Bajrang Dal History कांग्रेस ने हाल ही में कर्नाटक के चुनावी घोषणा पत्र जारी किया है, जिसमें उसने हिंदूवादी संगठन बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। इस घोषणा पत्र में मुफ्त की कई चीजें देने के साथ ही वादा किया गया है कि धार्मिक उन्माद फैलाने वाले संगठनों जैसे बजरंग दल और पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। कांग्रेस के इस वादे के बाद से ही पीएफआइ के साथ बजरंग दल का नाम शामिल किए जाने पर विवाद गर्मा गया है। आइए जानते हैं बजरंग दल के बारे में, जिसे लेकर पूरा विवाद चल रहा है।
बात उस समय की है जब देश में राम जन्मभूमि और अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने की मुहिम अपने चरम पर थी। इस समय भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद इस मुद्दे को लेकर देश भर में आंदोलन कर रही थी। इस आंदोलन के लिए विश्व हिंदू परिषद को एक और संगठन की जरूरत थी, जो सड़कों पर उतरकर आंदोलन कर सके, युवाओं को इस आंदोलन से जोड़ सके। ऐसे में 1984 में बजरंग दल की स्थापना की गई और विनय कटियार जो उस समय राम मंदिर बनाए जाने को लेकर बेहद उग्र थे, उन्हें इसका चेहरा बनाया गया। संस्थापक सदस्यों में भाजपा के उस समय के फायर ब्रांड चेहरा लालकृष्ण आडवाणी भी थे। बाद में इसकी महिला विंग दुर्गा वाहिनी भी बनाई गई थी।
अयोध्या राम मंदिर के अलावा बजरंग दल के अजेंडे में मथुरा का कृष्ण मंदिर और वाराणासी का काशी विश्वनाथ मंदिर प्रमुखता से हैं। बजरंग दल को भगवा जंग और धर्म युद्ध संस्था भी कहा जाता है। बजरंग दल के सदस्यों का मुख्य ध्येय हिंदू राष्ट्र की रक्षा करना है। इस संगठन की विचारधारा है, भारत में बढ़ते धर्मांतरण को रोकना और हिंदूओं को अपने धर्म के प्रति जागृत करने की है। यह संगठन अपनी शुरुआत से ही हिंदू राष्ट्रवाद, राम जन्मभूमि विवाद, लव जिहाद, घर वापसी आदि मुद्दों पर संघर्ष करता रहा है।
बजरंग दल ने भारत के विभिन्न हिस्सों में अपनी गतिविधियों को संचालित किया है, जिसमें हिंदू समुदाय की सुरक्षा और संरक्षण के लिए रैलियों, धर्मांतरणों और आंदोलनों का आयोजन शामिल है। इस संगठन को संघर्ष स्पीड की जीत की जंग करने वाली एक संगठन के रूप में भी जाना जाता है।
यह संगठन हिंदू राष्ट्रवाद, धर्म रक्षा और गौ माता की रक्षा को अपनी प्राथमिक उपलब्धियों में शामिल करता है। इस संगठन के सदस्य अक्सर अपने संगठन के संकल्प के लिए अलग-अलग तरीकों से संगठित होते हैं, जैसे शाखाएं, जातियों, नगरों या इलाकों के आधार पर। इस संगठन का मुख्य कार्य धर्म रक्षा, हिंदू इकाई और हिंदू शक्ति को बढ़ावा देना है।
पहले भी कई बार हो चुका है प्रतिबंधित
यह पहला अवसर नहीं है जब बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की बात उठी है। इससे पहले भी कई बार इस संगठन पर प्रतिबंध लग चुका है। 1992 में बाबरी मस्जिद ढांचा ढहाने के बाद बजरंग दल पर नरसिम्हा राव सरकार ने एक साल का प्रतिबंध लगाया गया था। इसके
विवादों में भी रहा है संगठन
इस संगठन को विविध आरोप लगाए गए हैं, जिनमें शामिल हैं हिंदू विरोधी कार्यक्रमों में हिंदू युवाओं को शामिल होना है। खासकर वेलेंटाइन डे पर उसका