इंदौर। Clean City Indore देश में सफाई में अव्वल इंदौर का मॉडल अब कुवैत में भी लागू होने जा रहा है। कचरा संग्रहण से लेकर निगरानी तंत्र के लिए जिस तरह के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल इंदौर में किया गया है, वैसा ही कुवैत के लिए भी विकसित किया जा रहा है। सफाई को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर कर रही वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी ने इंदौर की सॉफ्टवेयर कंपनी से अनुबंध किया है।
इंदौर नगर निगम की जरूरतों और भारतीय मानकों से विकसित इस मॉडल को कुवैत के मानकों के हिसाब से ढाला जाएगा। इसका परीक्षण शुरू हो गया है। संभवत: नए साल में कुवैत की सड़कों पर इसी तरह से कचरा उठने लगेगा। स्वच्छता अभियान के तय मानकों को पूरा करने के लिए इंदौर में कचरा संग्रहण को लेकर जमीनी तौर पर जितने संसाधन जुटाए गए हैं, उसकी निगरानी के लिए उतना ही हाईटेक सिस्टम विकसित किया गया है।
इंदौर नगर निगम और एजेंसी के साथ मिलकर सॉफ्टवेयर विकसित करने वाली कंपनी के निदेशक आनंद नवाल कहते हैं कि शहर के चप्पे-चप्पे पर नजर रखने वाले सॉफ्टवेयर को विकसित करने के लिए हमें निगम अधिकारियों के साथ छह महीने तक मैदानी सर्वे करना पड़ा था। इसी दौरान शहरी सीमा में शामिल 5.58 लाख घर व वाणिज्यिक इमारतें चिन्हित हुईं। फिर घर-घर पहुंचने का लेन, समय, कचरे की मात्रा सभी फीड कर दिया गया।
कंपनी के सॉल्यूशन आर्किटेक्ट अरण्य जैन बताते हैं कि अब पालिका प्लाजा स्थित इंदौर निगम के एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियंत्रण कक्ष से बैठकर अधिकारी सुबह 6 बजे से कचरा उठाने वाली 779 गाड़ियों के पार्किंग से निकलकर पेट्रोल पंप तक पहुंचने, डीजल भरवाकर कॉलोनियों की गलियों से कचरा उठाने और संग्रहण केंद्र तक पहुंचाने तक हर सेकंड का मूवमेंट ट्रैक कर रहे हैं। कुवैत में तंत्र ज्यादा विकसित है। इसलिए वहां 2900 मार्गों पर 5000 गाड़ियों की ट्रैकिंग के लिए यह तंत्र विकसित करना है।
इंदौर मॉडल:28.28 लाख आबादी, 1167 मीट्रिक टन कचरा (रोजाना)
- 19 जोन में बंटा है शहरी इलाका। एक जोन की निगरानी के लिए एक व्यक्ति। सभी गाड़ियां जीपीएस और वॉकीटॉकी के जरिए तंत्र से जुड़े हुए हैं।
- 558071 घरों से कचरा उठता है। हर घर चिह्नित है कि परिवार में कितने सदस्य हैं। किस घर से औसतन कितना कचरा निकलता है? यदि किसी घर से किसी दिन अस्वाभाविक रूप से ज्यादा कचरा निकलता है तो तुरंत ट्रैक हो जाता है।
- 469 कुल रूट (मुख्य मार्ग और गलियां) से सुबह उठता है कचरा। शाम को व्यावसायिक इलाकों के 138 रूट से कचरा उठता है। देर रात दो से तीन के बीच राजवाड़ा-सराफा के 3 रूट से उठता है कचरा। 49 रूट से बल्क गारबेज (25 किलो से ज्यादा कचरा) उठता है।
