Heritage of Indore: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। अतीत के दस्तावेज और गौरवशाली परंपरा की पैरवी करती शहर की छत्रियों की सूरत एक बार फिर संवर रही है। शहर के पश्चिमी क्षेत्र छत्रीबाग में किलेनुमा विशाल परकोटे के बीच होलकर राजवंश की वह स्मृतियां संजोई हुई हैं जिसमें वीरता, त्याग, स्थापत्यकला, सौंदर्य और अध्यात्म के अंश शामिल हैं। शहर की इस धरोहर को संवारने का काम स्मार्ट सिटी के अंतर्गत हो रहा है, जिसके तहत न केवल यहां का सौंदर्य पहले की तरह नजर आएगा बल्कि अनदेखी का शिकार हुई इतिहास की सीढ़ियों को भी उभारा जा रहा है। इन छत्रियों को सजाने-संवारने के लिए 4.3 करोड़ रुपये भी खर्च किए जा रहे हैं।
यह एक ऐसा स्थान है जहां शहर के पहले सूबेदार मल्हारराव होलकर, खांडेराव होलकर, देवी अहिल्याबाई होलकर के अलावा मल्हारराव होलकर की पत्नी गौतमाबाई, मालेराव होलकर, मल्हारराव होलकर द्वितीय, तुकोजीराव द्वितीय, तुकोजीराव तृतीय, स्नेहलता राजे, इंद्राबाई, कन्याबाई और शर्मिष्ठादेवी होलकर की छत्रियां हैं। इनमें से मल्हारराव, खांडेराव और मालेराव की छत्री का निर्माण अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था और यह निर्माण कार्य 1784 तक पूर्ण हो गया था। 26 मई को अहिल्याबाई ने यहां विश्राम भी किया था और पति व ससुर की छत्रियों में प्रतिमाएं भी स्थापित कराई। छत्रियों में शिवलिंग की स्थापना के साथ संबंधित छत्री में राजा और उनके साथ सती हुई रानियों की प्रतिमाएं भी हैं। 18वीं शताब्दी में बनी यह छत्रियां मराठा व राजपूत शैली में बनाई गई हैं जबकि 19वीं शताब्दी में बनी छत्रियों में मध्यकालीन स्थापत्य कला की योजना और वास्तु विन्यास के साथ मराठा, राजपूत और मुगल शैली का सौंदर्य भी नजर आता है। छत्रियों की दीवार पर देवताओं की मूर्तियां तो उकेरी ही गई हैं साथ ही द्वारपालों को भी उकेरा गया है।
सरस्वती नदी के किनारे इन छत्रियों का निर्माण लाल, सफेद और काले रंग के बलुआ पत्थरों से अलग-अलग कालखंड में अलग-अलग शासकों ने करवाया। करीब दो एकड़ में बनी इन तमाम छत्रियों में होलकर राजवंश के पुरुषों के साथ उनकी पत्नियों की प्रतिमाएं भी हैं। इसके अलावा सभी छत्री में स्थापित शिवलिंग का पूजन खासगी ट्रस्ट द्वारा आज भी कराया जाता है और इसकी देखरेख की जिम्मेदारी भी ट्रस्ट के पास ही है।
निखरेगा छत्रियों का सौंदर्य
स्मार्ट सिटी कंपनी के सीईओ ऋषव गुप्ता बताते हैं छत्रियों के संरक्षण और सौंदर्यीकरण का कार्य जुलाई तक पूरा हो जाएगा। यहां पाथवे ऊंचा होने से छत्रियों को हानि पहुंच रही थी इसलिए उसे खोदकर नीचे किया जा रहा है। पाथवे के नीचे होने के बाद छत्री के पत्थरों पर कोटिंग की जाएगी और फिर लाइटिंग होगी। इसके साथ ही यहां उद्यान भी बनाया जाएगा।
सभी फोटो- राजू पवार