Heritage Walk : इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा शहर के बच्चों व युवाओं को इंदौर के इतिहास के बारे में जानकारी देने के लिए हेरिटेज वाक का आयोजन करवाया जा रहा है। रविवार सुबह 7 बजे हेरिटेज वाक में आइडियल एकेडमी स्कूल के 35 विद्यार्थी शामिल हुए। हेरिटेज वाक सीपी शेखर नगर उद्यान से शुरू होकर राजवाड़ा पर खत्म हुई। इसमें हेरिटेज गुरु प्रशांत इंदूरकर ने छात्रों को इंदौर के इतिहास के बारे में बताया।
इंदूरकर ने बताया कि भारत में इंदौर ही एकमात्र ऐसी जगह है जहां संयुक्त छत्री बनी हुई है। यहां 1926 में तुकोजीराव तृतीय व 1903 में शिवाजीराव होलकर की संयुक्त छत्री बनी हुई है। विद्यार्थियों को छत्रियों पर बनी प्रतिमाओं के बारे में भी बताया गया। इन प्रतिमाओं में अंग्रेज सिपाही और होलकर राज्य के सिपाहियों की पोशाक व हथियार तथा सैल्यूट करने का तरीका प्रतिमाओं के माध्यम दर्शाया गया है। उन्होंने विद्यार्थियों को राजवाड़ा व शिव विलास पैलेस के बारे में भी बताया।
बैंक में तब्दील हुआ मंदिर - इंदौर के व्यापारिक महत्व को बताते हुए इंदूरकर ने कहा कि वर्तमान का स्टेट बैंक आफ इंडिया सदाशिव मार्तंड मंदिर के रूप में पहचाना जाता था। यहां से सभी प्रकार के व्यापारियों को कर्ज दिया जाता था ताकि वे अपना व्यापार व व्यवसाय कर सकें। यह मंदिर ही बाद में इंदूर बैंक बना। 1920 में स्टेट बैंक आफ इंदौर बना। 1922 में स्टेट बैंक आफ देवास का इसमें विलय किया गया। वर्ष 2010 में स्टेट बैंक आफ इंदौर का विलय स्टेट बैंक आफ इंडिया में हुआ।
1568 में इंदौर आए थे गुरु नानकदेव - प्रकाश इंदूरकर ने बताया कि 1568 में गुरु नानकदेव अपने चौथे मिशन के दौरान इंदौर पधारे थे। उन्होंने इंदौर में राजवाड़ा के पास स्थित इमली के पेड़ के नीचे शिविर स्थापित किया था। तभी से वहां पर गुरुद्धारे की स्थापना हुई। गुरुनानक देव इंदौर से होकर बेटमा व बुरहानपुर भी गए थे। बाद में वहां भी गुरुद्धारे स्थापित हुए। इंदूरकर ने छात्रों को बताया कि शिव विलास पैलेस के सामने खेल प्रतियोगिताएं जैसे कुश्ती, मनोरंजन के खेल होते थे। होली, गणगौर जैसे त्योहार भी यहां मनाए जाते थे। पहले यहां बगीचा हुआ करता था लेकिन अब काफी इमारते बन चुकी हैं।