IIT Indore: गजेंद्र विश्वकर्मा, इंदौर (नईदुनिया)। मध्य प्रदेश में सेमीकंडक्टर क्लस्टर के लिए जमीन की तलाश पूरी नहीं हो पाई है। इसके लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) इंदौर सरकार के अधिकारियों के साथ कई बैठक कर चुका है। संस्थान चाहता है कि इंदौर के आसपास इसे विकसित किया जाए, ताकि आइआइटी का पूरा साथ मिल सके और पीथमपुर में मौजूद उद्योगों को भी लाभ मिले।
सेमीकंडक्टर क्लस्टर तैयार होने के पहले आइआइटी ने इसके लिए बेहतर माहौल बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। इसके तहत इस क्षेत्र में कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाएगा। कुछ शार्ट टर्म कोर्स भी तैयार करने की योजना है। इनमें एनआइटी भोपाल और अन्य आइआइटी भी साथ दे रहे हैं। प्रशिक्षण केंद्र स्थापित होने से इस क्षेत्र में बेहतर मैनपावर (मानवबल) प्रदेश में तैयार हो सकेगा। प्रदेश या देश में कहीं भी इस क्षेत्र में कार्य करने वालों की जरूरत पड़ेगी तो इसकी पूर्ति की जा सकेगी।
आइआइटी इंदौर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डा. संतोष कुमार विश्वकर्मा का कहना है कि आइआइटी इंदौर और अन्य इंजीनियरिंग संस्थान सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में कौशल विकास पर कार्य करने की योजना बना रहे हैं। इसके लिए 19 मार्च को एक बैठक होने वाली है। इसमें आगे की रूपरेखा तैयार करने के लिए शिक्षण संस्थानों के अधिकारी आपस में चर्चा करेंगे। डा. विश्वकर्मा का कहना है कि भारत सरकार इस क्षेत्र में कार्य करने के लिए संस्थानों को प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए अच्छा बजट भी मौजूद है।
डा. विश्वकर्मा का कहना है कि हम भी चाहते हैं कि प्रदेश में क्लस्टर तैयार हो जाए तो इस क्षेत्र में शोध के नए रास्ते खुलेंगे और रोजगार मिलेगा। बेंगलुरु में 2022 में एक सम्मेलन में इस क्षेत्र के बारे में बात हुई थी तो कई शिक्षण संस्थानों और कंपनियों ने मध्य प्रदेश में सेमीकंडक्टर क्लस्टर स्थापित करने के लिए रुचि दिखाई। सांसद शंकर लालवानी भी इसे शहर के आसपास विकसित करना चाहते हैं। इसे लेकर कंपनियों से प्रस्ताव मंगवाए गए थे। टाटा जैसी कंपनी इस क्षेत्र में कार्य करने के लिए उत्साहित है। ऐसे में संभावनाएं हैं कि 2023 में इस पर कोई ठोस निर्णय लिया जा सकता है।
सेमीकंडक्टर का उपयोग वाहनों, इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रानिक्स उपकरणों और कई मशीनों में होता है। कोरोना महामारी के समय भारत में इसकी कमी से आटोमोबाइल सहित कई क्षेत्र प्रभावित हुए थे। इसके बाद केंद्र सरकार ने क्षेत्र को विकसित करने के लिए 76 हजार करोड़ रुपये का फंड बनाया। सेमीकंडक्टर की पूर्ति के लिए भारत को ताईवान, चीन, साउथ कोरिया, जापान और अन्य देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। हालांकि अब देश में कुछ जगहों पर सेमीकंडक्टर तैयार किए जाने लगे हैं।
सेमीकंडक्टर चिप में विशेष तरह का पदार्थ होता है। इसमें विद्युत के सुचालक और कुचालक के गुण होते हैं। इससे विद्युत के प्रवाह को नियंत्रित किया जाता है। इसका निर्माण सिलिकान से होता है। कुछ विशेष तरह के तत्व भी मिलाए जाते हैं।