इंदौर में बीते दो वर्षों में होने वाली
वेब सीरीज और फिल्मों की शूटिंग में खासी बढ़त हुई है। 2019 तक जहां इंदौर और आसपास के क्षेत्र में वर्ष में 10 से 15 प्रोजेक्ट ही शूट होते थे वहीं अब यह आंकड़ा 25 पार कर चुका है। इसमें केवल धारावाहिक या फिल्में ही नहीं बल्कि वेब सीरीज भी शामिल हैं। शहर के प्रति बढ़ते लगाव की वजह एक नहीं और इसका लाभ यह हो रहा है कि यहां के हुनर का पलायन बहुत हद तक रूका है और आसपास के छोटे शहर के कलाकार अब इंदौर की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
कम बजट और बेहतर लोकेशन
लाइन प्रोड्यूसर और अभिनेता गुलरेज खान बताते हैं कि वर्तमान में इंदौर में ही प्रतिवर्ष 20 से 25 प्रोजेक्ट की शूटिंग होने लगी है और धीरे-धीरे यह आंकड़ा बढ़ ही रहा है। जिन निर्माताओं का बजट कम है वे कम राशि में भी बेहतर निर्माण की ख्वाहिश लिए यहां शूटिंग करते हैं और जिनका बजट ज्यादा है वे नए लोकेशन की तलाश में यहां का रूख कर रहे हैं। इंदौर का बाजार, यहां के ऐतिहासिक स्थान, पर्यटन स्थल के अलावा आसपास के प्राकृतिक स्थान, मंदिर, घाट, विंद्याचल की पहाड़ी भी बेहतर लोकेशन के रूप में पसंद किए जा रहे हैं। बात अगर खर्च की करें तो मुंबई की तुलना में स्टार कास्ट व स्थान के किराए का खर्च करीब 50 प्रतिशत राशि में ही हो जाता है।
कहानी के अनुरूप लोकेशन और चेहरे मिल जाते हैं
अभिनेता श्रीराम जोग के अनुसार,
इंदौर में शूटिंग करने का रूझान इसलिए बढ़ा क्योंकि यहां की लोकेशन अभी ज्यादा जानी-पहचानी नहीं हैं इसलिए ज्यादा पसंद की जा रही हैं। वर्तमान में सामाजिक, पारिवारिक विषयों पर फिल्म, धारावाहिक और वेब सीरीज ज्यादा बन रही हैं और उनके हिसाब से यहां की लोकेशन माकूल हैं। इनके लिए जिस तरह के चेहरे चाहिए वह कलाकार भी यहां मिल जाते हैं और बड़े कलाकारों से वक्त न मिलना और अपेक्षाकृत अधिक महंगे होने की वजह से होने वाली परेशानी भी कम होने से यहां शूटिंग को प्राथमिकता दी जा रही है। यहां शूटिंग की बढ़ती संख्या का लाभ यह हो रहा है कि यहां का हुनर अब कम पलायन कर रहा है।
वेब सीरिज की शूटिंग में शामिल शहर के कलाकार। फोटो. सौ. कलाकार
सबसिडी का मिल रहा लाभ
कलाकार तपन शर्मा बताते हैं शहर में इसलिए भी शूटिंग अधिक हो रही है क्योंकि अब राज्य सरकार द्वारा यहां विभिन्न मापदंडों के आधार पर सबसिडी दी जाने लगी है। यह सबसिडी 20 से 30 प्रतिशत तक है। ऐसे में निर्माताओं को दोहरा लाभ हो जाता है। पहला तो खर्च कम आता है और दूसरा सबसिडी मिल जाती है। तकनीक की दृष्टि से बेशक हम अभी उतने उत्कृष्ट नहीं हुए लेकिन आधारभूत तकनीक, प्रकाश संयोजन के मामले में हम आत्मनिर्भर बन चुके हैं और यहां बेहतर सुविधा होने से कई उपकरण लाने की जद्दोजहद बच जाती है।
खर्च में आती है कमी
इंदौर और आसपास होने वाली शूटिंग को लेकर रूझान इसलिए भी बढ़ा है क्योंकि यहां शूटिंग का खर्च कम आता है। मुंबई में अगर जूनियर आर्टिस्ट ढाई से तीन हजार रुपये प्रतिदिन लेता है तो यहां यह कार्य अधिकतम एक हजार रुपये में हो जाता है। मुंबई में कालेज में होने वाली शूटिंग के एवज में ढाई से तीन लाख रुपये प्रतिदिन किराया देना पड़ता है जबकि यहां 50 हजार रुपये प्रतिदिन भी नहीं लगते। कई बार तो कई लोकेशन निश्शुल्क ही मिल जाती है। एक फिल्म, धारावाहिक या वेब सीरीज की शूटिंग यहां करने से करीब 50 प्रतिशत तक खर्च में कमी आती है।
आवागमन भी बेहतर
शहर के विकास के साथ यहां लोक परिवहन के साधन भी बेहतर हुए हैं। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की बढ़ी संख्या, सड़क व रेल मार्ग भी बेहतर होने से अब निर्माता, निर्देशक, कलाकार और तकनीकी दल भी यहां आने से कतरा नहीं रहे। शहर ही नहीं बल्कि शहर के आसपास भी कई ऐसे स्थान हैं जो शूटिंग के लिए माकूल हैं। इन स्थानों तक आने जाने के लिए शहर में बेहतर साधन मुहैया हैं।
सितारों के लिए कई पांच सितारा होटल
पहले शहर में पांच सितारा होटल के नाम पर इक्के-दुक्के ही नाम हुआ करते थे पर अब शहर में कई पांच सितारा होटल हैं। इसका लाभ यह हो रहा है फिल्म या टेलीविजन के सितारों को यहां आकर कई दिनों तक रहने में भी परेशानी नहीं हो रही है। शहर के स्ट्रीट फूड के साथ देश का भोजन व विदेशी फूड भी आसानी से मिल जाता है।
कई नामी फिल्मों की हुई शूटिंग
ऐसा नहीं है कि इंदौर केवल छोटी फिल्में, धारावाहिक, वेब सीरीज का शूटिंग स्थल बन रहा है बल्कि यहां कई नामी फिल्मों की शूटिंग भी हुई। बात अगर केवल इंदौर की करें तो जरा हट के जरा बच के, कलंक, ओएमजी 2, सिंह साब द ग्रेट, पंगा, हरिओम, प्यार किया तो डरना क्या, बहूबेगम, किनारा, मुझे जीने दो जैसी फिल्म की शूटिंग हो चुकी है। शहर के आसपास होने वाली शूटिंग में पैडमैन, ओएमजी 2 सहित कई फिल्में शामिल हैं। हिंदी ही नहीं दक्षिण भारतीय भाषाओं की फिल्में भी शहर में शूट हुई हैं। इंदौर में लालबाग पैलेस, गांधी हाल, 56 दुकान, डेली कालेज, खजराना गणेश मंदिर के अलावा यहां का बाजार, रहवासी क्षेत्र, निजी स्कूल-कालेज भी शूटिंग के लिए पसंद किए जा रहे हैं।