1000 साल पुराना है इंदौर के बिजासन माता मंदिर का इतिहास
मंदिर का निर्माण इंदौर के महाराजा शिवाजीराव होलकर ने 1760 में कराया था।
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Publish Date: Wed, 27 Sep 2017 10:59:46 AM (IST)
Updated Date: Thu, 28 Sep 2017 08:33:19 PM (IST)
इंदौर । बिजासन माता मंदिर का इतिहास एक हजार साल पुराना है। यहां देवी के नौ स्वरूप विद्यमान हैं। किसी जमाने में आसपास काले हिरणों का जंगल होने और तंत्र-मंत्र, सिद्धि के लिए इस मंदिर की खास पहचान रही है। पूर्व में माता चबूतरे पर विराजित थीं। मंदिर का निर्माण इंदौर के महाराजा शिवाजीराव होलकर ने 1760 में कराया था।
विशेषता : बिजासन माता को सौभाग्य और पुत्रदायिनी माना जाता है। इसके चलते विवाह के बाद यहां प्रदेश ही नहीं बल्कि देश भर से नवयुगल माता के दर्शन और पूजन के लिए आते हैं। बताया जाता है कि आल्हा-उदल ने भी मांडू के राजा को हराने के लिए माता से मन्नात मांगी थी।
वास्तुकला : साधारण मिट्टी, पत्थर के चबूतरे पर विराजमान माता के नौ स्वरूपों के लिए तत्कालीन होलकर शासक ने यहां मराठा शैली में मंदिर का निर्माण कराया था। बाद में कई विकास कार्य हुए।
मंदिर से जुड़े आयोजन : चैत्र और शारदीय नवरात्र में मंदिर में मेला लगता है। एक अनुमान के मुताबिक नवरात्र के दौरान यहां देशभर से लगभग 3 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन और पूजन के लिए आते हैं।
इंदौर रेलवे स्टेशन से दूरी : शहर के पश्चिम क्षेत्र में स्थित मंदिर रेलवे स्टेशन से 9.8 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पहुंचने में करीब 27 मिनट का समय लगता है।
सप्तम कालरात्रि
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी
तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं इसलिए दानव, दैत्य, राक्षस और भूत- प्रेत उनके स्मरण से ही भाग जाते हैं।