इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि Indore News। करीब आठ साल पहले सरकार ने द्वारा छोटे मध्यम उद्योगों और सरकारी विभागों के बीच समन्वय व उद्योगों की समस्याओं के निराकरण के लिए फेसिलिटेशन काउंसिल का गठन किया था। दो-तीन साल से काउंसिल निष्क्रिय है। दावा था कि काउंसिल ऐसे छोटे उद्योगों की समस्याएं दूर करेंगी जिन्होंने सरकारी विभागों को माल या सेवा सप्लाय की है और विभाग भुगतान रोक रहा है। काउंसिल की शिकायत लेकर शहर के उद्योगपति सोमवार को भोपाल पहुंचे। उद्योगमंत्री और प्रमुख सचिव से सीधी बात कर काउंसिल के कामकाज पर अंसतोष और नाराजगी जाहिर की।
एसोसिएशन आफ इंडस्ट्रीज मध्यप्रदेश के अध्यक्ष प्रमोद डफरिया के साथ आठ से ज्यादा उद्योगपति फेसिलिटेशन काउंसिल की शिकायत लेकर पहुंचे थे। वल्लभ भवन भोपाल सूक्ष्म लघु उद्योग मंत्री माननीय ओमप्रकाश सकलेचा व प्रमुख सचिव औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग संजय कुमार शुक्ला से उद्योगपतियों ने कहा कि काउंंसिल में उद्योगोें के विलंबित भुगतान संबंधित वर्षो से अटके हुए हैं। काउंसिल द्वारा अधिनियम में निहित नियमानुसार कार्यवाही नही होने से उद्योगों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
डफरिया ने मंत्री से कहा कि फेसिलिटेशन काउंसिल का गठन जिस उद्देश्य से किया गया है उसका उद्देश्य भी पूर्ण नही हो रहा है। सूक्ष्म लघु श्रेणी उद्योगों (माल के प्रदायकर्ता उद्यम) को कोई मदद अथवा न्याय ही नहीं मिल रहा है तो इसे चलाने का मतलब क्या है। उलट उद्योगपतियों में काउंसिल की न्याय व्यवस्था के प्रति भारी असंतोष उत्पन्न हो रहा है। प्रतिनिधिमंडल ने शिकायत की कि कांउसिल द्वारा प्रकरणों में मूलधन राशि ही दिलाई जा रही है, जबकि नियमानुसार मूलधन के साथ ब्याज राशि भी प्रदायकर्ता को मिलना चाहिए। इससे प्रदायकर्ता को आर्थिक नुकसान व क्रेतापक्ष को अप्रत्यक्ष रूप से यह संदेश जा रहा है कि भुगतान कितना भी विंलंब से करेंगे तब भी कोई पेनल्टी अथवा दण्ड देय नहीं होगा जोकि कानून विरुद्ध एवं न्यायप्रक्रिया के विपरित है।
एआइएमपी के मानद सचिव सुनील व्यास सहित उद्योगपति पंकज अगाल, किशोर बुन्देला, राजेश काले, कुंतल भाटी, राजेश शर्मा ने कहा कि लंबित प्रकरणों के समयबद्ध निराकरण हेतु जिलास्तर पर काउंसिल के गठन किया जाए। अधिकारियों को यह भी जानकारी दी कि काउंसिल मे चेयरमैन के समकक्ष कोई अधिकारी नहीं होने से भी प्रकरणों में विलंभ होता है क्योंकि किसी भी प्रकरण में बराबरी से बहस नही होती व चेयरमैन का निर्णय अंतिम माना जाता है इसके अलावा काउंसिल के सदस्यों के लिए कानूनी प्रशिक्षण के प्रविधान है, परंतु सदस्यों के प्रशिक्षण पूर्ण नही होने से नियमों व अधिनियमों की जानकारी का अभाव उनमें दिखता है। प्रमुख सचिव ने उद्योगपतियों को जल्द समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया।