इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि Crime News Indore। फर्जी फैसला कांड में गिरफ्तार आइएएस संतोष वर्मा डॉक्टर किसी डा. रावत के सतत संपर्क में था। फैसले के पूर्व उसकी रावत से 180 बार बातचीत हुई थी, जिसमें रुपयों के लेनदेन का जिक्र भी है। यह खुलासा आरोपित वर्मा के मोबाइल की सीडीआर और वॉइस रिकॉर्डिंग से हुआ है। फर्जीवाड़ा में न्यायपालिका का एक वरिष्ठ अफसर भी लिप्त है। उससे भी वर्मा वॉट्सएप पर संपर्क में था और उसके बंगले पर ही बैठकें होती थी।
डीआइजी मनीष कपूरिया के मुताबिक 51 वर्षीय संतोष पुत्र रुमालसिंह वर्मा का रिकॉर्डिंग के संबंध में पूछताछ के लिए ही 17 जुलाई तक रिमांड बढ़ाया है। अभी तक वर्मा फरियादी हर्षिता द्वारा फर्जी फैसले की प्रति देना बता कर बचने का प्रयास कर रहा था। मंगलवार रात अफसरों ने उसके फोन को अनलॉक कर पुरानी वॉट्सएप चैटिंग खंगाली तो न्यायपालिका के एक अफसर से बातचीत होने की पुष्टि हो गई। आरोपित उक्त संदेही अफसर से बंगले पर मिलने की बातें कर रहा था।
पुलिस द्वारा सक्रियता दिखाने पर उक्त अफसर ने वर्मा से यह भी कहा कि पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। तुम मुझे जानते हो यह कतई स्वीकार मत करना। इससे उक्त अफसर पर पुलिस का शक गहरा गया और वह छुट्टी लेकर गायब हो गया। वर्मा के मोबाइल में अॉटो कॉल रिकॉर्डिंग सिस्टम भी है। एमजी रोड़ थाना के प्रधान आरक्षक जवाहरसिंह जादौन को मंगलवार रात रिकॉर्डिंग सुनने का जिम्मा सौंपा तो पता चला वर्मा एक व्यक्ति से फैसले के संबंध में बाते कर रहा था। यह बातचीत तब हुई जब हर्षिता द्वारा शिकायत करने पर पुलिस ने जांच बैठा दी।
वर्मा ने बचने की तरकीब बताते हुए डॉ. रावत से कहा कि पूछताछ हुई तो बोल दूंगा मुझे तो नकल विभाग से सत्यप्रतिलिपी मिली है। उसने यह भी कहा कि केस उजागर हुआ तो सब फसेंगे। डीपीओ तो मामले में अभिमत भी दे चुका है। अंत में वर्मा ने डॉ. रावत से कहा अपनने तो रुपये दिए है। आरोपित ने यह नहीं बताया उक्त नंबर किसका है, लेकिन मोबाइल और ट्रू कॉलर में उक्त नंबर डॉ. वी रावत के नाम से सेव है। इस रिकॉर्डिंग और कॉल डिटेल के बाद कई बड़े अफसर जांच की जद में आ गए है। टीआइ के मुताबिक फर्जीवाड़ा एक संगठित गिरोह द्वारा किया है।
आरोपित वर्मा को पल-पल की जानकारी दे रहे थे जज
सीएसपी अभी तक डीपीओ अकरम शेख और आरोपित संतोष वर्मा के मोबाइल से वॉट्सएप चैटिंग जब्त कर चुके है। सूत्रों के मुताबिक सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जानकारी मांगने पर 15 अक्टूबर को दोपहर 1:16 बजे वर्मा ने एक जज को मैसेज अभिमत के संबंध में पूछा। जज ने तत्काल 1:17 बजे डीपीओ को मैसेज कर पूछा सर एनी अपडेट। 1:19 पर प्लीज टेल मी लिखा। दोपहर 3:48 बजे डीपीओ ने अभिमत की पीडीएफ फाइल जज को भेज दी। दो मिनट यानी 3:50 पर जज ने वर्मा को कॉल कर दिया। उसने एक मैसेज भी किया लेकिन तत्काल डिलिट कर दिया। संभवत: जज ने डीपीओ भेजी पीडीएफ फाइल ही वर्मा को भेजी थी।
डीपीओ शेख को भोपाल भेजा
पूरे केस में साक्ष्य एकत्र करने में अहम भूमिका निभा रहे डीपीओ अकरम शेख का गृह विभाग ने भोपाल तबादला कर दिया। शेख ने ही एक जज और वर्मा की भूमिका स्पष्ट की थी। बुधवार को जारी आदेश में उन्हें सहायक संचालक लोक अभियोजन संचालनालय बनाया है। उनके स्थान पर रीवा जिला लोक अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव को भेजा है।