इंदौर। Brahma Kumaris ब्रह्माकुमारी संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोह में रविवार को देश के विभिन्न हिस्सों से आई 20 बेटियों ने ब्रह्मचर्य धारण करते हुए समाजसेवा के लिए अपना जीवन अर्पित करने का संकल्प लिया। करीब पांच हजार लोगों से खचाखच भरे रेसकोर्स रोड स्थित बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स में दादी जानकी की मौजूदगी में बेटियों ने दुल्हन की तरह सज-धजकर शिव संग जीवन की प्रीत जोड़ी। शिवलिंग को वरमाला पहनाकर उन्हें अपना जीवनसाथी बनाया। बाद में सभी बेटियों को शिवलिंग की वरमाला दी गई। अपनी लाड़लियों का हाथ दादी के हाथ में सौंपते हुए माता-पिता ने कहा कि अब से यह आपकी अमानत हुई। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच जब ये बेटियां स्टेज पर पहुंचीं तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
शिव के वरण के बाद इन्होंने कहा कि हमारे जीवन का लक्ष्य भारतीय पुरातन आध्यात्मिकता और राजयोग मेडिटेशन का संदेश जन-जन तक पहुंचाना है। इस दौरान माउंट आबू से आए 101 राजयोगी भाई-बहनों का पगड़ी, तिलक और माला पहनाकर स्वागत किया गया। इस अवसर पर शांतिवन के प्रबंधक बीके भूपाल, बीके देव, बीके रुक्मिणी, नागपुर से आई बीके रजनी सहित 200 से अधिक ब्रह्माकुमारी बहनें उपस्थित थीं।
दादी ने कहा- यह दृश्य कितना सुंदर, कन्याएं भाग्यशाली
इस मौके पर दादी ने कहा कि ये कन्याएं कितनी भाग्यशाली हैं, जो भगवान की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर रही हैं। आज का ये दृश्य कितना सुंदर है। उन्होंने कहा कि साइलेंस से शांति, खुशी और शक्ति मिलती है। साइलेंस में बहुत पावर है। ओम शांति का ये महामंत्र मन को शांति प्रदान करता है। इस दौरान इंदौर जोन की वरिष्ठ ब्रह्माकुमारी बहनों की ओर से दादी का मुकुट, हार, माला से सम्मान किया गया।
अब तक इंदौर जोन में एक हजार बहनें बनीं ब्रह्माकुमारी
कार्यक्रम में इंदौर जोन की जोनल निदेशक बीके कमला दीदी ने कहा कि आज 20 बेटियों ने अध्यात्म की राह पर चलने का संकल्प लिया है। आज से 50 वर्ष पूर्व इंदौर में रोपा गया ये अध्यात्म का पौधा अब वटवृक्ष बन गया है। इंदौर जोन से एक हजार बहनें ब्रह्माकुमारी बनी हैं। बीके आत्मप्रकाश भाई और बीके डॉ. सविता ने भी विचार रखे।