Ayodhya Ram Mandir: रामकृष्ण मुले, इंदौर। अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर के भूमिपूजन को आज (5 अगस्त) को तीन वर्ष पूरे हो रहे हैं। मंदिर निर्माण के लिए उस समय चलाए गए 21 दिवसीय धन संग्रह अभियान में इंदौर ने बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी की थी। अपने भगवान श्रीराम के लिए इंदौर के उद्योगपतियों ने अपने तिजोरी खोल दी थी, तो दिहाड़ी मजदूरों ने भी अपने श्रम से उपजा धन दिया था। किसी ने 10 रुपये का कूपन लेकर सहयोग दिया था, तो किसी ने लाखों-करोड़ों रुपये दिए थे। इतना ही नहीं, अंशदान देने में मूक-बधिर, नेत्रहीन और दिव्यांगजन भी पीछे नहीं रहे। विद्यार्थी भी अपनी गुल्लक और जेब खर्च के रुपये बचाकर देने पहुंचे थे।
14 जनवरी 2021 को मकर संक्रांति पर हिंदुओं की आस्था के प्रतीक भगवान श्रीराम की जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह शुरू हुआ था, जो 5 फरवरी तक चला। विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित अन्य हिंदू संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता इस कार्य में जुटे थे। इस मौके पर धन संग्रह के लिए 10, 100 और एक हजार रुपये के कूपन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट की ओर से भेजे गए।
निधि समर्पण अभियान के इंदौर विभाग के संयोजक रवि कसेरा ने बताया कि इंदौर के नागरिकों ने राम मंदिर निर्माण में अपनी क्षमता, श्रद्धा व आस्था के अनुरूप बढ़-चढ़कर सहयोग दिया। उस दौरान 30 टोलियों ने निधि संग्रह किया था।
सामने आए थे कई प्रेरणादायी उदाहरण
निधि समर्पण अभियान के इंदौर विभाग के संयोजक रवि कसेरा बताते हैं कि उस समय कई प्रेरणादायी उदाहरण हमारे सामने आए। कई लोगों ने इतनी राशि समर्पित की, जिसकी उनसे अपेक्षा नहीं थी। देवगुराड़िया के एक किसान ने अपनी जेसीबी मशीन निर्माण कार्य के लिए दे दी। इस पर लगने वाला पेट्रोल और ड्राइवर का खर्च भी वे ही दे रहे हैं। अंशदान एकत्र करने वाली हर टोली में 6 से 8 लोग थे।
10 रुपये से ज्यादा दान नहीं लेने वाले सियाराम बाबा ने दिए ढाई लाख
चढ़ावे में 10 रुपये से ज्यादा नहीं लेने वाले सियाराम बाबा ने भी राम मंदिर निर्माण के लिए अपनी ओर से ढाई लाख रुपये की राशि दी थी। उल्लेखनीय है कि उन्हें यदि कोई 100 रुपये दान में देता है, तो वे उसे 90 रुपये वापस देते हैं। निधि संग्रह कर रहे टोली के सदस्य बताते हैं कि उन्होंने जो राशि दी, उसमें 10-10 के नोट थे। हम लोगों को 19 हजार रुपये से ज्यादा नकद लेने की अनुमति नहीं थी, लेकिन बाबा द्वारा दी गई राशि उचित प्रक्रिया अपनाकर बैंक में जमा की गई थी।
मंदिरों ने भी की थी भागीदारी
उद्योगपति हों या मंदिर ट्रस्ट, सभी ने श्रीराम मंदिर निर्माण में निधि समर्पण किया। अन्नपूर्णा मंदिर, श्री विद्याधाम ट्रस्ट, खजराना गणेश मंदिर, रणजीत हनुमान मंदिर सहित शहर के अन्य मंदिर भी इसमें भागीदार बने। उद्योगपतियों में विनोद अग्रवाल ने एक करोड़ रुपये दिए थे। इसी तरह विमल तोड़ी, विष्णु बिंदल सहित कई बड़े नाम भी शामिल रहे। अन्नपूर्णा मंदिर ट्रस्ट के श्याम सिंघल बताते हैं कि ट्रस्ट की ओर से पांच लाख की राशि दी गई। इसी तरह विद्याधाम से भी ढाई लाख रुपये प्रदान किए गए थे।
11 किलो चांदी की शिला और जानापाव का जल लेकर पहुंचे
श्रीराम मंदिर के लिए इंदौर से 11 किलो चांदी की एक शिला और भगवान परशुराम के जन्म स्थल जानापाव से एक लोटा जल लेकर इसे साइकिल से अयोध्या ले जा जाया गया था। भूमिपूजन के अवसर पर शहरभर के घरों में दोपहर 12 बजकर 15 मिनट और 15 सेकंड पर शंख, घंटी और थालियां बजाई गई थीं। साथ ही पितृ पर्वत पर पितरेश्वर हनुमानजी के समक्ष 10 हजार दीप जलाए गए थे।
दिव्यांग भी नहीं रहे पीछे
टोली से जुड़े लोग बताते हैं कि क्या अमीर और क्या गरीब, सभी ने श्रीराम मंदिर निर्माण में बढ़-चढ़ कर सहयोग दिया। मूक-बधिर छात्रावास के विद्यार्थियों ने मंदिर के लिए सहयोग राशि दी। यह राशि लेकर टोली के सदस्य भी भावुक हो उठे। उनका कहना था कि जो जीवनयापन के लिए स्वयं दूसरों पर आश्रित हैं, वे भी श्रीराम मंदिर के लिए इतने उत्साहित थे कि उन्होंने आगे आकर निधि संग्रह में सहयोग किया। इसके अतिरिक्त दिहाड़ी मजदूरी करने वाली 30 महिलाओं ने भी खजराना स्थित मजदूर चौक पर मंदिर के निधि संग्रह अभियान में अंशदान दिया था।
100 करोड़ का था लक्ष्य, 107 से ज्यादा हुए एकत्र
मालवा प्रांत से लक्ष्य 100 करोड़ था, लेकिन लोगों का इतना उत्साह था कि यह आंकड़ा 107 करोड़ से ऊपर गया। इसमें इंदौर और उज्जैन संभाग के 15 जिले शामिल थे। जो राशि संग्रह हुई उसमें इंदौर की भागीदारी 30 फीसद से ज्यादा थी। रामलला के लिए लोगों ने एक रुपया भी दिया और एक करोड़ भी।
- सोहन विश्वकर्मा, अभियान प्रमुख, राम मंदिर निर्माण समिति, मालवा प्रांत