Indore News: मूसाखेड़ी चौराहे पर दिखाई देगा ‘संविधान का पहला पन्ना’ बनाने वाले दीनानाथ भार्गव का याेगदान
Indore News: निगम की एमआइसी ने मूसाखेड़ी चौराहे के गार्डन आईलैंड का किया है नामकरण।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Thu, 26 Jan 2023 08:51:53 AM (IST)
Updated Date: Thu, 26 Jan 2023 08:51:53 AM (IST)
Indore News: उदय प्रताप सिंह, इंदौर। भारत के संविधान का पहला पन्ना बनाने तैयार करने में इंदौर के चित्रकार दीनानाथ भार्गव का अहम योगदान था। उसके बाद भी अभी इंदौर शहर में अभी तक उनके किए काम को उल्लेखित व सम्मान देने के लिए कोई विशेष काम नहीं हो सका है। भार्गव का निधन 2016 में हो गया। ऐसे में अब सात साल बाद नगर निगम ने उनकी सुध ली हैं और अब मूसाखेड़ी चौराहे पर एक आइलैंड गार्डन पर अशोक स्तंभ, संविधान की किताब के साथ दीनानाथ भार्गव का फोटो व उनके योगदान को अंकित किया जाएगा। ऐसे में इस चौराहे से गुजरने वाले शहरवासी भार्गव द्वारा संविधान की किताब के निर्माण में दिए योगदान को जान सकेंगे।
गौरतलब है कि मेयर इन कौंसिल की बैठक में इस गार्डन आइलैंड के नामकरण के लिए पूर्व में स्वीकृति मिल चुकी है। दीनानाथ भार्गव के पुत्र सौमित्र भार्गव के मुताबिक हम लंबे से से प्रयास कर रहे थे कि जिला प्रशासन व नगर निगम हमारे पिताजी के विशेष योगदान को लेकर शहर मे किसी यूनिवर्सिटी, मार्ग का नाम या उद्यान का नामकरण करे। महापौर पुष्यमित्र भार्गव से भी इस संबंध में मुलाकात हुई थी। ऐसे में उन्होंने आश्वासन दिया है कि मूसाखेड़ी चौराहे के आइलैंड पर अशोक स्तंभ के साथ पिताजी के चित्र व कार्य का उल्लेख किया जाएगा।
आज भी परिवार ने सहेज रखा है संविधान का पहला पन्ना
1949 में दीनानाथ भार्गव शांति निकेतन में ललित कला के द्वितीय वर्ष के छात्र थे। वे संविधान का प्रथम पृष्ठ व पन्नों की आउटलाइन तैयार करने वाले दल में शामिल थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने संविधान की मूल प्रति को चित्रों से सजाने का जिम्मा शांति निकेतन को दिया था। तब वहां के कला भवन के प्राचार्य नंदलाल बोस ने संविधान के सभी पन्नों पर आउटलाइन व मुख पृष्ठ तैयार करने के लिए 12 होनहार छात्रों को चुना था। उनमें से भार्गव भी एक थे। बोस ने उन्हें राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। संविधान के प्रथम पृष्ठ की डिजाइन के लिए भार्गव को 1949 में 12 हजार रुपये मेहनताना मिला था।
संविधान के कवर के लिए जो पहला पृष्ठ लेदर पेपर पर तैयार किया जा रहा था, तब स्याही का ब्रश उस पर गिर गया था। इस वजह से उसके स्थान पर भार्गव ने दूसरा पृष्ठ तैयार किया था, जो संविधान की किताब में लगाया गया। पहले पृष्ठ पर बने अशोक स्तंभ को तैयार करने के लिए सोने के वर्क की स्याही का इस्तेमाल किया गया था। ऐसे में जिस पेज पर ब्रश की स्याही गिर गई थी उसे दीनानाथ भार्गव ने संभालकर रखा था। आज भी यह पेज इंदौर में भार्गव के परिवार ने सहेजकर रखा है।
कोलकाता के चिड़ियाघर के शेरों का अध्ययन कर तैयार किया था अशोक स्तंभ
दीनानाथ भार्गव ने संविधान के मुख्य पृष्ठ पर अंकित राष्ट्रीय चिह्न के शेरों को चित्रित करने के पहले दो माह तक कोलकाता में रहे थे। वहां के चिड़ियाघर में उन्हें शेर व शावकों के हावभाव का अध्ययन कर चित्र बनाया था। उसके बाद ही संविधान के मुखपृष्ठ पर सोने की स्याही से बने शेर के परिवार को दिखाया गया है। इसमें शेर, शेरनी और शावक का चित्र है।
गार्डन आइलैंड के नामकरण पर एमआइसी से मिल चुकी है स्वीकृति
रिंगरोड के मूसाखेड़ी चौराहे पर गार्डन आइलैंड नामकरण दीनानाथ भार्गव के नाम पर किए जाने पर एमआइसी की ओर स्वीकृति मिल चुकी है। उस गार्डन आइलैंड पर उनकी याद में शिलालेख लगाने की योजना बनाई जाएगी।
पुष्यमित्र भार्गव, महापौर