इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कलेक्टोरेट, पीडब्ल्यूडी और महिला एवं बाल विकास विभाग के फर्जी नियुक्ति पत्र जारी कर लाखों की ठगी करने वाली फर्जी एसडीएम नीलम पाराशर का गनमैन भी ठगा गया। कमर में नकली पिस्टल खोसकर पीछे-पीछे चलने वाले सुनील ने नीलम को 50 हजार रुपये दिए थे। ड्यूटी खत्म होते ही नीलम सुनील को 200 रुपये देती थी।
पुलिस आयुक्त हरिनारायणाचारी मिश्र के मुताबिक, नीलम पाराशर मूलत: सागर की रहने वाली है। डेढ़ साल से सक्रिय नीलम पहले खुद को सागर की एसडीएम बताती थी। बाद में राज्यपाल के फर्जी हस्ताक्षर का आदेश बनाकर देपालपुर और राऊ क्षेत्र की एसडीएम बताने लगी। शुक्रवार को क्राइम ब्रांच ने सुनील नामक युवक को हिरासत में लिया जो नीलम का गनमैन बनता था। सुनील ने बताया कि वह खुद नौकरी के लिए आया था। नीलम ने 50 हजार रुपये लिए और नियुक्ति पत्र, आइडी कार्ड और वर्दी दे दी। नीलम ने सुनील को खुद का गनमैन बना लिया।
पूछताछ में नहीं कर रही सहयोग - आयुक्त के मुताबिक, नीलम उसे 200 रुपये रोज दिहाड़ी देती थी। पुलिस चालक सोहित की भी तलाश कर रही है, जो दो महीने पूर्व मिसरोद (भोपाल) में गिरफ्तार हो चुका है। सोहित उस वक्त नीलम का गनमैन बना था। दोनों वीवीआइपी शादी समारोह में शामिल हुए जिसमें राज्यपाल मंगुभाई पटेल भी गए थे। अपराध शाखा के डीसीपी निमिष अग्रवाल के मुताबिक, नीलम पूछताछ में सहयोग नहीं कर रही है। बयान लेने पर महिला पुलिसकर्मियों पर रौब झाड़ने लगती है। गुरुवार रात उसके घर छापा मारा तो लोगों की भीड़ लग गई। छापे के पहले उसका पति अनिरुद्ध फरार हो गया। नीलम के शिखरजी नगर (तेजाजी नगर) स्थित आलीशान मकान में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। महंगे श्वान और चार पहिया वाहन खड़े हैं। पुलिस को फर्जीवाड़े में अनिरुद्ध के शामिल होने के सबूत मिले हैं।
स्टेनो-रीडर नियुक्त कर 70 लाख ठगे - अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) राजेश हिंगणकर के मुताबिक, नीलम की गिरफ्तारी की खबर सार्वजनिक होने पर लगातार पीड़ित संपर्क कर रहे हैं। शुक्रवार को सात युवक क्राइम ब्रांच पहुंचे और डीसीपी (अपराध) निमिष अग्रवाल को ठगी की शिकायत की। युवकों ने बताया करीब एक साल पूर्व रिश्तेदार की मदद से नीलम संपर्क में आई थी। उसने अपर कलेक्टर का स्टेनो, रीडर, क्लर्क की नौकरी का झांसा दिया और करीब 70 लाख रुपये ले लिए। उन्हें नियुक्ति पत्र भी दिए। नौकरी ज्वाइन करने के लिए वह टाल रही थी। युवकों ने बताया नीलम अक्सर कलेक्टर कार्यालय में ही बुलाती थी। नीलम ने कलेक्टर कार्यालय बुलाया लेकिन कभी केबिन नहीं बताया। पूछने पर बोलती थी कि यहां गोपनीय कार्य होता है। नौकरी करना हो तो करो वरना अपने रुपये वापस ले लो। नौकरी जाने से डर से ज्यादा पूछने की हिम्मत भी नहीं हुई। पुलिस अब दस्तावेज बनाने में मदद करने वालों से पूछताछ कर रही है।