- 540 गाड़ियां डोर टू डोर संग्रहण के लिए, 122 खुली गाड़ियां, जो सार्वजनिक स्थानों, लिटरबिन और झाड़ू लगने के बाद सड़कों से कचरा उठाती हैं। 38 नई गाड़ियां आने वाली है। डंपर, कॉम्पैक्टर, स्ट्रीट स्विपिंग मशीन, पोकलेन और जेसीबी सहित 150 गाड़ियां शामिल है।
लक्ष्य : सात जोन में दो घंटे कम करना है संग्रहण
समय 12 जोन में कचरा उठाने का काम सुबह साढ़े 12 बजे तक हो जाता है। शेष सात जोन का क्षेत्रफल बड़ा होने से वर्तमान में दोपहर एक या दो बजे तक संग्रहण होता है। अगला लक्ष्य इन सात जोनों में संग्रहण समय को दोपहर 12 बजे तक लाना है।
कुवैत मॉडल : 41.4 लाख आबादी, 18000 मीट्रिक टन कचरा (रोजाना)
- 5000 गाड़ियां परिवहन व कचरा संग्रहण से जुड़ी हैं। इनकी गतिविधियों की रिकॉर्डिंग और ट्रैकिंग होगी।
- 6 जिलों में बंटा कुवैत एक ही निगम के अधीन है।
- 17 जोन में से 10 जोन में इस तंत्र की निगरानी होगी।
- 18000 मीट्रिक टन यानी इंदौर से लगभग 15 गुना कचरा उत्सर्जित होता है। इसमें गीले-सूखे के अलावा कंस्ट्रक्शन, ग्रीन, बल्क वेस्ट (सोफा, फर्नीचर आदि) भी शामिल हैं।
- 2900 रूट रहेंगे, जो इंदौर से बड़े हैं। उनकी टैगिंग करनी होगी। एक डस्टबिन खाली करने में अभी तीन मिनट लगते हैं।
- 10 बजे रात से सुबह छह बजे व दूसरे चरण में सुबह 6 से 12 के बीच कचरा संग्रहण होता है। व्यावसायिक इलाकों में 24 घंटे मैन्युअल संग्रहण होता है।
- 240 लीटर के लिटरबिन घरों के बाहर हैं। घर-घर कचरा संग्रहण के बजाय इन स्मार्ट डस्टबिन से संग्रहण होगा। कम्युनिटी कलेक्शन पॉइंट पर भी बड़े लिटरबिन रखे जाते हैं। वहां भी चिप लगी रहेगी, जिससे पता चलेगा कि कचरा संग्रहण हुआ या नहीं।
कुवैत : कठोर कानून से राहत के लिए जरूरी है यह तंत्र
कुवैत में यह सिस्टम लागू करने वाली कंपनी के इंडिया ऑपरेशन हेड मोहन पांडे कहते हैं कि वहां शिकायत आने के चार घंटे के भीतर उसका समाधान होना जरूरी है। कंपनी व जनता के लिए भारी जुर्माने से बचने का रास्ता है कि गलती ही न हो। इंदौर में लागू निगरानी तंत्र से अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।
लक्ष्य : ऐप के जरिए कुवैत के रहवासी कर पाएंगे शिकायत
कुवैत में बल्क वेस्ट ज्यादा है। संग्रहण के बाद कई बार लोग घरों के बाहर ही कचरा रख देते हैं। इस सॉफ्टवेयर में ऐसी व्यवस्था रहेगी जिससे लोग कचरा निकालने की पूर्व सूचना दे सकेंगे जिससे कचरा निकलते ही गाड़ी घरों के बाहर तक पहुंच जाए।
देश के किसी भी शहर में इंदौर जैसा व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम नहीं
इंदौर नगर निगम जैसा व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम देश के किसी शहर में नहीं है। पहले कचरा गाड़ियों को इससे जोड़ा गया था, अब निगम में लगी हर गाड़ी को इससे जोड़ा गया है। किराए के डंपर-बुलडोजरों का भुगतान भी ट्रैकिंग सिस्टम के रिकॉर्ड के आधार पर हो रहा है। - रजनीश कसेरा, प्रभारी निगमायुक्त