By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Sat, 02 Dec 2023 12:11:14 PM (IST)
Updated Date: Sat, 02 Dec 2023 12:11:14 PM (IST)
ये बारिश भी बड़ी दिलचस्प शै है। बीते दिनों जरा बेमौसम क्या बरसी, इसने लोगों को दो चीजों की याद दिला दी- एक तो नानी की याद दिलाई और दूसरी कांग्रेस सरकार की। हुआ यूं कि बरखा बरसी तो बत्ती गुल हो गई। अब
मध्य प्रदेश में तो अंधकार होते ही लोगों को
कांग्रेस सरकार के दिग्विजय सिंह वाले शासन काल की याद आने लगती है। सो आई। किंतु अबकी बार लोगों ने उन्हें कोसा, जो सत्ता में थे।
दरअसल, मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी मानसून शुरू होने के पहले और बाद में मेंटेनेंस के नाम पर घंटों तक शहर के कई इलाकों की बत्ती गुल रखती है। लोग यह सोचकर कष्ट सह लेते हैं कि मेंटेनेंस हो जाएगा तो सालभर बिजली गुल होने की समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा। मगर बिजली कंपनी मेंटेनेंस के नाम पर जो जादू दिखाती है, वह इस बार जरा-सी बेमौसम बारिश में फेल हो गया। जरा बरखा से बिजली के 35 फीडर फाल्ट हो गए। इन फीडरों के फाल्ट से कई इलाके अंधकार में डूब गए। अंधेरे में बैठे लोगों ने सोचा कि कहीं 3 दिसंबर से फिर वही शासन आने वाला तो नहीं!
जीत से ज्यादा जीत के अंतर की चर्चा
विधानसभा चुनावों का मतदान समाप्त होने के बाद हर प्रत्याशी अपनी जीत का दावा कर रहा है। भाजपा-कांग्रेस अपनी-अपनी सरकारें बनाने का दावा कर रही हैं।
इंदौर में विधानसभा क्षेत्र दो और चार को भाजपा का गढ़ माना जाता है। एक नंबर सीट से भाजपा ने वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय को मैदान में उतारा था। ऐसे में इसे भी भाजपा कार्यकर्ता जीती हुई मान रहे हैं। अब इन सीटों पर जीत से ज्यादा जीत के अंतर की चर्चा हो रही है। इन तीन सीटों से जीत को लेकर भाजपा कार्यकर्ता तो आश्वस्त हैं ही, आम लोग भी इन्हें भाजपा की ही बता रहे हैं। प्रत्याशियों के साथ ही कार्यकर्ता भी दो और चार नंबर पर पिछली बार से ज्यादा मतों से जीत का दावा कर रहे हैं। पिछली बार दो नंबर में 71 हजार और चार नंबर में 43 हजार से ज्यादा की लीड मिली थी। अब देखते हैं यह दावा इस बार दावा ही रहता है, सच हो जाता है।
दीवारों पर खीसे निपोर रहे राजा, दादा, गोलू, पिंटू, जीतू
प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को मतदान हुआ था। प्रचार तो 15 नवंबर की शाम को ही बंद हो चुका था। मगर प्रचार और मतदान समाप्त होने के करीब दो सप्ताह बाद भी राजा, दादा, गोलू, पिंटू, जीतू, संजू आदि दीवारों पर पोस्टर बनकर टंगे हैं और खीचे निपोरकर मतदाताओं से वोट देने की गुहार लगा रहे हैं। दरअसल, पूरे शहर में अब भी दीवारों पर कई प्रत्याशियों के होर्डिंग, बैनर, पोस्टर लगे हैं। मतदान संपन्न होने के बाद देश के सबसे स्वच्छ शहर के प्रत्याशियों ने अब तक इन्हें हटाने का कष्ट नहीं किया। प्रशासन भी वेट एंड वाच की स्थिति में लग रहा है कि पता नहीं यही वाले जीत गए तो कहीं फजीहत न हो जाए। जनता के छोटे-बड़े पोस्टरों पर डंडा चलाने वाले नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों का डंडा भी लगता है यहां ठंडा ही पड़ा है।
जिनको खुद नहीं आता, उन्हें ही बना दिया उत्तरदाता
एक्जिट पोल ने उम्मीदवारों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। परिणाम तो 3 दिसंबर को ही आएंगे, मगर सभी अभी से सक्रिय हो गए हैं। मतगणना में कोई गड़बड़ी न हो, इसके लिए कांग्रेस ने पिछले दिनों अपने विधायकों को प्रशिक्षण देने भोपाल बुलाया था। अब विधायकों को तो भोपाल बुला लिया, मगर वरिष्ठ नेताओं ने ही गंभीरता नहीं दिखाई। इंदौर से विशाल पटेल, जीतू पटवारी, संजय शुक्ला, रीना बौरासी और सत्यनारायण पटेल इस प्रशिक्षण में पहुंचे थे। कांग्रेस ने प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी ऐसे नेताओं को पकड़ा दी, जो खुद कभी चुनावी मैदान में नहीं उतरे। अब इन नेताओं को विधायकों के सवाल के जवाब देते नहीं बना। देपालपुर के विधायक विशाल पटेल के सवाल का जवाब भी वे नहीं दे सके।