Annapurna Mandir Indore: लाकडाउन के बाद भी रिकार्ड तीन साल में तैयार मां अन्नपूर्णा का नया मंदिर
Annapurna Mandir Indore: प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 31 जनवरी से, जुटेंगे 10 लाख से अधिक श्रद्धालु। जूना पीठाधीश स्वामी अवधेशानंदगिरि सहित कई साधु-संत आएंगे।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Fri, 20 Jan 2023 09:10:04 AM (IST)
Updated Date: Fri, 20 Jan 2023 09:10:04 AM (IST)
Annapurna Mandir Indore: रामकृष्ण मुले, इंदौर। मां अन्नपूर्णा का संगमरमर से नया मंदिर रिकार्ड समय में तैयार हो गया है। प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 31 जनवरी से 3 फरवरी तक मनाया जाएगा। इसमें जूना पीठाधीश स्वामी अवधेशानंदगिरि महाराज के साथ देश के विभिन्न मठ-मंदिरों और अखाड़ों के प्रमुख जुटेंगे। आयोजन में 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। प्रतिष्ठा की विधियों के लिए बनारस और नासिक से विद्वान आएंगे।
स्वामी जयद्रानंदगिरि ने बताया कि 29 जनवरी 2020 में मंदिर के लिए भूमिपूजन किया गया था। इसके बाद लाकडाउन के कारण छह माह से ज्यादा समय तक निर्माण कार्य नहीं हो पाया था। इसके बाद भी तीन साल के रिकार्ड समय में मंदिर ने आकार ले लिया है। प्रतिष्ठा में 31 जनवरी को सुबह प्रायश्चित, मंडप प्रवेश व दोपहर को मंडप देवता स्थापना, जलाधिवास और आरती होगी। 1 फरवरी को देवता पूजन, अग्नि स्थापना, अन्नाधिवास आरती और 2 फरवरी को 108 कलशों द्वारा मूर्ति स्नान, शय्याधिवास से होगा। 3 फरवरी को मुख्य आयोजन में शिखर पर कलश प्रतिष्ठा, ध्वजारोहण के बाद शाम 4 बजे से मंदिर का लोकार्पण कार्यक्रम होगा।
छह दशक पुराने मंदिर ने बदला स्वरूप
महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंदगिरि ने बताया कि छह दशक पुराने अन्नपूर्णा मंदिर ने नया स्वरूप लिया है। नए मंदिर का निर्माण वर्तमान से करीब 50 फीट पीछे 6600 वर्गफीट में किया गया है। वर्तमान मंदिर में स्थापित मां अन्नपूर्णा, कालका और सरस्वती की मूतियों की प्रतिष्ठा नए मंदिर में की जाएगी। नवीन मंदिर की लंबाई 108 फीट और चौड़ाई 54 फीट है। मुख्य कलश की ऊंचाई 81 फीट रखी गई है। नवीन मंदिर में शृंगार की चौकी और परिक्रमा स्थल भी बनाए गए हैं। पूरा मंदिर सफेद मकराना संगमरमर से बनाया गया है।
नौ देवियों, दस महाविद्याओं और 64 योगनियों के होंगे दर्शन
अन्नपूर्णा मंदिर के ट्रस्टी श्याम सिंघल के अनुसार मंदिर की दीवारों पर कई चित्र उकेरे गए हैं। मंदिर 51 स्तंभों पर बना है। मंदिर निर्माण में कई कारीगर वे थे, जिन्होंने त्र्यंबकेश्वर में अन्नपूर्णा मंदिर बनाया था। इनमें ओडिशा के 32 कलाकारों ने संगमरमर पर माता के नौ स्वरूपों को उकेरा है। मंदिर के सभा मंडप और गर्भगृह में दस महाविद्याओं और 64 योगनियों सहित माता की विभिन्न लीलाओं के दर्शन हो रहे हैं। महाभारत के विभिन्न प्रसंग भी उकेरे गए हैं।
आर्किटेक्ट ने लिया एक नारियल और एक रुपया
आर्किटेक्ट सत्यप्रकाश ने मंदिर निर्माण के लिए सिर्फ एक नारियल और एक रुपया लिया। इससे पहले त्र्यंबकेश्वर स्थित अन्नपूर्णा मंदिर का निर्माण उन्होंने सिर्फ एक नारियल और एक रुपया लेकर किया था। मंदिर का जहां बना, वहां 150 से अधिक यज्ञ हुए हैं।
64 साल पहले बना था मंदिर, 1975 में बना था मुख्य द्वार
आर्य और द्रविड़ स्थापत्य शैली के मिश्रण से अन्नपूर्णा मंदिर का निर्माण महामंडलेश्वर स्वामी प्रभानंदगिरि महाराज ने सन 1959 में करवाया था। यह मंदिर अपने हाथी गेट के लिए पहचाना जाता था। इसमें संगमरमर से बनी तीन फीट ऊंची मां अन्नपूर्णा की मूर्ति है। मंदिर के मुख्य द्वार का निर्माण 1975 में किया गया था। परिसर में मां अन्नपूर्णा, शिव, हनुमान, कालभैरव आदि के मंदिर हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर रंगीन पौराणिक आकृतियां बनी हैं