Brahma Kumaris Institute Indore : इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा इंदौर में दस साल बाद तीन दिनी कुमारियों का दिव्य अलौकिक समर्पण समारोह शनिवार से समारोह परिसर मैरिज गार्डन खंडवा रोड पर आयोजित किया गया। इसमें एक साथ 24 बहनें दुल्हन की तरह सजकर परमात्मा शिव को साजन के रूप में स्वीकार कर कुमारी से ब्रह्माकुमारी बन गईं। समर्पित होने की स्वीकृति के लिए इन्हें साढ़े पांच साल में तीन चरणों के प्रशिक्षण से होकर गुजरना पड़ा। वर्तमान में इंदौर जोन की 500 ब्रह्माकुमारियां मप्र व राजस्थान के सेवाकेंद्रों पर सेवाएं दे रही हैं।
इंदौर जोन की जोनल निदेशिका राजयोगिनी बीके आरती दीदी ने बताया कि दस साल बाद इंदौर में इतने बड़े स्तर पर कुमारियों का समर्पण समारोह किया गया। सभी कुमारियों का समर्पण उनके माता-पिता और अभिभावक की स्वीकृति से ही किया गया। इच्छुक बहनों को तीन साल प्रशिक्षण की अवधि में रखा जाता है। इस दौरान उनकी दिनचर्या, नियम-संयम और आध्यात्म के प्रति रुचि देखी जाती है। जब वे इस ईश्वरीय विश्वविद्यालय की सभी मर्यादाओं पर खरी उतरती हैं तो उन्हें दो साल तक अंतिम अभ्यास के बाद समर्पित होने की स्वीकृति दी जाती है। इस बीच यदि कोई बहन स्वेच्छा से सांसारिक जीवन में जाना चाहती हैं तो जा सकती हैं।
ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा इंदौर में एक साथ 24 बहनें दुल्हन की तरह सजकर परमात्मा शिव को साजन के रूप में स्वीकार कर कुमारी से ब्रह्माकुमारी बन गईं। https://t.co/1q6PiLSj4P pic.twitter.com/aWpNySWvVf— NaiDunia (@Nai_Dunia) October 8, 2022
अकाल मृत्यु भय से मुक्त करना चाहती थी परिवार को
समर्पित होने वाली खरगोन जिले की 35 वर्षीय बीके संगीता कहती हैं कि 2011 से संस्था से जुड़ी हूं। जब नौवीं की छात्रा थी तभी से मुझे ऐसी शक्ति की तलाश थी जो मुझे भय मुक्त करे। मेरे परिवार में अकाल मृत्यु हो रही थी। इसके बाद मेरे मामा से राजयोग मेडिटेशन कोर्स का पता चला। संस्थान से जुड़ने के बाद मैंने एमए, बीएड किया। इसके बाद होस्टल की प्रभारी बनी। जीवन भी संपन्न हुआ। इसके बाद मैंने समर्पित होने की इच्छा व्यक्ति की। पहले तो माता-पिता ने इनकार किया, लेकिन फिर सहमति दे दी।
पहले फौज में जाकर देशसेवा का था मन
एमएससी कर चुकी हरियाणा की रहने वाली बीके पिंकी कहती हैं कि मेरे पिता पुलिस में हैं। परिवार संस्थान से जुड़ा है। पहले मैं फौज में शामिल होकर देश सेवा करना चाहती थी। बाद में देखा कि आज सबसे अधिक आवश्यकता मानसिक स्वास्थ्य की है। परमात्मा से जुड़ने के बाद जीवन में समस्याएं नहीं रहती। मेरा एक भाई और बहन भी है जो भाई आइआइटी की पढ़ाई कर रहा है और बहन भी संस्थान से जुड़ी है।
मेरे निर्णय का परिवार ने भी किया समर्थन
कटनी के व्यवसायी पिता की बीएससी नर्सिंग में कर चुकी बेटी बीके दुर्गा कहती है कि मैं पांच साल मधुबन रही। मधुबन में रहकर विश्व कल्याण की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा मिली। मेरा पूरा परिवार ज्ञान में चल रहा है। जब मुझे समर्पित होने की दृढ इच्छा हुई तो मैंने यह निर्णय लिया। इस निर्णय में परिवार का भी पूरा समर्थन मिला हुआ है।
समर्पण से पहले लेनी होती सात प्रतिज्ञाएं
कोटा की रहने वाली 30 वर्षीय बीटेक (आइटी) बीके सुकीर्ति भी समर्पित हो रही हैं। वे कहती हैं कि समर्पित होने वाली ब्रह्माकुमारी दुल्हन की तरह सज धजकर परमात्मा शिव को साक्षी मानकर ताउम्र ईश्वरीय नियम-मर्यादा का पालन का संकल्प लेती हैं। इस दौरान उन्हें सात प्रतिज्ञाएं कराई जाती हैं।
तीन दिन होंगे ये आयोजन
8 अक्टूबर : सुबह 11 से 3 बजे तक स्वागत नृत्य से और समर्पण करने वाली कन्या बीके विद्या और बीके दुर्गा अपने अनुभव सुनाएंगे। इंदौर जोन की निदेशिका बीके आरती दीदी के आशीर्वचन से समर्पण करने वाली बहनें परमात्मा को स्वीकार करेंगी।
9 अक्टूबर : सुबह 11 से 12 जीवन में सफलता का रहस्य विषय पर बीके निकुंज भाई की कक्षा होगी। सुबह 11 से 12 बजे राजयोगिनी डा. नलिनी दीदी का समर्पण करने वाली कन्याओं से मुलाकात और संकल्प का कार्यक्रम होगा। दोपहर 12 बजे से जोन की वरिष्ठ बहनों का सम्मान समारोह होगा। दोपहर 3 से 5 बजे सभी बहनें एक साथ दुल्हन के रूप में स्टेज पर पहुंचेंगी और सात प्रतिज्ञाएं लेंगी।
10 अक्टूबर : सुबह 10 से 12 बजे तक इंडेक्स मेडिकल कालेज के सामने बन रहे ब्रह्माकुमारीज संस्थान के मप्र के पहले शिव शक्ति रिट्रीट सेंटर में अतिथि भवन के निर्माण का भूमिपूजन समारोह होगा। यह रिट्रीट सेंटर पांच एकड़ में बन रहा है। प्रत्येक वर्ग के लिए मेडिटेशन रिट्रीट आयोजित की जाएगी।