नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर(Digital Arrest)। डिजिटल अरेस्ट केस की जांच कर रही अपराध शाखा ने गुजरात के दो पैडलर गिरफ्तार किए हैं। आरोपित फर्जी सीबीआई और ईडी अफसर बन देशभर में ठगी करने वाले गिरोह के सदस्य हैं। इस गिरोह ने 71 वर्षीय वृद्ध से 40 लाख 70 हजार रुपये की ठगी की थी।
एडिशनल डीसीपी (अपराध) राजेश दंडोतिया के मुताबिक शिवधाम कॉलोनी खंडवा रोड निवासी वृद्ध के मोबाइल पर वॉट्सएप काल आया था। आरोपितों ने स्वयं को बांद्रा मुंबई पुलिस स्टेशन के अधिकारी बताते हुए कहा कि आपके बैंक खाते में दो करोड़ 60 लाख रुपये का अवैध ट्रांजेक्शन हुआ है।
इस राशि के बदले तुम्हें 15 प्रतिशत कमीशन भी मिला है। आरोपितों ने वृद्ध को सुप्रीम कोर्ट के फर्जी आदेश की प्रति और गिरफ्तारी संबंधित दस्तावेज भेज दिए। वृद्ध ने बताया कि उनका मुंबई में न खाता है, न कमीशन मिला है। आरोपितों ने धमकाते हुए कहा कि जांच एजेंसी ने बैंक अफसर को भी गिरफ्तार किया है।
दबिश के दौरान अफसर के घर से उनके नाम के चेक और पासबुक मिली है। इस केस में सीबीआई की जांच टीम गिरफ्तार करने पहुंच रही है। पूरी तरह झांसे में लेने के बाद आरोपितों ने वृद्ध की फर्जी सीबीआइ अफसर आकाश कुलकर्णी से बात करवाई और डिजिटल अरेस्ट कर लिया। आरोपितों ने कहा कि बैंक खातों की जांच आरबीआई से करवाई जाएगी।
इस तरह वृद्ध के खातों से 40 लाख 70 हजार रुपये जमा करवा लिए। गिरफ्तारी के डर से वृद्ध ने एफडी के रुपये भी दे दिए। बाद में ठगी का एहसास होने पर वृद्ध ने एनसीआरबी पोर्टल पर शिकायत की। पुलिस ने मामले की जांच कर मंगलवार रात आरोपित हिम्मत भाई देवानी निवासी सूरत और अतुल गिरी गोस्वामी निवासी सूरत गुजरात को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने पूछताछ की तो आरोपित हिम्मतभाई ने बताया कि वह कपड़ों पर कारीगरी करता है। उसका एक व्यक्ति से वाट्सएप पर संपर्क हुआ था। उसने खातों के बदले डेढ़ प्रतिशत कमीशन देने को कहा था। हिम्मत ने अतुल के माध्यम से फर्जी खाता लिया था।
पुलिस द्वारा जांच करने पर खाते में करीब एक करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन मिला। पुलिस के मुताबिक मुख्य आरोपित गिरोह के सदस्यों को फर्जी नाम बताता था। वह वर्चुअल नंबरों से बात करता था।
लोगों को फोन और वीडियो कॉल पर धमकाकर डिजिटल अरेस्ट जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं। सबसे पहली बात पुलिस सहित कोई भी जांच एजेंसी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है। अगर आपको भी ऐसा फोन आए तो घबराए नहीं, फोन काटकर तुरंत इसकी सूचना राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 को दें, इसके साथ ही आप cybercrime.gov.in पर भी रिपोर्ट कर सकते हैं।