Gandhi Jayanti 2022 : हर्षल सिंह राठौड़, इंदौर (नईदुनिया)। इंदौर से महात्मा गांधी का पुराना नाता रहा है। वे न केवल दो बार शहर आए, बल्कि यहां उन्होंने हिंदी के विकास के लिए जो प्रयास किया, उसके स्वरूप शहर में श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति की स्थापना भी हुई। महात्मा गांधी के विचारों, उनके द्वारा चलाए गए आंदोलन और उनके जीवन के महत्वपूर्ण पड़ावों को अब शहर की प्राचीन इमारत में संजोया जाएगा।
1904 में करीब साढ़े छह करोड़ रुपये में बने गांधी हाल के जीर्णोद्धार के बाद उसे और भी खास बनाया जा रहा है। यहां महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों को नक्काशीदार शिलालेख और प्रतिमाओं के जरिए प्रस्तुत किया जाएगा। यहां 30 से अधिक शिलालेख और प्रतिमाएं लगाई जाएंगी और ध्यान के लिए भी विशेष स्थान भी बनाया जा रहा है। जहां बैठकर लोग आत्मचिंतन कर सकें।
पहले किंग एडवर्ड था गांधी हाल का नाम - स्मार्ट सिटी द्वारा करीब पौने दस करोड़ रुपये की लागत से गांधी हाल का नवीनीकरण किया जा रहा है। आज जिसे गांधी हाल के नाम से जाना जाता है, उसका नाम पहले किंग एडवर्ड हाल था, जिसे स्वतंत्रता के बाद महात्मा गांधी को समर्पित करते हुए महात्मा गांधी टाउन हाल रखा गया और आज यह गांधी हाल के नाम से जाना जाता है। अंग्रेज वास्तुकार जेजे स्टीवेंस जरूर इसके वास्तुकार रहे, लेकिन इसकी शान इसकी गुंबद उन्होंने राजपुताना शैली की रखी।
रात में भी पढ़े जा सकेंगे शिलालेख - सफेद सिवनी और पाटन के पत्थरों से बने इस भवन को इंडो-गौथिक शैली में बने इस भवन में अब जिन शिलालेखों को लगाया जा रहा है, वे धौलपुर के बेज और रेड स्टोन होंगे। हरेक शिलालेख पर प्रकाश व्यवस्था भी होगी, ताकि रात में भी यहां आने वाले पर्यटक उन्हें देख और पढ़ सकें। इन शिलालेखों पर केवल जानकारियां शब्दों में ही अंकित नहीं होगी, बल्कि संबंधित घटनाक्रम को तराशा भी जाएगा। गांधीजी की प्रतिमाएं भी पत्थर को तराशकर ही बनाई जाएगी। इस पाथवे पर लगने वाले शिलालेख और प्रतिमाओं को गांधीजी के पूरे जीवन और जिस उम्र, वर्ष में उन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किए, उसके अनुपात में लगाया जाएगा। इसके लिए कार्य भी शुरू हो चुका है।
ढाई एकड़ में चार करोड़ रुपये में तैयार होगी संकल्पना - आर्किटेक्ट व अर्बन प्लानर पुनीत पांडे के अनुसार, महात्मा गांधी के जीवन पर केंद्रित इन शिलालेखों के निर्माण व उन्हें लगाने की लागत करीब चार करोड़ रुपये होगी। करीब ढाई एकड़ क्षेत्रफल में यह शिलालेख और प्रतिमाएं लगेंगी। इन्हें पाथवे पर लगाया जाएगा। गांधीजी के जन्म से उनके निधन तक के महत्वपूर्ण पड़ावों को इसमें शामिल किया जाएगा। इसकी रूपरेखा ऐसी होगी कि पाथवे का समापन ओपन थियेटर वाले भाग में होगा। वहां बीच में 'हे राम" लिखी हुई शिला लगाई जाएगी। आसपास सीढ़ियां होंगी जहां लोग बैठकर आत्मचिंतन कर सकें।