Indore News: आइआइएम इंदौर ने बदली पांच हजार ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी
Indore News: सरोकार: सामाजिक संस्थान अर्थसंगिनी और समागत के साथ मिलकर ने रहे कौशल विकास का प्रशिक्षण।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Tue, 07 Mar 2023 09:37:23 AM (IST)
Updated Date: Tue, 07 Mar 2023 09:37:23 AM (IST)
Indore News: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। भारतीय प्रबंध संस्थान (आइआइएम) इंदौर शिक्षा देने के साथ ही गांवों की महिलाओं को वित्तीय साक्षरता का पाठ पढ़ा रहा है। इसके तहत गांवों में जाकर वित्तीय साक्षरता की समझ उत्पन्न करने के साथ विभिन्न क्षेत्रों में कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे महिलाओं के लिए रोजगार की संभावना तैयार हो रही है।
आइआइएम के विद्यार्थी अर्थसंगिनी और समागत सामाजिक संस्थान के सदस्यों के साथ गांवों में जाकर महिलाओं और छात्राओं को एक जगह एकत्रित कर उन्हें समझाइश दे रहे हैं कि कैसे वे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में सहायक बन सकती हैं। इससे पांच हजार महिलाओं की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आया है और दो हजार से ज्यादा महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध हो रहा है। जरूरतमंद महिलाओं को सिलाई, बुनाई, फूलों को सुखाकर अगरबत्ती बनाने, सैलून कार्य का प्रशिक्षण, सैनिटरी पैड तैयार करने से लेकर कई कार्य सिखाए जा रहे हैं।
पिगडंबर में उद्यमिता शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इससे गांव में पहले से महिलाएं जो कार्य कर रही हैं, उनके उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की पहचान मिल रही है। विधवा महिलाओं के लिए बालपेन बनाने की मशीन का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। आइआइएम यह कार्य इंस्टीट्यूशनल सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत कर रहा है।
ऐसे हुई शुरुआत
अर्थसंगिनी की संस्थापक शानू मेहता ने बताया कि वित्तीय स्वतंत्रता, वित्तीय साक्षरता ग्रामीण और निम्न आय वर्ग की महिलाओं के लिए हमेशा से बड़ी चुनौती रही है। अलग-अलग जगहों, अलग-अलग पृष्ठभूमि की महिलाओं से मिलने के दौरान हमने देखा कि हम इस परेशानी को दूर कर करने में सहायक बन सकते हैं। इसके लिए हमने अर्थसंगिनी संस्था की स्थापना की और इसमें लगातार चार वर्षों से महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने के लिए तैयार कर रहे हैं।
आइआइएम इंदौर के उद्देश्य को पूरा करने के लिए शानू मेहता ने पहले आइआइएम के आसपास के गांवों में इसकी शुरुआत की। बाद में प्रदेश के विभिन्न गांवों में जाना शुरू किया। महिलाओं को रोजगार दिलाने के मकसद से शानू ने खुद की आइटी कंपनी में 90 फीसद महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराया। इसमें करीब 200 महिलाएं कार्य कर रही हैं।
शानू का कहना है कि हमारे गांवों में काफी मानव संसाधन है और अगर हम वहां की महिलाओं को साक्षर करते हैं और उन्हें कोई कला सीखा देते हैं तो इससे उनके पास भी रोजगार की संभावनाएं बढ़ जाएगी। इससे देश की अर्थव्यवस्था बेहतर करने में मदद मिलेगी। स्वच्छ और स्वस्थ माहौल की भी बहुत जरूरत है। इसके लिए हम जिन महिलाओं को सैनिटरी पैड तैयार करना सिखाते हैं, उन पैड को गांवों और छोटे कस्बों में निश्शुल्क वितरण करते हैं।
छिंदवाड़ा और वहां के आसपास के गांवों में भी हम बड़े स्तर पर छात्राओं के होस्टलों और महिलाओं को जागरूक करने के साथ उन्हें उद्यमिता की ओर ले जा रहे हैं। कुछ वर्षों में ही इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और अब हजारों परिवार की आय में बढ़ोतरी हुई है। आने वाले समय में हम दूरदराज की महिलाओं को तकनीकी शिक्षा भी देंगे, जिससे वे इंटरनेट और मोबाइल एप को चला सकें। इससे उन्हें अपने उत्पादों को बाजार में लाने में आसानी होगी।
चला रहे जागरूकता अभियान
आइआइएम का कार्य गुणवत्ता शिक्षा देने के साथ समाज के बेहतरी के लिए कार्य करना भी है। इसी के तहत हमने कई गांवों को चिन्हित किया है और वहां जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। महिलाएं आत्मनिर्भर बन सके इसके लिए आइआइएम इंस्टीट्यूशनल सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत गांवों में कौशल विकास का प्रशिक्षण देकर महिलाओं को उद्यमी और रोजगार उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहा है।
- प्रो. हिमांशु राय, निदेशक, आइआइएम इंदौर