इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि Happy Life With Family। जो सुख परिवार के साथ में मिलता है, वह सुख किसी लोक में नहीं मिलता। परिवार ही वह जगह है, जहां मां की गोद का सुख, तो बड़े भाई की अपने लिए चिंता का सुख भी मिलता है। इतना ही नहीं जो दुख नर्क में नहीं मिलता, वह दुख परिवार में मिल सकता है, फिर चाहे वह बेटे के बेवफा होने का दुख हो या रिश्तो में बेवफाई की पीड़ा, यह दर्द नर्क के दुख को भी कम कर देते हैं।
यह बात उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि महाराज ने रविवार को आनलाइन प्रवचनमाला में कही। वे वर्धमान श्वेतांबर स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ट्रस्ट और महावीर भवन ट्रस्ट के तत्वावधान में हैप्पी लाइफ विद फैमिली विषय पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने महाभारत के पात्रों का उदाहरण देकर परिवार में मां के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि 20 साल पहले जो हम थे, वह आज नहीं है। आज परिवारों में बड़ा ही प्रदूषण फैला हुआ है और परिवार टूटे नजर आ रहे हैं। परिवार ही इंसान को इंसान बनाता है, परिवार से ही धर्म होता है। परिवार की कीमत लोगों को इस कोरोना काल में समझ में आ गई। जीवन जीने का आनंद लेना हो तो परिवार का वार होना बेहद जरूरी है।
उन्होंने भगवान महावीर के उदाहरण से समझाया और कहा कि हमें किसी को भी आशीर्वाद देने में कोई कंडीशन नहीं रखनी चाहिए, जिस तरह बीज बोने से पहले जमीन उपजाऊ हो, यह देखा जाता है, उसी तरह घर में बुजुर्गों को सभी में संस्कार डालना होंगे। आज परिवार से धर्म गायब हो गया है। हमने मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर बढ़ा लिए हैं। तकनीकों की सहायता से हम प्रवचन भी पहले से ज्यादा सुन रहे हैं, लेकिन यहां यह जानना भी जरूरी है कि इन सब के साथ क्या चरित्र, धर्म और संस्कार बढ़े हैं।
संयोजक वीरेंद्र कुमार जैन और रेखा जैन ने बताया कि आयोजन का उद्देश्य आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी और बदलती जीवन शैली में परिवार के बिगड़ते मापदंडों से बिखरते परिवारों को एक करने और उसे एक सूत्र में बांधने के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। कार्यक्रमों की श्रृंखला में दादा दादी, माता-पिता और पोता पोती के अलग-अलग सत्र 25 जुलाई और पूरे परिवार के लिए सत्र एक अगस्त को होगा। प्रवचनमाला में राजेश मुनि, आदर्श ज्योति सहित साधु-साध्वी मंडल उपस्थित थे।