इंदौर। बच्चे की नाक से लगातार बहता पानी, बेहद खांसी और तपता बदन। एक-दो दिन तक घर में ही दवाई देकर आराम होने की उम्मीद करते रहे, पर अचानक जब सांस लेने में तकलीफ शुरू हुई, तब डॉक्टर के पास भागे। जांच में पता चला कि संक्रमण फेफड़ों तक पहुंच गया और बच्चे को फ्लू निमोनिया ने जकड़ लिया है। इन दिनों यह हालत एक-दो नहीं, अपितु हर चौथे बच्चे की है। शहर के सबसे बड़े बच्चों के अस्पताल में रोजाना करीब 800 बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। यही हाल जिला अस्पताल और अन्य प्राइवेट अस्पतालों का भी है।
इन दिनों जहां बड़ी उम्र के लोग डेंगू और टायफाइड की गिरफ्त में हैं, वहीं बच्चे फ्लू निमोनिया की चपेट में हैं। थोड़ी भी लापरवाही होने पर बुखार निमोनिया में बदल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार इन दिनों अस्पताल की ओपीडी में आने वाले बच्चों की संख्या सीधे दोगुनी हो गई है। वहीं भर्ती होने वाले मरीज भी बढ़ गए हैं। एमवाय अस्पताल में ही एक दिन में औसतन 8 से 10 बच्चे भर्ती रहते हैं। जिला अस्पताल में आने वाले बच्चों की स्थिति भी यही है। वहीं चाचा नेहरू अस्पताल में फ्लू निमोनिया के कारण औसतन 15 बच्चे रोज भर्ती रहते हैं।
बदलते मौसम ने बिगाड़ी बच्चों की सेहत
विशेषज्ञों के अनुसार बार-बार बदलता मौसम बच्चों की सेहत बिगाड़ रहा है। सुबह, दोपहर और शाम के बीच मौसम में अचानक बदलाव हो जाता है। इससे बच्चों की सेहत गड़बड़ा रही है। रात में ठंडक बढ़ने से बच्चे सर्दी-खांसी की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं।
दोनों फेफड़ों में आ रहा निमोनिया
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. हेमंत द्विवेदी के अनुसार 75 फीसदी बच्चे फ्लू निमोनिया से पीड़ित आ रहे हैं। दोनों फेफड़ों में निमोनिया आ रहा है। ऐसे में इंजेक्शन लगाकर और एंटीबायोटिक देकर निमोनिया को काबू में करने के प्रयास करते हैं। सांस लेने में ज्यादा परेशानी होने पर अस्पताल में भर्ती रखकर इलाज करना पड़ रहा है। कई बार ऑक्सीजन भी देनी पड़ती है। बच्चे की स्थिति सामान्य होने में कम से कम 4 दिन लगते हैं। इसके साथ नाक, कान और गले में भी संक्रमण फैल रहा है।
बड़ों के कारण संक्रमण की चपेट में आ रहे बच्चे
चाचा नेहरू अस्पताल के अधीक्षक डॉ. हेमंत जैन कहते हैं कि इन दिनों अस्पताल में औसतन 750-800 बच्चे ओपीडी में आ रहे हैं जबकि सामान्य तौर पर 400 बच्चे आते हैं। सोमवार को ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या एक हजार पर पहुंच गई थी। मंगलवार को करीब साढ़े सात सौ बच्चे ओपीडी में पहुंचे।
घर में एक व्यक्ति के बीमार होने पर छोटे बच्चों को बहुत जल्दी संक्रमण फैलता है। निमोनिया के कारण बच्चों को सांस लेने में बहुत तकलीफ होती है। प्रारंभिक स्तर में ही बच्चों को डॉक्टर पास ले जाकर उचित इलाज कराना जरूरी है।
दिवाली में धूल-धुएं से बचाना जरूरी
चिकित्सकों के अनुसार अगर बच्चों को निमोनिया के कारण सांस लेने में परेशानी हो रही है तो दीवाली के समय काफी सावधानी रखने की जरूरत है। पटाखों के कारण वातावरण में धूल धुंआ बढ़ेगा। इससे बच्चों को सांस की तकलीफ बढ़ सकती है।
इन बातों का रखें ध्यान
-बच्चों की सर्दी खांसी को हल्के में नहीं लें।
-घर में बड़े व्यक्ति को बुखार या सर्दी हुई है तो उन्हें बच्चों से दूर रहना चाहिए।
-बाहर से आने पर हाथ धोकर ही बच्चों को स्पर्श करें।
-बच्चों को सर्दी-खांसी होने पर रूमाल, मास्क आदि का उपयोग करें।
-निमोनिया की स्थिति में अस्पताल में भर्ती कर पूरा इलाज करवाएं।