिव्यांग के पीछे खड़े व्यक्ति ने अधिकारी से कहा कि इसे गांव में सब टेढ़ा कहते हैं। अधिकारी ने आधार कार्ड में भी यही नाम लिख लिया। आप सोचिए ये कैसा समाज है।
दिव्यांगों की दो बड़ी समस्या है जॉब और शादी
ललित कुमार ने कहा दिव्यांग विमर्श पर बात होना चाहिए। मैं तो कहता हूं कि भारत के समाज में स्त्री होना भी एक विकलांगता है। किसी गांव में जाइए वहां के विकलांग और स्त्रियों से बात कीजिए। वे किस तरह के संकट में जीवन जी रहे हैं। स्त्री विमर्श की बात इसलिए होती है क्योंकि विमर्श की जरूरत है। भारत में दिव्यांगों के साथ दो बड़ी समस्या है। एक तो जॉब नहीं मिलती और दूसरा यह कि कोई शादी करने के लिए तैयार नहीं होता। 2016 से एसिड अटैक को भी विकलांगता में शामिल किया गया है। लेकिन इनके साथ भी गलत हो रहा है। जिस कॉल सेंटर में चेहरे से कोई लेना-देना नहीं है वहां भी एसिड अटैक स्त्री को जॉब देने से मना कर दिया जाता है। क्या यही हमारा समाज है।
एयरपोर्ट पर दिव्यांगों के लिए सुविधा बढ़ाई जाएगी
एयरपोर्ट डायरेक्टर अर्यमा सान्याल का कहना था इंदौर एयरपोर्ट भारत में प्रथम ऐसा एयरपोर्ट है जहां के कर्मचारियों को साइन लैंग्वेज की ट्रेनिंग दी गई है। लिफ्ट से पार्किंग तक ले जाने के लिए व्हीलचेयर की व्यवस्था है। पार्किंग भी आरक्षित की गई है। बैट्ररी कार से दिव्यांगों को एक से दूसरी जगह ले जाया जाता है। हम जल्द ही लिफ्ट में आईना लगाएंगे ताकि दिव्यांगों को लिफ्ट में पता लग सके कि गेट कब खुला है और कब बंद है। दिव्यांगों को सूचना देने के लिए खास तरह के म्यूजिक का भी उपयोग किया जाएगा।
नोट- फोटो ऑनलाइन है।